दिवाली लक्ष्मी षोडशोपचार पूजा विधि: 16 चरण व मंत्र 2025 Deepawali Laxmi Puja Vidhi 2025: A Step-by-Step Guide with Samagri & Muhurat पूजा में सबसे महत्वपूर्ण है श्रद्धा व आस्था होनी चाहिए। श्रद्धा व आस्था के साथ अगर आप कोई भी कैसी भी आराधना करते हैं तो विधि-विधान से की जाने वाली पूजा जैसी ही फल प्राप्ति हो सकती है। हम यंहा आपको Deepawali Laxmi Puja Vidhi 2025 के बारे में बताने जा रहे हैं। यह दिवाली की छोटी व आसन विधि हैं।
श्री लक्ष्मी पूजन की सुगम विधि यहां विद्वान पंडित जी द्वारा दी गयी है। श्री विष्णु प्रिया लक्ष्मी धन और समृद्धि की देवी मानी जाती है। जो भी श्रद्धा के साथ उनकी आराधना करता है उसे वे समृद्धि और वैभव प्रदान करती हैं। वे सफलता की भी देवी हैं। उनकी कृपा भक्तों पर सदैव बनी रहती है। Free Upay.in द्वारा बताये जा रहे दिवाली लक्ष्मी पूजा विधि (Deepawali Laxmi Puja Vidhi 2025) को पढ़कर आप भी आप भी लक्ष्मी पूजन विधि को शुभ व उत्तम बनाइयें।
दिवाली 2025: लक्ष्मी षोडशोपचार पूजा चरण व मंत्र | Diwali Laxmi Shodashopachara Puja Vidhi 2025
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घर पर कैसे करें दीपावली की पूजा? (2025) | Deepawali Laxmi Puja Vidhi 2025: Steps, Mantra & Muhurat
घर में सुख-समृद्धि लाने के लिए दीपावली पर ऐसे करें लक्ष्मी पूजन (सही विधि) | Deepawali Puja Vidhi 2025: Laxmi, Ganesh, Kuber & Saraswati Pujan
दीपावली लक्ष्मी पूजा सामग्री लिस्ट 2025 | Deepawali Puja Samagri List in Hindi
👉 लक्ष्मी व गणेश की मूर्तियाँ, लक्ष्मी सूचक सोने अथवा चाँदी का सिक्का अथवा कुछ भी धन, लक्ष्मी स्नान के लिए स्वच्छ कपड़ा, लक्ष्मी सूचक सिक्के को स्नान के बाद पोंछने के लिए एक नया कपड़ा, अपने कारोबार से संबधित बही, तुला तिजोरी आदि, सिक्कों की थैली, कलम, एक साफ कपड़ा, धूपबत्ती, हल्दी व चूने का पावडर, रोली, चन्दन का चूरा, कलावा, आधा किलो साबुत चावल,कलश, सफेद वस्त्र, लाल वस्त्र, कपूर, नारियल, गोला, बताशे, मिठाई, फल,सूखा मेवा, खील, लौंग,
छोटी इलायची, केसर, सिन्दूर, कुंकुम, फूल, गुलाब अथवा गेंदे की माला, दुर्वा, पान के पत्ते, सुपारी, कमलगट्टा, दो कमल, मिट्टी के पांच दीपक, रुई, माचिस, सरसों का तेल, शुद्ध घी, दूध, दही, शहद, पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी व शुद्ध जल का मिश्रण),मधुपर्क (दूध, दही, शहद व शुद्ध जल का मिश्रण), शुद्ध जल, एक लकड़ी का पाटा एवं कलश।
घर पर कैसे करें दीपावली की पूजा? (2025) | Deepawali Laxmi Puja Vidhi 2025: Steps, Mantra & Muhurat
चौकी पर लाल कपड़ा बिछाए और लक्ष्मी व गणेश की मूर्तियाँ इस प्रकार रखें कि उनका मुख पूर्व या पश्चिम में रहे। लक्ष्मीजी, गणेशजी की दाहिनी ओर रहें। पूजनकर्ता मूर्तियों के सामने की तरफ बैठें। कलश को लक्ष्मीजी के पास चावलों पर रखें। नारियल को लाल वस्त्र में इस प्रकार लपेटें कि नारियल का अग्रभाग दिखाई देता रहे व इसे कलश पर रखें। यह कलश वरुण का प्रतीक है। दो बड़े दीपक रखें। एक में घी भरें व दूसरे में तेल। एक दीपक चौकी के दाईं ओर रखें व दूसरा मूर्तियों के चरणों में। कलश के तरफ नौग्रह के प्रतीक के लिए एक मुट्ठी चावल रखें।
