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Navratri Havan Vidhi 2025: Step-by-Step Guide नवरात्रि हवन विधि (घर पर): संपूर्ण सामग्री, मंत्र और सरल विधि

Navratri Havan Vidhi 2025: Step-by-Step Guide नवरात्रि हवन विधि (घर पर): संपूर्ण सामग्री, मंत्र और सरल विधि नवरात्रि में साधक नौ दिनों तक माँ दुर्गा देवी का व्रत व उपवास करके उपसना करते हैं, इन नौ दिनों में माता दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती हैं उसके बाद साधक नवमी तिथि को नवरात्रि हवन करके अपनी आराधना को पूर्ण करते हैं। हिन्दू धर्म के अनुसार नवरात्रि के पावन पर्व के समापन में नवरात्रि हवन करने का बहुत ज्यादा महत्व बताया गया है।

हिन्दू शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि हवन के बिना नौ दिनों की पूजा पूर्ण नही मानी जाती है। इसलिए हम यहाँ आपको नवरात्रि हवन विधि आसन रूप से बताने जा रहे हैं हमारे द्वारा द्वारा बताये जा रहे नवरात्रि में अपने घर पर इस मन्त्रों के साथ करें हवन को जानकर नवरात्रि की अष्टमी या नवमी तिथि को नवरात्रि हवन करके अपनी साधना पूरी कर सकते हैं।

नवरात्रि हवन की सबसे सरल विधि (बिना पंडित के) | The simplest method for Navratri Havan: Step-by-Step Guide

हमारी वेबसाइट FreeUpay.in (फ्री उपाय.इन) में रोजाना आने वाले व्रत त्यौहार की जानकारी के अलावा मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र, साधना, व्रत कथा, ज्योतिष उपाय, लाल किताब उपाय, स्तोत्र आदि महत्वपूर्ण जानकारी उबलब्ध करवाई जाएगी सभी जानकारी का अपडेट पाने के लिए दिए गये हमारे WhatsApp Group Link (व्हात्सप्प ग्रुप लिंक) क्लिक करके Join (ज्वाइन) कर सकते हैं।

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Navratri Havan Vidhi
Navratri Havan Vidhi

🕉️ घर पर ऐसे करें नवरात्रि का हवन | Ashtami/Navami Navratri Havan Vidhi

हवन कुंड और नवरात्रि हवन कुंड में क्या-क्या डालें? (Step-by-Step संपूर्ण सामग्री) | Ashtami/Navami Navratri Havan Vidhi

हवन करने के लिए आपके पास हवन कुंड होना चाहिए यदि आपके पास हवन कुंड नहीं हो तो 8 ईंट जमाकर भी आप हवन कुंड बना सकते हैं हवन कुंड का आप गोबर या मिट्टी से लेप कर लें हवन कुंड इस प्रकार बनने चाहिए कि वे बाहर से चौकोर रहें लंबाई, चौड़ाई व गहराई समान हो इसके चारों और नाड़ा बांध दें फिर इस पर स्वास्तिक बनाकर इसकी पूजा करें हवन कुंड में आम की लकड़ी से अग्नि प्रज्वलित करते हैं अग्नि प्रज्वलित करने के पश्चात इस पवित्र अग्नि में फल, शहद, घी, काष्ठ इत्यादि पदार्थों की आहुति दी जाती है।

नवरात्रि हवन सामग्री लिस्ट (2025) | Havan Samagri List in Hindi

नवरात्रि हवन सामग्री (Havan Items List (Samagri): हवन सामग्री जितनी हो सके अच्‍छा है नहीं तो काष्ठ, समिधा और घी से ही काम चला सकते हैं आम या ढाक की सूखी लकड़ी और नवग्रह की नौ समिधा (आक, ढाक, कत्था, चिरचिटा, पीपल, गूलर, जांड, दूब, कुशा), शुद्ध घी।

