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भुवनेश्वरी साधना कैसे करें? जानें मंत्र, यंत्र पूजा और नियम | Bhuvaneshwari Sadhana

भुवनेश्वरी साधना कैसे करें? जानें मंत्र, यंत्र पूजा और नियम | Bhuvaneshwari Sadhana आज हम आपको Maa Bhuvaneshwari Sadhana विधि के बारे में बताने जा रहे हैं। यह तो आप सब जानते है की दस महाविद्याओं में चतुर्थ स्थान पर भुवनेश्वरी साधना मानी जाती हैं। इस साधना को करने से के बाद साधक के जीवन में बहुत ही समस्याओं का स्वयं ही निवारण हो जाता हैं। FreeUpay.in द्वारा बताये जा रहे माँ भुवनेश्वरी साधना विधि (Maa Bhuvaneshwari Sadhana Vidhi) को जानकर आप भी महाविद्या भुवनेश्वरी साधना पूरी कर सकते हैं।

यह गुप्त भुवनेश्वरी साधना खोल देगी आपके भाग्य के ताले (संपूर्ण विधि) | Powerful Bhuvaneshwari Sadhana Vidhi for Knowledge, Wealth & Success (A Step-by-Step Guide)

हमारी वेबसाइट FreeUpay.in (फ्री उपाय.इन) में रोजाना आने वाले व्रत त्यौहार की जानकारी के अलावा मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र, साधना, व्रत कथा, ज्योतिष उपाय, लाल किताब उपाय, स्तोत्र आदि महत्वपूर्ण जानकारी उबलब्ध करवाई जाएगी सभी जानकारी का अपडेट पाने के लिए दिए गये हमारे WhatsApp Group Link (व्हात्सप्प ग्रुप लिंक) क्लिक करके Join (ज्वाइन) कर सकते हैं।

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Bhuvaneshwari Sadhana
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माँ भुवनेश्वरी साधना कब करें?

महाविद्या Maa Bhuvaneshwari Sadhana को करने के लिए साधक की समस्त सामग्री में विशेष रूप से सिद्धि युक्त होनी चाहिये। यदि ऐसा नही हुई तो आप यह साधन नही कर सकोंगे। महाविद्या भुवनेश्वरी साधना के साधक को सिद्ध प्राण प्रतिष्ठित ‘भुवनेश्वरी यंत्र’, “सफ़ेद हकीक या रुद्राक्ष माला”, “दस लघु नारियल” ये तीन चीजें होनी चाहिये। महाविद्या Maa Bhuvaneshwari Sadhana आप नवरात्रि या शिवरात्रि या किसी भी शुक्ल पक्ष के सोमवार के दिन से शुरू कर सकते हैं। Maa Bhuvaneshwari Sadhana का समय सुबह 4 से 6 बजे के बीच या रात्रि सवा दस बजे के समय के बाद कर सकते हैं।

How to Start Bhuvaneshwari Sadhana? A Beginner’s Guide to the Divine Practice | भुवनेश्वरी साधना कैसे करें? जानें मंत्र, यंत्र पूजा और नियम

महाविद्या Maa Bhuvaneshwari Sadhana वाले साधक को स्नान करके शुद्ध सफ़ेद वस्त्र धारण करके अपने घर में किसी एकान्त स्थान या पूजा कक्ष में पूर्व दिशा की तरफ़ मुख करके सफ़ेद ऊनी आसन पर बैठ जाए। उसके बाद अपने सामने चौकी रखकर उस पर सफ़ेद रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर प्लेट रखकर रोली से त्रिकोण बनाये उसके बाद उस त्रिकोण में अखंडित चावल भर दें। उसके बाद उन चावलों के ऊपर सिद्ध प्राण प्रतिष्ठा युक्त “भुवनेश्वरी यंत्र” को स्थापित करें।

फिर उसके बाद भुवनेश्वरी यंत्र के सामने दस चावल की ढेरियां बनाकर उस पर 10 लघु नारियल स्थापित करें। प्रत्येक नारियल पर रोली से तिलक करें। उसके बाद यन्त्र के सामने शुद्ध घी का दीपक जलाकर यंत्र का पूजन करें और मन्त्र विधान अनुसार संकल्प आदि कर सीधे हाथ में जल लेकर विनियोग पढ़े:

ॐ अस्य श्री भुवनेश्वरी महा मन्त्रस्य सदाशिव ऋषि: त्रिष्टुपछन्द: श्री भुवनेश्वरी देवता ह्रीं बीजं ऐं शक्ति: श्रीं कीलकं श्री भुवनेश्वरी देवताप्रीत्यर्थे जपे विनियोग:।

ऋष्यादि न्यास :  बाएँ हाथ में जल लेकर दाहिने हाथ की समूहबद्ध, पांचों उंगलियों से नीचे दिए गये निम्न मंत्रो का उच्चारण करते हुए अपने भिन्न भिन्न अंगों को स्पर्श करते हुए ऐसी भावना मन में रखें कि वे सभी अंग तेजस्वी और पवित्र होते जा रहे हैं। ऐसा करने से आपके अंग शक्तिशाली बनेंगे और आपमें चेतना प्राप्त होती है। मंत्र :

