
Maa Kushmanda Vrat Katha 2025 : माँ कुष्मांडा की कथा पढ़ने पर अपने भक्तों को देती हैं दीर्घायु का आशीर्वाद नवरात्रि का चौथा दिन हम यहां आपको नवरात्रि के चौथे दिन की जाने वाली मां कुष्मांडा जी के बारे में बताने जा रहे हैं, यहां हम आपको माता कुष्मांडा देवी का स्वरूप और मां कुष्मांडा कथा की विस्तार से जानकारी दे रहे हैं।
माता कुष्मांडा देवी का स्वरूप
अपने उदर से ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण मां दुर्गा के इस स्वरुप को कूष्मांडा के नाम से पुकारा जाता है मान्यतानुसार सिंह पर सवार माँ कुष्मांडा सूर्यलोक में वास करती हैं, जो क्षमता किसी अन्य देवी देवता में नहीं है माँ कूष्मांडा अष्टभुजा धारी हैं और अस्त्र- शस्त्र के साथ माँ के एक हाथ में अमृत कलश भी है अपने दैवीय स्वरुप में मां कूष्मांडा बाघ पर सवार हैं।
माँ कुष्मांडा कथा
एक पौराणिक कथा के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब इन्हीं देवी ने ब्रह्मांड की रचना की थी ये ही सृष्टि की आदि-स्वरूपा, आदिशक्ति हैं इनका निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में है वहां निवास कर सकने की क्षमता और शक्ति केवल इन्हीं में है।
इनके शरीर की कांति और प्रभा भी सूर्य के समान ही दैदीप्यमान हैं मां कूष्मांडा की उपासना से भक्तों के समस्त रोग-शोक मिट जाते हैं इनकी भक्ति से आयु, यश, बल और आरोग्य की वृद्धि होती है मां कूष्माण्डा अत्यल्प सेवा और भक्ति से प्रसन्न होने वाली हैं।
इनका वाहन सिंह है। नवरात्र -पूजन के चौथे दिन कूष्माण्डा देवी के स्वरुप की ही उपासना की जाती है इस दिन माँ कूष्माण्डा की उपासना से आयु, यश, बल, और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है।
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