नवरात्रि हवन के लिए दुर्गा सप्तशती के सिद्ध मंत्र | Navratri Havan Mantra

नवरात्रि हवन विधि : हवन करते समय स्वच्छता का सही से ख्याल रखें सबसे पहले रोज की पूजा करने के बाद अग्नि स्थापना करें फिर आम की चौकोर लकड़ी लगाकर, कपूर रखकर जला दें उसके बाद नीचे दिए गये इन मंत्रों से आहुति देते हुए हवन शुरू करें।

इन मंत्रों से शुद्ध देसी घी की आहुति दें यदि संभव हो सके तो गाय का घी है तो बहुत ज्यादा उत्तम है ये पांच मंत्र इस प्रकार है।

ॐ प्रजापतये स्वाहा।

ॐ इन्द्राय स्वाहा।

ॐ अग्नये स्वाहा।

ॐ सोमाय स्वाहा।

ॐ भूः स्वाहा।

उसके बाद आप ऊपर बताई गई हवन सामग्री से हवन करना शुरू कर सकते हैं।

नवग्रह नवरात्रि हवन मंत्र सामग्री

यदि हवन 2 या 2 से अघिक सदस्य कर रहे है तो 1 सदस्य घी की आहुति दे, शेष अन्य सदस्य हवन सामग्री से आहुति दे। ये मंत्र इस प्रकार है।

ऊँ सूर्याय नमः स्वाहा

ऊँ चंद्रयसे स्वाहा

ऊं भौमाय नमः स्वाहा

ऊँ बुधाय नमः स्वाहा

ऊँ गुरवे नमः स्वाहा

ऊँ शुक्राय नमः स्वाहा

ऊँ शनये नमः स्वाहा

ऊँ राहवे नमः स्वाहा

ऊँ केतवे नमः स्वाहा

👉 इसके बाद 21 बार गायत्री मंत्र से आहुति देनी हैं गायत्री मंत्र इस प्रकार से है।

ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्। स्वाहा (21 बार)

👉 फिर आप नीचे बताये गये इन मंत्रों से हवन में आहुति दें। 

ॐ गणेशाय नम: स्वाहा।

ॐ गौरियाय नम: स्वाहा।

ॐ नवग्रहाय नम: स्वाहा।

ॐ दुर्गाय नम: स्वाहा।

ॐ महाकालिकाय नम: स्वाहा।

ॐ हनुमते नम: स्वाहा।

ॐ भैरवाय नम: स्वाहा।

ॐ कुल देवताय नम: स्वाहा।

ॐ स्थान देवताय नम: स्वाहा

ॐ ब्रह्माय नम: स्वाहा।

ॐ विष्णुवे नम: स्वाहा।

ॐ शिवाय नम: स्वाहा।

नवरात्रि हवन के लिए दुर्गा सप्तशती के सिद्ध मंत्र | Proven mantras from Durga Saptashati for Navratri Havan

ॐ दुर्गा देवी नमः स्वाहा

ॐ शैलपुत्री देवी नमः स्वाहा

ॐ ब्रह्मचारिणी देवी नमः स्वाहा

ॐ चंद्र घंटा देवी नमः स्वाहा

ॐ कुष्मांडा देवी नमः स्वाहा

ॐ स्कन्द देवी नमः स्वाहा

ॐ कात्यायनी देवी नमः स्वाहा

ॐ कालरात्रि देवी नमः स्वाहा

ॐ महागौरी देवी नमः स्वाहा

ॐ सिद्धिदात्री देवी नमः स्वाहा

ॐ जयंती मंगलाकाली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा, स्वधा नमस्तुते स्वाहा |

ॐ ब्रह्मामुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि: भूमि सुतो बुधश्च: गुरुश्च शुक्रे शनि राहु केतो सर्वे ग्रहा शांति कर: भवंतु स्वाहा।

ॐ गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवा महेश्वर: गुरु साक्षात परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम: स्वाहा।

👉 इसके बाद 11 बार महामृत्युंजय मंत्र से आहुति देनी चाहिए।

“ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिंम् पुष्टिवर्धनम्/ उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् मृत्युन्जाय नम: स्वाहा।”

ॐ शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे, सर्व स्यार्ति हरे देवि नारायणी नमस्तुते। स्वाहा।