गणेश जी के तरफ सोलह मात्रिका प्रतीक के लिए एक मुट्ठी चावल रखें। नवग्रह व षोडश मातृका के बीच में सुपारी रखें। अब पूजन की सभी सामग्री पूजा स्थल पर रखें। जल भरकर कलश रखें। एक थाली में दीपक, खील, बताशे, मिठाई, वस्त्र, आभूषण, चन्दन का लेप, सिन्दूर कुंकुम,सुपारी, पान, फूल, दुर्वा, चावल, लौंग, इलायची, केसर-कपूर, हल्दी चूने का लेप, सुगंधित पदार्थ, धूपबत्ती।
शास्त्रोक्त दीपावली लक्ष्मी पूजा: संपूर्ण षोडशोपचार पूजन विधि (2025) | Vedic Diwali Lakshmi Puja: The Shodashopachara Method (16 Steps)
सबसे पहले पवित्रीकरण विधि करें:
आप हाथ में पूजा के जलपात्र से थोड़ा सा जल ले लें और अब उसे मूर्तियों के ऊपर छिड़कें। साथ में मंत्र पढ़ें। इस मंत्र और पानी को छिड़ककर आप अपने आपको पूजा की सामग्री को और अपने आसन को भी पवित्र कर लें।
ॐ पवित्रः अपवित्रो वा सर्वावस्थांगतोऽपिवा।
यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं व वाभ्यन्तर शुचिः॥
पृथ्विति मंत्रस्य मेरुपृष्ठः ग षिः सुतलं छन्दः ||
कूर्मोदेवता आसने विनियोगः॥
अब पृथ्वी पर जिस जगह आपने आसन बिछाया है, उस जगह को पवित्र कर लें और माँ पृथ्वी को प्रणाम करके मंत्र बोलें:
ॐ पृथ्वी त्वया धृता लोका देवि त्वं विष्णुना धृता।
त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनम्॥
पृथिव्यै नमः आधारशक्तये नम: ||
अब आचमन करे: पुष्प, चम्मच या अंजुलि से एक बूँद पानी अपने मुँह में छोड़िए और बोलिए :
ॐ केशवाय नमः ||
और फिर एक बूँद पानी अपने मुँह में छोड़िए और बोलिए:
ॐ नारायणाय नमः ||
फिर एक तीसरी बूँद पानी की मुँह में छोड़िए और बोलिए:
ॐ वासुदेवाय नमः ||
फिर “ॐ हृषिकेशाय नमः”कहते हुए हाथों को खोलें और अंगूठे के मूल से होंठों को पोंछकर हाथों को धो लें। पुनः तिलक लगाने के बाद प्राणायाम व अंग न्यास आदि करें। आचमन करने से विद्या तत्व, आत्म तत्व और बुद्धि तत्व का शोधन हो जाता है तथा तिलक व अंगन्यास से मनुष्य पूजा के लिए पवित्र हो जाता है। आचमन आदि के बाद आँखें बंद करके मन को स्थिर कीजिए और तीन बार गहरी साँस लीजिए।
यानी प्राणायाम कीजिए क्योंकि भगवान के साकार रूप का ध्यान करने के लिए यह आवश्यक है फिर पूजा के प्रारंभ में स्वस्ति वाचन किया जाता है। उसके लिए हाथ में पुष्प, अक्षत और थोड़ा जल लेकर स्वस्तिन इंद्र वेद मंत्रों का उच्चारण करते हुए परम पिता परमात्मा को प्रणाम किया जाता है।
स्वस्ति-वाचन:
ॐ स्वस्ति न इंद्रो वृद्धश्रवाः स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः ।
स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्ट्टनेमिः स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॥
द्यौः शांतिः अंतरिक्षगुं शांतिः पृथिवी शांतिरापः
शांतिरोषधयः शांतिः। वनस्पतयः शांतिर्विश्वे देवाः
