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Lalitha Pancharatnam Stotram Lyrics, Meaning & PDF: ललिता पञ्चरत्नम् स्तोत्रम्

Lalitha Pancharatnam Stotram Lyrics, Meaning & PDF: ललिता पञ्चरत्नम् स्तोत्र श्री ललिता पञ्चरत्नम् स्तोत्र देवी ललिता त्रिपुरासुंदरी का भक्तिपूर्ण मंत्र है। श्री ललिता पञ्चरत्नम् स्तोत्र का रचियता गुरु आदि शंकराचार्य जी ने की हैं। श्री ललिता पञ्चरत्नम् स्तोत्र का पाठ पढ़ने से जातक सुखी समृद्धि और प्रसिद्धि पाता हैं। श्री ललिता पञ्चरत्नम् स्तोत्र का पाठ पुरे कार्तिक महीने में करने पर व्यक्ति के धन में वृद्धि और सुख शांति की प्राप्ति होती हैं। श्री ललिता पञ्चरत्नम् स्तोत्र के बारे में बताने जा रहे हैं।

श्री ललिता पञ्चरत्नं स्तोत्र | Sri Lalitha Pancharatnam: Stotram, Lyrics, Meaning & Benefits

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Lalitha Pancharatnam Stotram
Lalitha Pancharatnam Stotram

प्रातः स्मरामि ललितावदनारविन्दं बिम्बाधरं पृथुलमौक्तिकशोभिनासम् ।

आकर्णदीर्घनयनं मणिकुण्डलाढ्यं मन्दस्मितं मृगमदोज्ज्वलफालदेशम् ॥१॥

प्रातर्भजामि ललिताभुजकल्पवल्लीं रक्ताङ्गुलीयलसदङ्गुलिपल्लवाढ्याम् ।

माणिक्यहेमवलयाङ्गदशोभमानां पुण्ड्रेक्षुचापकुसुमेषुसृणीर्दधानाम् ॥२॥

प्रातर्नमामि ललिताचरणारविन्दं भक्तेष्टदाननिरतं भवसिन्धुपोतम् ।

पद्मासनादिसुरनायकपूजनीयं पद्माङ्कुशध्वजसुदर्शनलाञ्छनाढ्यम् ॥३॥

प्रातः स्तुवे परशिवां ललितां भवानीं त्रय्यन्तवेद्यविभवां करुणानवद्याम् ।

विश्वस्य सृष्टिविलयस्थितिहेतुभूतां विद्येश्वरीं निगमवाङ्मनसातिदूराम् ॥४॥

प्रातर्वदामि ललिते तव पुण्यनाम कामेश्वरीति कमलेति महेश्वरीति ।

श्रीशाम्भवीति जगतां जननी परेति वाग्देवतेति वचसा त्रिपुरेश्वरीति ॥५॥

यः श्लोकपञ्चकमिदं ललिताम्बिकायाः सौभाग्यदं सुललितं पठति प्रभाते ।

तस्मै ददाति ललिता झटिति प्रसन्ना विद्यां श्रियं विमलसौख्यमनन्तकीर्तिम् ॥६॥

॥ इति श्रीललितापञ्चरत्नम् ॥

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