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Bhuvaneshwari Ashtakam Lyrics, Meaning & Benefits | श्री भुवनेश्वरी अष्टकम् (PDF)

Bhuvaneshwari Ashtakam Lyrics, Meaning & Benefits | श्री भुवनेश्वरी अष्टकम् (PDF) यह श्री भुवनेश्वरी अष्टकम श्री रुद्रयामले तन्त्र से लिया गया हैं। श्री भुवनेश्वरी अष्टकम पढ़ने से साधक को अपने जीवन में में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारों पुरुषार्थो की प्राप्ति निश्चित रूप से होती है। Shri Bhuvaneshwari Ashtakam पढ़ने से दरिद्रता को समृद्धि में बदला जा सकता हैं।

Powerful Bhuvaneshwari Ashtakam for Knowledge, Wealth & Abundance | ज्ञान, धन और सफलता के लिए यह दिव्य भुवनेश्वरी अष्टकम्

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Bhuvaneshwari Ashtakam
Bhuvaneshwari Ashtakam

॥ श्रीभुवनेश्वर्यष्टकम् ॥ अथ श्रीभुवनेश्वर्यष्टकम् ।

श्रीदेव्युवाच –

प्रभो श्रीभैरवश्रेष्ठ दयालो भक्तवत्सल ।

भुवनेशीस्तवम् ब्रूहि यद्यहन्तव वल्लभा ॥ १॥

ईश्वर उवाच –

शृणु देवि प्रवक्ष्यामि भुवनेश्यष्टकं शुभम् ।

येन विज्ञातमात्रेण त्रैलोक्यमङ्गलम्भवेत् ॥ २॥

ऊं नमामि जगदाधारां भुवनेशीं भवप्रियाम् ।

भुक्तिमुक्तिप्रदां रम्यां रमणीयां शुभावहाम् ॥ ३॥

त्वं स्वाहा त्वं स्वधा देवि ! त्वं यज्ञा यज्ञनायिका ।

त्वं नाथा त्वं तमोहर्त्री व्याप्यव्यापकवर्जिता ॥ ४॥

त्वमाधारस्त्वमिज्या च ज्ञानज्ञेयं परं पदम् ।

त्वं शिवस्त्वं स्वयं विष्णुस्त्वमात्मा परमोऽव्ययः ॥ ५॥

त्वं कारणञ्च कार्यञ्च लक्ष्मीस्त्वञ्च हुताशनः ।

त्वं सोमस्त्वं रविः कालस्त्वं धाता त्वञ्च मारुतः ॥ ६॥

गायत्री त्वं च सावित्री त्वं माया त्वं हरिप्रिया ।

त्वमेवैका पराशक्तिस्त्वमेव गुरुरूपधृक् ॥ ७॥

त्वं काला त्वं कलाऽतीता त्वमेव जगतांश्रियः ।

त्वं सर्वकार्यं सर्वस्य कारणं करुणामयि ॥ ८॥

इदमष्टकमाद्याया भुवनेश्या वरानने ।

त्रिसन्ध्यं श्रद्धया मर्त्यो यः पठेत् प्रीतमानसः ॥ ९॥

सिद्धयो वशगास्तस्य सम्पदो वशगा गृहे ।

राजानो वशमायान्ति स्तोत्रस्याऽस्य प्रभावतः ॥ १०॥

भूतप्रेतपिशाचाद्या नेक्षन्ते तां दिशं ग्रहाः ।

यं यं कामं प्रवाञ्छेत साधकः प्रीतमानसः ॥ ११॥

तं तमाप्नोति कृपया भुवनेश्या वरानने ।

अनेन सदृशं स्तोत्रं न समं भुवनत्रये ॥ १२॥

सर्वसम्पत्प्रदमिदं पावनानाञ्च पावनम् ।

अनेन स्तोत्रवर्येण साधितेन वरानने ।

समप्दो वशमायान्ति भुवनेश्याः प्रसादतः ॥ १३॥

इति श्रीरुद्रयामले तन्त्रे श्रीभुवनेश्वर्यष्टकं सम्पूर्णम् ।

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