शांतिर्ब्रह्म शांतिः सर्वगुं शांतिः शांतिरेव शांति सा
मा शांतिरेधि। यतो यतः समिहसे ततो नो अभयं कुरु ।
शंन्नः कुरु प्राजाभ्यो अभयं नः पशुभ्यः। सुशांतिर्भवतु ॥
ॐ सिद्धि बुद्धि सहिताय श्री मन्ममहागणाधिपतये नमः
दिवाली लक्ष्मी पूजा संकल्प लेने की विधि | Diwali Laxmi Puja Sankalp Lene Ki Vidhi
संकल्प में पुष्प,फल, सुपारी, पान,चांदी का सिक्का या रूपए का सिक्का,मिठाई, मेवा, थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लेकर संकल्प मंत्र बोलें:
दिवाली लक्ष्मी पूजा संकल्प मंत्र 2025 | Diwali Laxmi Puja Sankalp Mantra 2025
ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णु:, ॐ अद्यब्रह्मणोऽह्नि द्वितीय परार्धे श्री श्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरे, अष्टाविंशतितमे कलियुगे, कलिप्रथम चरणे जम्बूद्वीपे भरतखण्डेभारतवर्षे पुण्य(अपने नगर/गांव का नाम लें) क्षेत्रे बौद्धावतारे वीरविक्रमादित्यनृपते(वर्तमान संवत),तमेऽब्दे क्रोधी नाम संवत्सरे उत्तरायणे (वर्तमान) ऋतो महामंगल्यप्रदेमासानां मासोत्तमे (वर्तमान)मासे (वर्तमान)पक्षे (वर्तमान)तिथौ (वर्तमान)वासरे (गोत्र का नाम लें)गोत्रोत्पन्नोऽहंअमुकनामा (अपना नाम लें)सकलपापक्षयपूर्वकंसर्वारिष्ट शांतिनिमित्तं सर्वमंगलकामनया-श्रुतिस्मृत्योक्तफलप्राप्त्यर्थं मनेप्सित कार्य सिद्धयर्थं श्री लक्ष्मी पूजनं च अहं करिष्ये। तत्पूर्वागंत्वेन निर्विघ्नतापूर्वक कार्यसिद्धयर्थं यथामिलितोपचारे गणपति पूजनं करिष्ये।
नवग्रह आवाहन मंत्र:
अस्मिन नवग्रहमंडले आवाहिताः सूर्यादिनवग्रहा देवाः सुप्रतिष्ठिता वरदा भवन्तु।
और अब नवग्रह का रोली,चन्दन,धूप,दीप,फल-फूल,मीठा आदि से पूजन करने के बाद निम्नलिखित मंत्र से प्रार्थना करें:
ॐ ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी भानुः शशी भूमिसतो बुधश्च गुरुश्च शुक्रः शनि राहुकेतवः सर्वेग्रहाः शांतिकरा भवन्तु॥
षोडशमातृका आवाहन विधि:
ॐ गौरी पद्या शचीमेधा सावित्री विजया जया |
देवसेना स्वधा स्वाहा मातरो लोकमातरः ||
हृटि पुष्टि तथा तुष्टिस्तथातुष्टिरात्मन: कुलदेवता : |
गणेशेनाधिका ह्यैता वृद्धौ पूज्याश्च तिष्ठतः ||
ॐ भूर्भुवः स्व: षोडशमातृकाभ्यो नमः ||
इहागच्छइह तिष्ठ ||
और अब षोडशमातृ का रोली,चन्दन,धूप,दीप,फल-फूल,मीठा आदि से पूजन करने के बाद निम्नलिखित मंत्र से प्रार्थना करें:
ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी |
दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा स्वधा नमोSस्ते ||
अनया पूजया गौर्मादि षोडश मातः प्रीयन्तां न मम |
हाथ में पुष्प लेकर गणपति का आवाहन करें: ” ऊं गं गणपतये इहागच्छ इह तिष्ठ :”|
गणपति पूजन विधि:
और अब गणपति का रोली, चन्दन, धूप, दीप, फल-फूल, मीठा आदि से पूजन करने के बाद निम्नलिखित मंत्र से प्रार्थना करें।
गजाननम्भूतगणादिसेवितं कपित्थ जम्बू फलचारुभक्षणम्।
उमासुतं शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम्।
कलश पूजन विधि:
हाथ में पुष्प लेकर वरुण का आवाहन करें.
