श्री भैरव तांडव स्तोत्रम् (PDF): संपूर्ण पाठ, हिंदी अर्थ और लाभ Bhairav Tandava Stotram Lyrics in Sanskrit & Hindi श्री भैरव तांण्डव स्तोत्र से भगवान श्री भैरव जी का आवाहन किया जाता हैं। Bhairav Tandava Stotram का नियमित रूप से पाठ करने से या सुनने से व्यक्ति की बुद्दि तेज़ होती है, किसी भी तरह का भय नही रहता है, व्यक्ति के सारे दुश्मन नष्ट हो जाते हैं और जातक लम्बा जीवन सुखमय रूप से जीता हैं। Bhairav Tandava Stotram करने से जातक को वाक् सिद्धि भी प्राप्त हो जाती हैं। श्री भैरव तांण्डव स्तोत्र के बारे में बताने जा रहे हैं।
भैरव तांडव स्तोत्र: (Lyrics) पाठ, अर्थ व पीडीएफ | Bhairav Tandava Stotram PDF Download in Hindi & Benefits (Labh)
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काल भैरव तांडव स्तोत्र 2025: हिंदी पाठ व अर्थ | Powerful Bhairav Tandava Stotram in Hindi: The Fierce Hymn of Protection
भैरव तांण्डव स्तोत्र (Lyrics) | Bhairav Tandava Stotram PDF Download (Lyrics in Hindi & Sanskrit)
।। अथ भैरव तांण्डव स्तोत्र ।।
ॐ चण्डं प्रतिचण्डं करधृतदण्डं कृतरिपुखण्डं सौख्यकरम् ।
लोकं सुखयन्तं विलसितवन्तं प्रकटितदन्तं नृत्यकरम् ।।
डमरुध्वनिशंखं तरलवतंसं मधुरहसन्तं लोकभरम् ।
भज भज भूतेशं प्रकटमहेशं भैरववेषं कष्टहरम् ।।
चर्चित सिन्दूरं रणभूविदूरं दुष्टविदूरं श्रीनिकरम् ।
किँकिणिगणरावं त्रिभुवनपावं खर्प्परसावं पुण्यभरम् ।।
करुणामयवेशं सकलसुरेशं मुक्तशुकेशं पापहरम् ।
भज भज भूतेशं प्रकट महेशं श्री भैरववेषं कष्टहरम् ।।
कलिमल संहारं मदनविहारं फणिपतिहारं शीध्रकरम् ।
कलुषंशमयन्तं परिभृतसन्तं मत्तदृगृन्तं शुद्धतरम् ।।
गतिनिन्दितहेशं नरतनदेशं स्वच्छकशं सन्मुण्डकरम् ।
भज भज भूतेशं प्रकट महेशं श्रीभैरववेशं कष्टहरम् ।।
कठिन स्तनकुंभं सुकृत सुलभं कालीडिँभं खड्गधरम् ।
वृतभूतपिशाचं स्फुटमृदुवाचं स्निग्धसुकाचं भक्तभरम् ।।
तनुभाजितशेषं विलमसुदेशं कष्टसुरेशं प्रीतिनरम् ।
भज भज भूतेशं प्रकट महेशं श्रीभैरववेशं कष्टहरम् ।।
ललिताननचंद्रं सुमनवितन्द्रं बोधितमन्द्रं श्रेष्ठवरम् ।
सुखिताखिललोकं परिगतशोकं शुद्धविलोकं पुष्टिकरम् ।।
वरदाभयहारं तरलिततारं क्ष्युद्रविदारं तुष्टिकरम् ।
भज भज भूतेशं प्रकट महेशं श्रीभैरववेषं कष्टहरम् ।।
सकलायुधभारं विजनविहारं सुश्रविशारं भृष्टमलम् ।
शरणागतपालं मृगमदभालं संजितकालं स्वेष्टबलम् ।।
पदनूपूरसिंजं त्रिनयनकंजं गुणिजनरंजन कुष्टहरम् ।
भज भज भूतेशं प्रकट महेशं श्री भैरव वेषं कष्टहरम् ।।
मदयिँतुसरावं प्रकटितभावं विश्वसुभावं ज्ञानपदम् ।
रक्तांशुकजोषं परिकृततोषं नाशितदोषं सन्मंतिदमम् ।।
कुटिलभ्रकुटीकं ज्वरधननीकं विसरंधीकं प्रेमभरम् ।
भज भज भूतेशं प्रकट महेशं श्रीभैरववेषं कष्टहरम् ।।
परिर्निजतकामं विलसितवामं योगिजनाभं योगेशम् ।
बहुमधपनाथं गीतसुगाथं कष्टसुनाथं वीरेशम् ।।
कलयं तमशेषं भृतजनदेशं नृत्य सुरेशं वीरेशम् ।
भज भज भूतेशं प्रकट महेशं श्रीभैरववेषं कष्टहरम् ।।
ॐ।। श्री भैरव तांण्डव स्तोत्रम् सम्पूर्णम् ।।ॐ

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