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Mangal Pradosh Vrat Katha : मंगल प्रदोष व्रत के दिन पढ़ी जाती है ये कथा होगें सभी रोगों एवं कर्जों से मुक्ति

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Mangal Pradosh Vrat Katha
Mangal Pradosh Vrat Katha

Mangal Pradosh Vrat Katha : मंगल प्रदोष व्रत के दिन पढ़ी जाती है ये कथा होगें सभी रोगों एवं कर्जों से मुक्ति हम आपको यहां पर इस व्रत कथा के साथ इसका महत्व और इसके लाभ की जानकारी देने जा रहे हैं।

Mangal Pradosh Vrat Katha का महत्व

मंगल त्रयोदशी अर्थात् मंगल प्रदोष का व्रत करने वाला मनुष्य सदा सुखी रहता है। उसके सम्पूर्ण पापों का नाश इस व्रत से हो जाता है। इस व्रत के करने से सुहागन नारियों का सुहाग सदा अटल रहता है, बंदी कारागार से छूट जाता है। जो स्त्री पुरुष जिस कामना को लेकर इस व्रत को करते हैं, उनकी सभी कामनाएं कैलाशपति शंकर जी पूरी करते हैं। सूत जी कहते हैं- त्रयोदशी व्रत करने वाले को सौ गऊ दान का फल प्राप्त होता है। इस व्रत को जो विधि विधान और तन, मन, धन से करता है उसके सभी दु:ख दूर हो जाते हैं।

सूत जी बताते है- “मंगल त्रयोदशी प्रदोष व्रत व्याधियों का नाश करता है । ऋण से मुक्ति प्रदान करता है, सुख-शान्ति और श्रीवृद्धि करता है।”

मंगल प्रदोष व्रत कथा Mangal Trayodashi Vrat Katha

एक नगर में एक वृद्धा निवास करती थी। उसके मंगलिया नामक एक पुत्र था । वृद्धा की हनुमान जी पर गहरी आस्था थी । वह प्रत्येक मंगलवार को नियमपूर्वक व्रत रखकर हनुमान जी की आराधना करती थी । उस दिन वह न तो घर लीपती थी और न ही मिट्टी खोदती थी । वृद्धा को व्रत करते हुए अनेक दिन बीत गए। एक बार हनुमान जी ने उसकी श्रद्धा की परीक्षा लेने की सोची । हनुमान जी साधु का वेश धारण कर वहां गए और पुकारने लगे -“है कोई हनुमान भक्त जो हमारी इच्छा पूर्ण करे?’ पुकार सुन वृद्धा बाहर आई और बोली- ‘आज्ञा महाराज?’ साधु वेशधारी हनुमान बोले- ‘मैं भूखा हूं, भोजन करूंगा । तू थोड़ी जमीन लीप दे।’

वृद्धा दुविधा में पड़ गई। अंततः हाथ जोड़ बोली- “महाराज! लीपने और मिट्टी खोदने के अतिरिक्त आप कोई दूसरी आज्ञा दें, मैं अवश्य पूर्ण करूंगी।” साधु ने तीन बार प्रतिज्ञा कराने के बाद कहा- ‘तू अपने बेटे को बुला। मै उसकी पीठ पर आग जलाकर भोजन बनाउंगा।’ वृद्धा के पैरों तले धरती खिसक गई, परंतु वह प्रतिज्ञाबद्ध थी। उसने मंगलिया को बुलाकर साधु के सुपुर्द कर दिया।

मगर साधु रूपी हनुमान जी ऐसे ही मानने वाले न थे। उन्होंने वृद्धा के हाथों से ही मंगलिया को पेट के बल लिटवाया और उसकी पीठ पर आग जलवाई। आग जलाकर, दुखी मन से वृद्धा अपने घर के अन्दर चली गई। इधर भोजन बनाकर साधु ने वृद्धा को बुलाकर कहा- ‘मंगलिया को पुकारो, ताकि वह भी आकर भोग लगा ले।’ इस पर वृद्धा बहते आंसुओं को पौंछकर बोली -‘उसका नाम लेकर मुझे और कष्ट न पहुंचाओ।’ लेकिन जब साधु महाराज नहीं माने तो वृद्धा ने मंगलिया को आवाज लगाई। पुकारने की देर थी कि मंगलिया दौड़ा-दौड़ा आ पहुंचा।

मंगलिया को जीवित देख वृद्धा को सुखद आश्‍चर्य हुआ। वह साधु के चरणों मे गिर पड़ी। साधु अपने वास्तविक रूप में प्रकट हुए। हनुमान जी को अपने घर में देख वृद्धा का जीवन सफल हो गया। सूत जी बोले- “मंगल प्रदोष व्रत से शंकर (हनुमान भी रुद्र हैं) और पार्वती जी इसी तरह भक्तों को साक्षात् दर्शन दे कृतार्थ करते हैं।”

Mangal Pradosh Vrat Katha के लाभ एवं फायदे

— मंगल प्रदोष व्रत करने से साधक को रोगों से मुक्ति मिलती हैं।

— इस व्रत को करने से साधक कर्ज से मुक्त हो जाता हैं।

— मंगल प्रदोष व्रत करने से जातक के जीवन में धन धान्य की कमी नही रहती हैं।

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