अस्मिन कलशे वरुणं सांगं सपरिवारं सायुध सशक्तिकमावाहयामि,।
ओ३म्भूर्भुव: स्व:भो वरुण इहागच्छ इहतिष्ठ। स्थापयामि पूजयामि॥
और अब कलश का रोली, चन्दन, धूप, दीप, फल-फूल, मीठा आदि से पूजन करें।
लक्ष्मी पूजन विधि:
सबसे पहले माता लक्ष्मी का ध्यान लगाये:
ॐ या सा पद्मासनस्था, विपुल-कटि-तटी, पद्म-दलायताक्षी।
गम्भीरावर्त-नाभिः, स्तन-भर-नमिता, शुभ्र-वस्त्रोत्तरीया।।
लक्ष्मी दिव्यैर्गजेन्द्रैः। मणि-गज-खचितैः, स्नापिता हेम-कुम्भैः।
नित्यं सा पद्म-हस्ता, मम वसतु गृहे, सर्व-मांगल्य-युक्ता।।
इसके बाद लक्ष्मी देवी की प्रतिष्ठा करें. हाथ में अक्षत लेकर दिए गये मन्त्र का उच्चारण करें :
“ॐ भूर्भुवः स्वः महालक्ष्मी, इहागच्छ इह तिष्ठ, एतानि पाद्याद्याचमनीय-स्नानीयं, पुनराचमनीयम्।”
आसन मंत्र:
आसनानार्थेपुष्पाणिसमर्पयामि।
आसन के लिए फूल चढाएं
पाद्य मंत्र:
ॐअश्वपूर्वोरथमध्यांहस्तिनादप्रबोधिनीम्।
श्रियंदेवीमुपह्वयेश्रीर्मादेवींजुषाताम्।।
पादयो:पाद्यंसमर्पयामि।
जल चढाएं
अर्घ्य विधि:
हस्तयोरर्घ्यसमर्पयामि।
अर्घ्यसमर्पित करें।
आचमन विधि:
स्नानीयं जलंसमर्पयामि।
स्नानान्ते आचमनीयंजलंचसमर्पयामि।
स्नानीय और आचमनीय जल चढाएं।
पय: स्नान विधि:
ॐपय: पृथिव्यांपयओषधीषुपयोदिव्यन्तरिक्षेपयोधा:।
पयस्वती:प्रदिश:संतु मह्यम्।।
पय: स्नानंसमर्पयामि।
पय: स्नानान्तेआचमनीयं जलंसमर्पयामि।
दूध से स्नान कराएं, पुन:शुद्ध जल से स्नान कराएं और आचमन के लिए जल चढाएं।
दधि स्नान विधि:
दधिस्नानं समर्पयामि,
दधि स्नानान्तेआचमनीयंजलं समर्पयामि।
दही से स्नान कराने के बाद शुद्ध जल से स्नान कराएं तथा आचमन के लिए जल समर्पित करें।
घृत स्नान विधि:
घृतस्नानं समर्पयामि,
घृतस्नानान्ते आचमनीयंजलंसमर्पयामि।
घृत से स्नान कराकर पुन:आचमन के लिए जल चढाएं।
मधु स्नान विधि:
मधुस्नानंसमर्पयामि,
मधुस्नानान्ते आचमनीयंजलं समर्पयामि।
मधु से स्नान कराकर आचमन के लिए जल समर्पित करें।
शर्करा स्नान विधि:
शर्करास्नानं समर्पयामि,
शर्करास्नानान्तेशुद्धोदकस्नानान्तेआचमनीयं जलं समर्पयामि।
शर्करा से स्नान कराकर आचमन के लिए जल चढाएं।
पञ्चमृतस्नान विधि:
पञ्चमृतस्नानं समर्पयामि,
पञ्चामृतस्नानान्ते शुद्धोदकस्नानंसमर्पयामि,
शुद्धोदकस्नानान्तेआचमनीयंजलं समर्पयामि।
पञ्चमृत से स्नान कराकर शुद्ध जल से स्नान कराएं तथा आचमन के लिए जल चढाएं।
गन्धोदकस्नान विधि:
