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Brahma Sheshadri Kritam Radha Stotram Lyrics, Meaning & PDF | श्री ब्रह्मा-शेषादि कृत राधा स्तोत्र

Brahma Sheshadri Kritam Radha Stotram Lyrics, Meaning & PDF | श्री ब्रह्मा-शेषादि कृत राधा स्तोत्र श्री राधा स्तोत्रम् राधा रानी को समर्पित हैं। इस श्री राधा स्तोत्रम् की रचना श्री ब्रह्मा शेषाद्रि द्वारा की गई हैं। इस राधा स्तोत्रं का ब्रह्मवैवर्त पुराण के अंतर्गत से लिया गया हैं। इस श्री राधा स्तोत्रम् का नित्य पाठ करने से साधक के ऊपर राधा रानी की कृपा हमेशा बनी रहती हैं। श्री राधा स्तोत्र के बारे में बताने जा रहे हैं।

परम पद की प्राप्ति के लिए ब्रह्मा-शेषादि कृत राधा स्तोत्र | Brahma Sheshadri Kritam Radha Stotram Lyrics

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Brahma Sheshadri Kritam Radha Stotram
Brahma Sheshadri Kritam Radha Stotram

॥ अथ ब्रह्मेशशेषादिकृतम् श्रीराधास्तोत्रम् ॥

षष्टिवर्षसहस्राणि दिव्यानि परमेश्वरि ।

पुष्करे च तपस्तप्तं पुण्यक्षेत्रे च भारते ॥ १ ॥

त्वत्पादपद्ममधुरमधुलुब्धेन चेतसा ।

मधुव्रतेन लोभेन प्रेरितेन मया सति ॥ २ ॥

तथापि न मया लब्धं त्वद्पादपदमीप्सितम् ।

न दृष्टमपि स्वप्नेऽपि जाता वागशरीरिणी ॥ ३ ॥

वाराहे भारते वर्षे पुण्ये वृन्दावने वने ।

सिद्धाश्रमे गणेशस्य पादपद्मं च द्रक्ष्यसि ॥ ४ ॥

राधामाधवयोर्दास्यं कुतो विषयिणस्तव ।

निवर्तस्व महाभाग परमेतत् सुदुर्लभम् ॥ ५ ॥

इति श्रुत्वा निवृत्तोऽहं कुतो विषयिणस्तव ।

निवर्तस्व महाभाग परमेतत् सुदुर्लभम् ॥ ६ ॥

श्रीमहादेव उवाच । पद्मैः पद्मार्चितं पादपद्मं यस्य सुदुर्लभम् ।

ध्यायन्ते ध्याननिष्टाश्च शश्वद् ब्रह्मादयः सुराः ॥ ७ ॥

मुनयो मनवश्चैव सिद्धाः सन्तश्च योगिनः ।

द्रष्टुं नैव क्षमाः स्वप्ने भवती तस्य वक्षसि ॥ ८ ॥

अनत उवाच । वेदाश्च वेदमाता च पुराणानि च सुव्रते ।

अहं सरस्वती सन्तः स्तोतुं नालं च सन्ततम् ॥ ९ ॥

अस्माकं स्तवने यस्य भ्रभङ्गश्च सुदुर्लभभः ।

तवैव भर्त्सने भीतश्चावयोरन्तरं हरिः ॥ १० ॥

॥ इति श्रीब्रह्मवैवर्ते ब्रह्मेशशेषादिकृतं श्रीराधास्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

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