Gangaur Vrat Katha 2025 : गणगौर पौराणिक कथा आज सुहाग का सबसे बड़ा पर्व गणगौर, पढ़ें यह कथा गणगौर एक त्योहार है जो चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन मनाया जाता है। होली के दूसरे दिन यानी चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से जो नवविवाहिताएं प्रतिदिन गणगौर पूजती हैं, वे चैत्र शुक्ल द्वितीया के दिन किसी नदी, तालाब या सरोवर पर जाकर अपनी पूजी हुई गणगौरों को पानी पिलाती हैं और दूसरे दिन सायंकाल के समय उनका विसर्जन कर देती हैं।
यह व्रत विवाहिता लड़कियों के लिए पति का अनुराग उत्पन्न कराने वाला और कुमारियों को उत्तम पति देने वाला है। इससे सुहागिनों का सुहाग अखंड रहता है।
गणगौर पूजा कब हैं? 2025
इस साल 2025 में गणगौर पूजा की शुरुआत 15 मार्च, 2025 वार शनिवार से आरम्भ होकर 31 मार्च, 2025 वार सोमवार तक की जायेगी।
गणगौर व्रत कब हैं? 2025
गणगौर व्रत पूजा (Gangaur Vrat Puja) को मार्च महीने की 31 तारीख़, वार सोमवार के दिन बनाई जायेगीं।
गणगौर व्रत कथा
एक बार महादेव पार्वती वन में गयें. चलते-चलते गहरे वन में पहुंच गयें, तो पार्वती जी ने कहा-भगवान, मुझे प्यास लगी है. महादेव ने कहा, देवी देखों उस तरफ पक्षी उड रहे है. वहां जरूर ही पानी होगा. पार्वती वहां गई. वहां एक नदी बह रही थी. पार्वती ने पानी की अंजली भरी तो दुब का गुच्छा आया, और दूसरी बार अंजली भरी तो टेसू के फूल, तीसरी बार अंजली भरने पर ढोकला नामक फल आया।
इस बात से पार्वती जी के मन में कई तरह के विचार उठे पर उनकी समझ में कुछ नहीं आया. महादेव जी ने बताया कि, आज चैत्र माह की तीज है. सारी महिलायें, अपने सुहाग के लिये “गौरी उत्सव” करती है. गौरी जौ को चढाए हुए दूब, फूल और अन्य सामग्री नदी में बहकर आ रहे है. पार्वती जी ने महादेव जी से विनती की, कि हे स्वामी, दो दिन के लिये, आप मेरे माता-पिता का नगर बनवा दें, जिससे सारी स्त्रियां यहीं आकर गणगौरी के व्रत उत्सव को करें, और मैं खुद ही उनको सुहाग बढाने वाला आशिर्वाद दूं।
महादेव जी ने अपनी शक्ति से ऎसा ही किया. थोडी देर में स्त्रियों का झुण्ड आया तो पार्वती जी को चिन्ता हुई, और महादेव जी के पास जाकर कहने लगी. प्रभु, में तो पहले ही वरदान दे चुकी, अब आप दया करके इन स्त्रियों को अपनी तरफ से सौभाग्य का वरदान दें, पार्वती के कहने से महादेव जी ने उन्हें, सौभाग्य का वरदान दिया।
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