गन्धोदकस्नानंसमर्पयामि,
गन्धोदकस्नानान्तेआचमनीयंसमर्पयामि।
गन्धोदकसे स्नान कराकर आचमन के लिए जल चढाएं।
शुद्धोदकस्नान विधि:
शुद्धोदकस्नानंसमर्पयामि।
शुद्ध जल से स्नान कराएं तथा आचमन के लिए जल समर्पित करें।
वस्त्र अर्पित करें:
वस्त्रंसमर्पयामि,वस्त्रान्तेआचमनीयंजलंसमर्पयामि।
उपवस्त्र अर्पित करें:
उपवस्त्रंसमर्पयामि,
उपवस्त्रान्ते आचमनीयंजलंसमर्पयामि।
उपवस्त्रचढाएं तथा आचमन के लिए जल समर्पित करें।
हाथ में अक्षत लेकर मंत्रोच्चारण करें:
ऊं आद्ये लक्ष्म्यै नम:,
ओं विद्यालक्ष्म्यै नम:,
ऊं सौभाग्य लक्ष्म्यै नम:,
ओं अमृत लक्ष्म्यै नम:,
ऊं लक्ष्म्यै नम:,
ऊं सत्य लक्ष्म्यै नम:,
ऊंभोगलक्ष्म्यै नम:,
ऊं योग लक्ष्म्यै नम: ||
यज्ञोपवीत:
यज्ञोपवीतंपरपमंपवित्रंप्रजापतेर्यत्सहजं पुरस्तात्।
आयुष्यमग्यंप्रतिमुञ्चशुभ्रंयज्ञांपवीतंबलमस्तुतेज:।।
यज्ञोपवीतं समर्पयामि।
यज्ञोपवीत समर्पित करें।
गंध-अर्पण अर्पित करें:
गन्धानुलेपनंसमर्पयामि।
चंदनउपलेपित करें।
सुगंधित द्रव्य अर्पित करें:
सुगंधित द्रव्यंसमर्पयामि।
सुगंधित द्रव्य चढाएं।
अक्षत अर्पित करें:
अक्षतान्समर्पयामि।
अक्षत चढाएं।
पुष्पमाला अर्पित करें:
पुष्पमालां समर्पयामि।
पुष्पमाला चढाएं।
बिल्व पत्र अर्पित करें:
बिल्वपत्राणि समर्पयामि।
बिल्व पत्र समर्पित करें।
नाना परिमलद्रव्य अर्पित करें:
नानापरिमल द्रव्याणिसमर्पयामि।
विविध परिमल द्रव्य चढाएं
धूप जलाये:
धूपंमाघ्रापयामि।
धूप अर्पित करें।
दीप जलाये:
दीपं दर्शयामि।
दीप दिखलाएं और हाथ धो लें।
नैवेद्य अर्पित करें:
नैवेद्यं निवेदायामि।नैवेद्यान्तेध्यानम्
ध्यानान्तेआचमनीयंजलंसमर्पयामि।
नैवेद्य निवेदित करे, तदनंतर भगवान का ध्यान करके आचमन के लिए जल चढाएं।
ताम्बूल पुंगीफल अर्पित करें:
मुखवासार्थेसपुंगीफलंताम्बूलपत्रंसमर्पयामि।
पान और सुपारी चढाएं।
क्षमा प्रार्थना:
न मंत्रं नोयंत्रं तदपिच नजाने स्तुतिमहो
न चाह्वानं ध्यानं तदपिच नजाने स्तुतिकथाः ।
नजाने मुद्रास्ते तदपिच नजाने विलपनं
परं जाने मातस्त्व दनुसरणं क्लेशहरणं
विधेरज्ञानेन द्रविणविरहेणालसतया
विधेयाशक्यत्वात्तव चरणयोर्याच्युतिरभूत् ।
तदेतत् क्षंतव्यं जननि सकलोद्धारिणि शिवे
कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति
पृथिव्यां पुत्रास्ते जननि बहवः संति सरलाः
परं तेषां मध्ये विरलतरलोहं तव सुतः ।
मदीयो7यंत्यागः समुचितमिदं नो तव शिवे