👉 माता के नर्वाण बीज मंत्र से 108 बार आहुतियां देनी चाहिए। मंत्र निम्न प्रकार से हैं।

नर्वाण बीज मंत्र : “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै। स्वाहा”

👉 दुर्गा सप्तशती के पांचवें अध्याय में इंद्रादि देवताओं द्वारा देवी स्तुति में 25 सुंदर मंत्र कहे गए हैं उनसे हवन में आहुति देनी चाहिए।

👉 इऩ मंत्रों में देवी की प्रशंसा है इसलिए ये मंत्र उत्तम कहे गए हैं हर मंत्र के अंत में स्वाहा जोड़ लें।

या देवी सर्वभूतेषु विष्णुमायेति शब्दिता ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ स्वाहा

या देवी सर्वभूतेषु चेतनेत्यभिधीयते ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ स्वाहा

या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ स्वाहा

या देवी सर्वभूतेषु निद्रारूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ स्वाहा

या देवी सर्वभूतेषु क्षुधारूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ स्वाहा

या देवी सर्वभूतेषु च्छायारूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ स्वाहा

या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ स्वाहा

या देवी सर्वभूतेषु तृष्णारूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ स्वाहा

या देवी सर्वभूतेषु क्षान्तिरूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ स्वाहा

या देवी सर्वभूतेषु जातिरूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ स्वाहा

या देवी सर्वभूतेषु लज्जारूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ स्वाहा

या देवी सर्वभूतेषु शान्तिरूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ स्वाहा

या देवी सर्वभूतेषु श्रद्धारूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ स्वाहा

या देवी सर्वभूतेषु कान्तिरूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ स्वाहा

या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ स्वाहा

या देवी सर्वभूतेषु वृत्तिरूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ स्वाहा

या देवी सर्वभूतेषु स्मृतिरूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ स्वाहा

या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ स्वाहा

या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ स्वाहा

या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ स्वाहा

या देवी सर्वभूतेषु भ्रान्तिरूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ स्वाहा

इन्द्रियाणामधिष्ठात्री भुतानाञ्चाखिलेषु या ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ स्वाहा

चितिरूपेण या कृत्स्नमेतद् व्याप्य स्थिता जगत् ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ स्वाहा

🕉️ इन मंत्रों से आहुति दें तो अच्छा रहेगा इसके बाद अंत में, हवन के बाद एक नारियल के गोले में कलावा बांध लें चाकू से उसके ऊपर के भाग को काट कर उसमें घी, पान, सुपारी, लौंग, जायफल और जो भी प्रसाद उपलब्ध हो, उसे रख दें और बची हुई हवन सामग्री फिर उसमें डाल दें यह पूर्ण आहुति की तैयारी है फिर पूर्ण आहुति मंत्र पढ़ते हुए उसे हवनकुंड की अग्नि में रख दें।

पूर्णाहुति मंत्र : ऊँ पूर्णमद: पूर्णम् इदम् पूर्णात पूर्णादिमं उच्यते, पुणस्य पूर्णम् उदच्यते। पूर्णस्य पूर्णभादाय पूर्णमेवावाशिष्यते।।

🕉️ इस मंत्र को कहते हुए पूर्ण आहुति दे देनी चाहिए पूर्ण आहुति के बाद यथाशक्ति दक्षिणा माता के पास रख दें, फिर परिवार सहित आरती करके हवन संपन्न करें और माता से क्षमा याचना करते हुए क्षमा मांगें इसके बाद अपने ऊपर किसी से 1 रुपया उतरवाकर किसी अन्य को दें दें इस तरह आप सरल रीति से घर पर हवन संपन्न कर सकते हैं।

🕉️ क्षमा प्रार्थना: पूजन, जप, हवन आदि में जो गलतियाँ हो गयी हों , उनके लिए हाथ जोड़कर सभी लोग क्षमा प्रार्थना करें |

ॐ आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम | पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वर ||

ॐ मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वर | यत्पूजितं माया देवं परिपूर्ण तदस्तु में ||

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