तेजा दशमी 2025: संपूर्ण व्रत कथा, पूजा विधि और महत्व | Tejaji Dashami Katha in Hindi हम यहां आपको तेजाजी जयंती (तेजाजी दशमी) कब मनाई जाती हैं, और तेजाजी जयंती मनाने के पीछे की कथा के बारे में यहां बताने जा रहे हैं नीचे बताई जा रही तेजाजी जयंती (तेजाजी दशमी) कथा का पाठ आपको तेजाजी जयंती के दिन करना चाहिए इससे तेजाजी जयंती का आशीर्वाद प्राप्त होता हैं।
Tejaji Dashami (Tejaji Jayanti) 2025 Date: तेजाजी दशमी (तेजाजी जयंती) कब हैं? 2025
इस साल 2025 में तेजाजी दशमी (तेजाजी जयंती) 02 सितम्बर, वार मंगलवार के दिन मनाई जाएगी।
मनोकामना पूरी करने वाली वीर तेजाजी की कथा (तेजा दशमी पर अवश्य सुनें) | Tejaji Jayanti Katha | Tejaji Dashami Ki Katha in Hindi
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लोकदेवता वीर तेजाजी का जन्म नागौर जिले में खड़नाल गांव में ताहरजी (थिरराज) और रामकुंवरी के घर माघ शुक्ल, चौदस संवत 1130 यथा 29 जनवरी 1074 को जाट परिवार में हुआ था। उनके पिता गांव के मुखिया थे। वे बचपन से ही वीर, साहसी एवं अवतारी पुरुष थे। बचपन में ही उनके साहसिक कारनामों से लोग आश्चर्यचकित रह जाते थे। बड़े होने पर राजकुमार तेजा की शादी सुंदर गौरी से हुई।
एक बार अपने साथी के साथ तेजा अपनी बहन पेमल को लेने उनकी ससुराल जाते हैं। बहन पेमल की ससुराल जाने पर वीर तेजा को पता चलता है कि मेणा नामक डाकू अपने साथियों के साथ पेमल की ससुराल की सारी गायों को लूट ले गया। वीर तेजा अपने साथी के साथ जंगल में मेणा डाकू से गायों को छुड़ाने के लिए जाते हैं। रास्ते में एक बांबी के पास भाषक नामक नाग (सर्प) घोड़े के सामने आ जाता है एवं तेजा को डसना चाहता है। Tejaji Dashami Katha
वीर तेजा उसे रास्ते से हटने के लिए कहते हैं, परंतु भाषक नाग रास्ता नहीं छोड़ता। तब तेजा उसे वचन देते हैं- ‘हे भाषक नाग, मैं मेणा डाकू से अपनी बहन की गायें छुड़ा लाने के बाद वापस यहीं आऊंगा, तब मुझे डस लेना, यह तेजा का वचन है।’ तेजा के वचन पर विश्वास कर भाषक नाग रास्ता छोड़ देता है।
जंगल में डाकू मेणा एवं उसके साथियों के साथ वीर तेजा भयंकर युद्ध कर उन सभी को मार देते हैं। उनका पूरा शरीर घायल हो जाता है। ऐसी अवस्था में अपने साथी के हाथ गायें बहन पेमल के घर भेजकर वचन में बंधे तेजा भाषक नाग की बांबी की ओर जाते हैं। Tejaji Dashami Katha
घोड़े पर सवार पूरा शरीर घायल अवस्था में होने पर भी तेजा को आया देखकर भाषक नाग आश्चर्यचकित रह जाता है। वह तेजा से कहता है- ‘तुम्हारा तो पूरा शरीर कटा-पिटा है, मैं दंश कहां मारूं?’ तब वीर तेजा उसे अपनी जीभ बताकर कहते हैं- ‘हे भाषक नाग, मेरी जीभ सुरक्षित है, उस पर डस लो।’
वीर तेजा की वचनबद्धता देखकर भाषक नाग उन्हें आशीर्वाद देते हुए कहता है- ‘आज के दिन (भाद्रपद शुक्ल दशमी) से पृथ्वी पर कोई भी प्राणी, जो सर्पदंश से पीड़ित होगा, उसे तुम्हारे नाम की तांती बांधने पर जहर का कोई असर नहीं होगा।’ उसके बाद भाषक नाग घोड़े के पैरों पर से ऊपर चढ़कर तेजा की जीभ पर दंश मारता है। उस दिन से तेजादशमी पर्व मनाने की परंपरा जारी है। Tejaji Dashami Katha
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मत-मतांतर से यह पर्व मध्यप्रदेश के मालवा-निमाड़ के तलून, साततलाई, सुंद्रेल, जेतपुरा, कोठड़ा, टलवाई खुर्द आदि गांवों में नवमी एवं दशमी को तेजाजी की थानक पर मेला लगता है। बाबा की सवारी (वारा) जिसे आती है, उसके द्वारा रोगी, दुःखी, पीड़ितों का धागा खोला जाता है एवं महिलाओं की गोद भरी जाती है। सायंकाल बाबा की प्रसादी (चूरमा) एवं विशाल भंडारा आयोजित किया जाता है।
ऐसे सत्यवादी और शूरवीर तेजाजी महाराज के पर्व पर उनके स्थानों पर लोग मन्नत पूरी होने पर पवित्र निशान चढ़ाते हैं तथा पूजन-अर्चन के साथ कई स्थानों पर मेले के आयोजन भी होते है। लोकदेवता तेजाजी के निर्वाण दिवस भाद्रपद शुक्ल दशमी को प्रतिवर्ष तेजादशमी के रूप में मनाया जाता है। इस दौरान शोभायात्रा के रूप में तेजाजी की सवारी निकलेगी और भंडारे के आयोजन भी होंगे। Tejaji Dashami Katha

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