कुपुत्रो जायेत् क्वचिदपि कुमाता न भवति
जगन्मातर्मातस्तव चरणसेवा न रचिता
न वा दत्तं देवि द्रविणमपि भूयस्तव मया ।
तथापित्वं स्नेहं मयि निरुपमं यत्प्रकुरुषे
कुपुत्रो जायेत क्वचिदप कुमाता न भवति
परित्यक्तादेवा विविध सेवाकुलतया
मया पंचाशीतेरधिकमपनीते तु वयसि
इदानींचेन्मातः तव यदि कृपा
नापि भविता निरालंबो लंबोदर जननि कं यामि शरणं
श्वपाको जल्पाको भवति मधुपाकोपमगिरा
निरातंको रंको विहरति चिरं कोटिकनकैः
तवापर्णे कर्णे विशति मनुवर्णे फलमिदं
जनः को जानीते जननि जपनीयं जपविधौ
चिताभस्म लेपो गरलमशनं दिक्पटधरो
जटाधारी कंठे भुजगपतहारी पशुपतिः
कपाली भूतेशो भजति जगदीशैकपदवीं
भवानि त्वत्पाणिग्रहणपरिपाटीफलमिदं
न मोक्षस्याकांक्षा भवविभव वांछापिचनमे
न विज्ञानापेक्षा शशिमुखि सुखेच्छापि न पुनः
अतस्त्वां सुयाचे जननि जननं यातु मम वै
मृडाणी रुद्राणी शिवशिव भवानीति जपतः
नाराधितासि विधिना विविधोपचारैः
किं रूक्षचिंतन परैर्नकृतं वचोभिः
श्यामे त्वमेव यदि किंचन मय्यनाधे
धत्से कृपामुचितमंब परं तवैव
आपत्सु मग्नः स्मरणं त्वदीयं
करोमि दुर्गे करुणार्णवेशि
नैतच्छदत्वं मम भावयेथाः
क्षुधातृषार्ता जननीं स्मरंति
जगदंब विचित्रमत्र किं
परिपूर्ण करुणास्ति चिन्मयि
अपराधपरंपरावृतं नहि माता
समुपेक्षते सुतं
मत्समः पातकी नास्ति
पापघ्नी त्वत्समा नहि
एवं ज्ञात्वा महादेवि
यथायोग्यं तथा कुरु
व्यापार में वृद्धि और सफलता के लिए दीपावली पर ऐसे करें लक्ष्मी पूजन (2025) | Vyapari Lakshmi Puja Vidhi for Diwali 2025
व्यापार (दुकान/ऑफिस) में तरक्की और लाभ के लिए ऐसे करें बही-खाता पूजन (दिवाली 2025) | Chopda Pujan 2025 Vidhi | The Bahi Khata Puja Vidhi for Diwali 2025
बही खाते पर रोली या केसर या चन्दन से स्वस्तिक बनाकर सरस्वती जी का आवाहन करें :
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥1॥
इसमें बाद धुप दीप आदि से पूजन करें।
धन से भरी रहेगी तिजोरी, दिवाली पर इस विधि से करें पूजन (2025) | Tijori Puja Vidhi for Diwali 2025
तिजोरी पर स्वातिक बनाकर कुबेर का आवाहन करें।
धनदाय नमस्तुभ्यं निधिपद्माधिपाय च।
भवंतु त्वत्प्रसादान्मे धनधान्यादिसम्पदः॥
धन की कामना करें।
इस पूजन के पश्चात तिजोरी में गणेशजी तथा लक्ष्मीजी की मूर्ति रखकर विधिवत पूजा करें।

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