Chhath Puja Importance: छठ पुजा क्यों मनाई जाती हैं और जानें इसका महत्व

Chhath Puja Ka Mahatva: छठ पुजा क्यों मनाई जाती हैं और जानें इसका महत्व पूरी जानकारी यहां पढ़ें।

Chhath Puja Importance
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छठ पुजा का महत्व

छठ पर्व का जिक्र महाभारत देखा जा सकता हैं महाभारत की कथा के अनुसार जब पांडव कौरव से जुए में अपना सारा राज-पाट हार गए थे तब पांडव के लिए द्रौपदी ने छठ का व्रत किया था इस व्रत के बाद दौपद्री की सभी मनोकामनाएं पूरी हुई थी तब से ही छठ पूजा करने की प्रथा चली आ रही है छठ पर्व को चार दिन तक मानते है।

छठ एक ऐसा पर्व जिसमे स्त्री और पुरुष दोनों एक साथ व्रत रख सकते है छठ का व्रत रखना बहुत कठिन होता है इसमें चार दिन तक अन्न और जल ग्रहण नही करना होता है छठ एक पवित्र पर्व है छठ पूजा की परंपरा और उसके महत्व का प्रतिपादन करने वाली पौराणिक और लोककथाओं के अनुसार यह पर्व सर्वाधिक शुद्धता और पवित्रता का पर्व है।

छठ पर्व के बारे में रामायण के अनुसार जब भगवान श्री राम जी लंका पर विजय प्राप्‍त करने के बाद अपने रामराज्य की स्थापना के दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी यानी छठ के दिन भगवान राम और माता सीता ने व्रत किया था और सूर्यदेव को प्रसन्न किया था इसके बाद सप्तमी के दिन सूर्योदय के समय फिर से अनुष्ठान कर भगवान सूर्यदेव से आशीर्वाद प्राप्त किया था।

छठ पूजा के फायदे

पौराणिक कथाओं के अनुसार यह भी माना जाता है कि यह भारत के सूर्यवंशी राजाओं के मुख्य पर्वों से एक था कहा जाता है कि एक समय मगध सम्राट जरासंध के एक पूर्वज का कुष्ठ रोग हो गया था इस रोग से निजात पाने हेतु राज्य के शाकलद्वीपीय मग ब्राह्मणों ने सूर्य देव की उपासना की थी फलस्वरूप राजा के पूर्वज को कुष्ठ रोग से छुटकारा मिला और तभी से छठ पर सूर्योपासना की प्रातः आरंभ हुई है।

छठ पर्व को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो षष्ठी तिथि (छठ) को एक विशेष खगोलीय परिवर्तन होता है, इस समय सूर्य की पराबैगनी किरणें (Ultra Violet Rays) पृथ्वी की सतह पर सामान्य से अधिक मात्रा में एकत्र हो जाती हैं इस कारण इसके सम्भावित कुप्रभावों से मानव की यथासम्भव रक्षा करने का सामर्थ्य प्राप्त होता है पर्व पालन से सूर्य (तारा) प्रकाश (पराबैगनी किरण) के हानिकारक प्रभाव से जीवों की रक्षा सम्भव है सूर्य का प्रकाश जब पृथ्वी पर पहुँचता है, तो पहले वायुमंडल मिलता है वायुमंडल में प्रवेश करने पर उसे आयन मंडल मिलता है पराबैगनी किरणों का उपयोग कर वायुमंडल अपने ऑक्सीजन तत्त्व को संश्लेषित कर उसे उसके एलोट्रोप ओजोन में बदल देता है।

इस क्रिया द्वारा सूर्य की पराबैगनी किरणों का अधिकांश भाग पृथ्वी के वायुमंडल में ही अवशोषित हो जाता है पृथ्वी की सतह पर केवल उसका नगण्य भाग ही पहुँच पाता है सामान्य अवस्था में पृथ्वी की सतह पर पहुँचने वाली पराबैगनी किरण की मात्रा मनुष्यों या जीवों के सहन करने की सीमा में होती है अत: सामान्य अवस्था में मनुष्यों पर उसका कोई विशेष हानिकारक प्रभाव नहीं पड़ता, बल्कि उस धूप द्वारा हानिकारक कीटाणु मर जाते हैं, जिससे मनुष्य या जीवन को लाभ होता है।

छठ जैसी खगोलीय स्थिति (चंद्रमा और पृथ्वी के भ्रमण तलों की सम रेखा के दोनों छोरों पर) सूर्य की पराबैगनी किरणें कुछ चंद्र सतह से परावर्तित तथा कुछ गोलीय अपवर्तित होती हुई, पृथ्वी पर पुन: सामान्य से अधिक मात्रा में पहुँच जाती हैं वायुमंडल के स्तरों से आवर्तित होती हुई, सूर्यास्त तथा सूर्योदय को यह और भी सघन हो जाती है ज्योतिषीय गणना के अनुसार यह घटना कार्तिक तथा चैत्र मास की अमावस्या के छ: दिन उपरान्त आती है ज्योतिषीय गणना पर आधारित होने के कारण इसका नाम और कुछ नहीं, बल्कि छठ पर्व ही रखा गया है।

छठ पूजा क्यों मनाई जाती हैं?

छठ व्रत पूर्ण नियम तथा निष्ठा से किया जाता है श्रद्धा भाव से किए गए इस व्रत से नि:संतान संपति को संतान सुख की प्राप्ति होती हैं और धन-धान्य की प्राप्ति होती है उपासक का जीवन सुख-समृद्धि से परिपूर्ण रहता है पारिवारिक सुख-समृद्धी तथा मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए यह पर्व मनाया जाता है स्त्री और पुरुष समान रूप से इस पर्व को मनाते हैं छठ व्रत के सम्बन्ध में अनेक कथाएँ प्रचलित हैं जिसके बारे में हम पहले ही ऊपर बता चुकें हैं।

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