Kalki Aarti in Hindi – कल्कि जयंती पर पढ़ें यह विशेष भगवान कल्कि की आरती कल्कि पुराण के अनुसार कलयुग में भगवान श्री विष्णु कल्कि रूप में अवतार लेंगे। यह कल्कि अवतार कलियुग और सतयुग के संधिकाल में होगा। इस अवतार में 64 कलाओं से युक्त होगे। पुराणों के अनुसार उत्तरप्रदेश के मुरादाबाद जिले के शंभल नामक स्थान पर विष्णुयशा नामक तपस्वी ब्राह्मण के घर भगवान कल्कि पुत्र रूप में जन्म लेंगे। कल्कि देवदत्त नामक घोड़े पर सवार होकर संसार से पापियों का विनाश करेंगे और धर्म की पुन:स्थापना करेंगे। स्कंद पुराण के दशम अध्याय में स्पष्ट वर्णित है कि कलियुग में भगवान श्रीविष्णु का अवतार श्री कल्कि के रुप में सम्भल ग्राम में होगा।
‘अग्नि पुराण’ के सौलहवें अध्याय में कल्कि अवतार का चित्रण तीर-कमान धारण किए हुए एक घुड़सवार के रूप में किया हैं और वे भविष्य में होंगे। कल्कि पुराण के अनुसार वह हाथ में चमचमाती हुई तलवार लिए सफेद घोड़े पर सवार होकर, युद्ध और विजय के लिए निकलेगा तथा बौद्ध, जैन और म्लेच्छों को पराजित कर सनातन राज्य स्थापित करेगा। पुराणों की यह धारणा की कोई मुक्तिदाता भविष्य में होगा सभी धर्मों ने अपनाई। श्री कल्कि आरती भगवान कल्कि जी को समर्पित हैं ! कल्कि आरती का उपयोग भगवान कल्कि जी की पूजा अर्चना करने लिया जाता है जिससे व्यक्ति को उनका आशीर्वाद प्राप्त हो सकें ! श्री कल्कि चालीसा के बारे में बताने जा रहे हैं।
Bhagwan Kalki Ki Aarti – अधर्म विनाशक कल्कि अवतार की दिव्य आरती
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ॐ जय जय सुर रक्षक असुर विनाशक,
पदमावत के प्यारे।
जै जय श्री कल्कि भक्त हितकारि,
दुष्टन मरण हारे।
जै जय खडगधारि, जय असुररि,
गौ विप्रन के रखवारे।
क्षीर (शेयर) सागर वासि, जय अविनशि,
भूमि भर उतरन हारे।
आलख निरंजन भव भैया भंजन,
जै संभल सरकारे।
भक्त जनो के पलंकरत,
अपने जनो के पलंकरता,
जै गउवन रखवारे।
जै जैकर करात सब भक्तजन,
सुनिये प्राण प्यारे।
वाइग ही सुधि लेना मेरे / मोरे स्वामि,
जलदी सुधि लेना मेरे / मोरे स्वामि,
हम सभ दस पुकरे।
जै कल्कि भगवान।।
Kalki Jayanti Puja Vidhi : Kalki Jayanti Puja Vidhi : कल्कि जयंती पूजा विधि

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