Hartalika Teej Vrat Katha in Hindi: हरतालिका तीज व्रत कथा 2025: की पूरी कहानी और महत्व हम यहां आपको हरतालिका तीज कब मनाई जाती हैं, और हरतालिका तीज मनाने के पीछे की व्रत कथा के बारे में यहां बताने जा रहे हैं नीचे बताई जा रही हरतालिका तीज व्रत कथा का पाठ आपको हरतालिका तीज के दिन करना चाहिए इससे भगवान शिव-पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता हैं।
Hartalika Teej Vrat 2025 Kab Hai: हरतालिका तीज व्रत कब है 2025
इस साल 2025 में Hartalika Teej Vrat का त्यौहार अगस्त महीने की 26 तारीख, वार मंगलवार को मनाया जायेगा।
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हरतालिका तीज व्रत कथा 2025: पढ़ें शिव-पार्वती की संपूर्ण कहानी | Hartalika Teej Katha Full Story
हिमालय राजा के यंहा पुत्री के रूप में माँ पार्वती जी ने जन्म लिया। एक बार भगवान् नारद जी हिमालय के पास आये और कहा की भगवान विष्णु जी आपकी पुत्री पार्वती जी से विवाह करना चाहते है। इस बात को सुनकर हिमालय जी ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। और नारद जी ने भगवान विष्णु जी को हिमालय द्वारा विवाह की बात स्वीकार करने वाली बता दी गई। वही दूसरी और हिमालय ने भी अपनी पुत्री को भगवान विष्णु जी से उसका विवाह करवाने वाली बात बताई यह सुन कर माँ पार्वती जी बहुत दुखी हुई क्युकी माँ पार्वती जी भगवान शिव जी विवाह करना चाहती थी।
इसलिए माँ पार्वती जी ने अपनी सखी को सारी बात बता दी। और कहा की यदि मेरी शादी भगवान शिव जी से नही हुई तो अपने प्राण त्याग दूंगी। इस पर माँ पार्वती जी की सखी ने कहा की” मैं तुन्हें ऐसे वन में ले चलूंगी जंहा आपके पिता जी को भी पता नही चलेगा।’ इस तरह माँ पार्वती जी अपनी सखी के साथ वन में चली है।
इधर माँ पार्वती जी के पिता हिमालय पार्वती को इधर उधर खोजने लगे पर माँ पार्वती जी उन्हें कही नही मिली। इस बात से वो बहुत दुखी हो गये। और माँ पार्वती जी उधर अपनी सखी के साथ एक गुफा में जाकर भाद्रपद मास की शुक्लपक्ष की तृतीय तिथि के दिन मिटटी के शिवलिंग बनाकर भगवान शिव जी को पाने के लिए पूजा की और रात्रि में जागरण करके तपस्या करने लगी। माँ पार्वती जी की कठोर तपस्या व् साधना से भगवान शिव जी को उसके सामने आना ही पड़ा। और माँ पार्वती जी के इच्छानुसार भगवान शिव जी ने उन्हें अर्धागिनी के रूप में स्वीकार कर लिया। और उसके बाद भगवान शिव जी अपने कैलास पर्वत कर चले गये।
जब प्रात: काल माँ पार्वती जी पूजन सामग्री नदी में विसर्जित कर रही थी। तो वंहा उनके पिता जी हिमालय जी मिल गए। और अपनी पुत्री को देखकर हिमालय ने रोते हुए कहा की “पुत्री कंहा चली गई थी और यंहा कैसे आई”। इसके बाद माँ पार्वती जी ने विवाह वाली सारी बात बता दी। उसके बाद माँ पार्वती जी के इच्छानुसार हिमालय ने उनका विवाह विधिपूर्वक भगवान शिव जी के साथ करवाया। सखी द्वारा हरी वन जाने के कारन इस त्यौहार का नाम Hartalika Teej हो गया। जो भी स्त्री इस व्रत को बड़ी श्रद्धा व विश्वास के साथ करती है उससे श्रेष्ठ व उत्तम पति की प्राप्ति होती है।
हरतालिका तीज व्रत के लाभ
जो भी वैवाहिक महिला Hartalika Teej Vrat करती हैं, उसके पति की उम्र लम्बी होती है और जो भी कुंवारी लड़की Hartalika Teej Vrat को करती है तो उसे मनचाहा वर की प्राप्ति होती है।
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