सदाशिवऋषये नम: शिरसि ( सर को स्पर्श करें )

त्रिप्टुश्छन्दसे नम: मुखे ( मुख को स्पर्श करें )

श्रीभुवनेश्वरी देवतायै नम: ह्रदये ( ह्रदय को स्पर्श करें )

ह्रीं बीजाय नम: गुहे ( गुप्तांग को स्पर्श करें )

ऐं शक्तये नम: पादयो: ( दोनों पैरों को स्पर्श करें )

श्रीं कीलकाय नम: नाभौ ( नाभि को स्पर्श करें )

विनियोगाय नम: सर्वांगे। ( पूरे शरीर को स्पर्श करें )

कर न्यास :  अपने दोनों हाथों के अंगूठे से अपने हाथ की विभिन्न उंगलियों को स्पर्श करें, ऐसा करने से उंगलियों में चेतना प्राप्त होती है।

ह्राँ अंगुष्ठाभ्यां नम: ।

ह्रीं तर्जनीभ्यां नम: ।

ह्रूं मध्यमाभ्यां नम: ।

ह्रैं अनामिकाभ्यां नम: ।

ह्रौं कनिष्ठिकाभ्यां नम: ।

ह्र: करतलकरपृष्ठाभ्यां नम: ।

ह्र्दयादि न्यास : पुन: बाएँ हाथ में जल लेकर दाहिने हाथ की समूहबद्ध, पांचों उंगलियों से नीचे दिए गये निम्न मंत्रों के साथ शरीर के विभिन्न अंगों को स्पर्श करते हुए ऐसी भावना मन में रखें कि वे सभी अंग तेजस्वी और पवित्र होते जा रहे हैं। ऐसा करने से आपके अंग शक्तिशाली बनेंगे और आपमें चेतना प्राप्त होती है। मंत्र :

ह्रां ह्रदयाय नम: ( ह्रदय को स्पर्श करें )

ह्रीं शिरसे स्वाहा ( सर को स्पर्श करें )

ह्रूं शिखायै वषट् ( शिखा को स्पर्श करें )

ह्रैं कवचाय हुम् ( कंधों को स्पर्श करें )

ह्रौं नेत्रत्रयाय वौषट् ( नेत्रों को स्पर्श करें )

ह्र: अस्त्राय फट् ( सर पर हाथ घुमाकर चारों दिशाओं में चुटकी बजाएं )

ध्यान : इसके बाद दोनों हाथ जोड़कर माँ भगवती भुवनेश्वरी का ध्यान करके, भुवनेश्वरी माँ का पूजन करे धुप, दीप, चावल, पुष्प से तदनन्तर भुवनेश्वरी महाविद्या मन्त्र का जाप करें।

उधदिनधुतिमिंदु किरीटां तुंग कुचां नयन त्रययुक्ताम् ।

स्मेरमुखीं वरदांगकुशपाशाभीतिकरां प्रभजे भुवनेशीम् ।।

ऊपर दिया गया पूजन सम्पन्न करके सिद्ध प्राण प्रतिष्ठित “हकीक माला या रुद्राक्ष माला” की माला से नीचे दिए गये मंत्र की 23 माला 11 दिनों तक जप करें। और मंत्र उच्चारण करने के बाद भुवनेश्वरी कवच का पाठ करें।

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👉 Bhuvaneshwari Kavacham for Ultimate Protection | श्री भुवनेश्वरी कवचम् (PDF)

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Bhuvaneshwari Sadhana Siddhi Mantra: माँ भुवनेश्वरी साधना सिद्धि मन्त्र

👉 ।। “ऐं ह्रीं श्रीं” ।। 

या 

👉 ।। “ह्रीं” ।।

मंत्र उच्चारण करने के भुवनेश्वरी कवच पढ़ें. दी गई यह महाविद्या Maa Bhuvaneshwari Sadhana ग्यारह दिनों की साधना है। Maa Bhuvaneshwari Sadhana करते समय साधक पूर्ण आस्था के साथ नियमों का पालन जरुर करें। और नित्य जाप करने से पहले ऊपर दी गई संक्षिप्त पूजन विधि जरुर करें। साधक Maa Bhuvaneshwari Sadhana करने की जानकारी गुप्त रखें। ग्यारह दिनों के बाद मन्त्रों का जाप करने के बाद दिए गये मन्त्र जिसका आपने जाप किया हैं उस मन्त्र का दशांश (10% भाग) हवन अवश्य करें। हवन में कमल गट्टे, शुद्ध घी व हवन सामग्री को मिलाकर आहुति दें।

हवन के बाद भुवनेश्वरी यंत्र को अपने घर के मंदिर या तिजोरी में लाल वस्त्र से बांधकर एक साल के लिए रख दें और बाकि बची हुई पूजा सामग्री को नदी या किसी पीपल के नीचे विसर्जन कर आयें। ऐसा करने से साधक की साधना पूर्ण हो जाती हैं। और साधक के ऊपर माँ भुवनेश्वरी देवी की कृपा सदैव बनी रही हैं। Maa Bhuvaneshwari Sadhana करने से साधक के जीवन में ज्ञान, धन सम्मान, प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है।

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