एकादशी व्रत उद्यापन की संपूर्ण विधि, सामग्री और नियम Ekadashi Vrat Udyapan Vidhi 2025: A Complete Step-by-Step Guide with Samagri List आज हम आपको एकादशी व्रत उद्यापन कैसे करें इसके बारे में बताने जा रहे हैं यह तो आप सब जानते है की एकादशी को ग्यारस के नाम से भी जाना जाता हैं।
एकादशी का व्रत एक महीने में 2 बार आता हैं एक तो शुक्ल पक्ष की एकादशी और दूसरी कृष्ण पक्ष की एकादशी, एकादशी का उपवास भगवान श्री विष्णु एवं श्री कृष्ण के लिए समर्पित हैं। यह तो आप सब जानते है की किसी भी व्रत का उद्यापन किये हुए वह व्रत सिद्ध नहीं होता हैं इसलिए हम यंहा आपको एकादशी व्रत उद्यापन विधि की जानकरी देने जा रहे हैं।
व्रत का पूर्ण फल पाने के लिए जानें एकादशी उद्यापन की शास्त्रोक्त विधि | Ekadashi Udyapan Vidhi in Hindi
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एकादशी व्रत उद्यापन विधि 2025: मंत्र, सामग्री व मुहूर्त | Ekadashi Udyapan Kaise Kare? Jane Sahi Vidhi, Samagri aur Niyam
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एकादशी व्रत उद्यापन विधि 2025: जानें संपूर्ण पूजन विधि, सामग्री सूची और नियम | Complete Ekadashi Vrat Udyapan Vidhi with Samagri List & Mantras
Ekadashi Vrat Udyapan Date 2025: एकादशी व्रत उद्यापन कब करना चाहिए?
👉 एकादशी व्रत उद्यापन विधि को आप मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष में करना चाहिए।
एकादशी व्रत का उद्यापन कैसे करें? जानें सरल विधि और पूरी सामग्री लिस्ट | How to do Ekadashi Vrat Udyapan at Home? Full Vidhi, Rules & Samagri
एकादशी व्रत उद्यापन विधि करने के लिए व्यक्ति को 12 ब्राहमणों एवं उनकी पत्नी को आमन्त्रित करना चाहिये। एकादशी व्रत उद्यापन करने वाले व्यक्ति को उद्यापन वाले दिन जल्दी उठकर नित्य कर्म से निवृत होकर साफ़ वस्त्र पहनकर तैयार हो जाना चाहिए। उसके बाद आचार्य जी को उत्तम रंगों से चक्र-कमल से संयुक्त सर्वतोभद्रमण्डल बनाकर श्वेत वस्त्र से आवेष्टित करे।
फिर पञ्चपल्लव एवं यथासंभव पञ्चरत्न से युक्त कर्पूर और अगरु की सुगन्ध से वासित जलपूर्ण कलश को लाल कपड़े से वेष्टित करके उसके ऊपर ताँबे का पूर्णपात्र रखे। एवं उस बाद कलश को पुष्प मालाओँ से भी वेष्टित करे।
उसके बाद कलश को सर्वतोभद्रमण्डल के ऊपर स्थापित करके कलश पर भगवान श्री लक्ष्मीनारायण मूर्ति या तस्वीर को स्थापना करना चाहिए। सर्वतोभद्रमण्डल मेँ बारह महीनों के अधिपतियों की स्थापना करके उनका पूजन करना चाहिये। मण्डल के पूर्वभाग में शुभ शङ्ख की स्थापना करे और कहे- ‘हे पाञ्चजन्य। आप पहले समुद्र से उत्पन्न हुए, फिर भगवान विष्णु ने अपने हाथों मेँ आपको धारण किया, सम्पूर्ण देवताओं ने आपके रूप को सँवारा है। आपको नमस्कार है।‘ सर्वतोभद्रमण्डल के उत्तर में हवन के लिये वेदी बनाये और संकल्पपूर्वक वेदोक्त मन्त्रों से हवन करना चाहिए।
फिर भगवान श्री विष्णु की प्रतिमा स्थापन, पूजन और परिक्रमा करे। ब्राह्मणों से स्वस्तिवाचन कराकर नमस्कार करे। उसके बाद ब्राह्मणों व् आचार्य जी वैदिक और भगवान श्री विष्णु जी के मंत्र का जप करना चाहिये। जप के अन्त में कलश के ऊपर भगवान् श्री विष्णु जी की स्थापना करनी चाहिये और विधिपूर्वक पूजा तथा स्तुति करनी चाहिए। घृतयुक्त पायस की आहुति देने के बाद एक सौ पलाश की समिधाएँ घी मेँ डुबोकर हवन करे जो अंगूठे के सिरे से तर्जनी के सिरे तक लम्बाई की हों।
इसके बाद तिल की आहुतियां दी जानी चाहिये। इस वैष्णव होम के बाद नवग्रहों के मंत्रों का हवन करना चाहिए। इसमें भी समिधाहोम, चरुहोम और तिलहोम होना चाहिये। हवन आदि के बाद दान पुण्य के कार्य संपन्न किये जाते है। उसके बाद आमंत्रित किये गये ब्राह्मणों को भोजन करा कर अपने सामर्थ अनुसार दक्षिणा देवें। बताई गई इस एकादशी व्रत उद्यापन विधि (Ekadashi Vrat Udyapan Vidhi) से आप अपने व्रत का उद्यापन कर सकते हैं।

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