नरक चतुर्दशी व्रत कथा 2025: पढ़ें पूरी नहीं रहता नरक का भय Narak Chaturdashi Katha in Hindi 2025 नरक चतुर्दशी कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन किया जाता है। नरक चतुर्दशी व्रत और पूजा विधि करने से सभी व्यक्तियों को अकाल मृत्यु और नरक के भय से मुक्ति मिलती हैं।
नरक चतुर्दशी व्रत कथा 2025: पढ़ें श्रीकृष्ण और नरकासुर वध की पूरी कहानी | Sampurna Roop Chaudas Vrat Katha Aur Puja Vidhi (2025)
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Narak Chaturdashi Vrat Katha PDF in Hindi (Free Download) | नरक चतुर्दशी व्रत कथा 2025: पढ़ें सुंदरता और सौभाग्य की यह कथा
➤ नरक चतुर्दशी 2025: जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और सही नियम
➤ अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति दिलाएंगे नरक चतुर्दशी के ये उपाय
➤ यमराज पूजा विधि 2025: जानें यमदीप दान का सही नियम और मंत्र
➤ जानें नरक चतुर्दशी का महत्व और कथा
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नरक चतुर्दशी स्टोरी: हिंदी में पूरी कथा | Kali Chaudas Vrat Katha: Story of Krishna & Narakasur Vadh
नरक चतुर्दशी 2025 कब है? जानें सही तारीख | Narak Chaturdashi 2025: Date, Puja Vidhi & Time
👉 कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी कहते हैं। इस साल 2025 में नरक चतुर्दशी अक्टूबर महीने के 19 तारीख वार रविवार के दिन मनाई जाएगी।
नरक चतुर्दशी कथा | Narak Chaturdashi Katha Lyrics in Hindi | Narak Chaturdashi Vrat Katha PDF Download (Story-1)
नरक चतुर्दशी का त्योहार हर साल कार्तिक कृष्ण चतुदर्शी को यानी दीपावली के एक दिन पहले मनाया जाता है। इस चतुर्दशी तिथि को छोटी दीपावाली के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन प्रातः काल स्नान करके यम तर्पण एवं शाम के समय दीप दान का बड़ा महत्व है। Narak Chaturdashi Katha
पुराणों की कथा के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी तिथि को नरकासुर नाम के असुर का वध किया। नरकासुर ने 16 हजार कन्याओं को बंदी बना रखा था। नरकासुर का वध करके श्री कृष्ण ने कन्याओं को बंधन मुक्त करवाया। इन कन्याओं ने श्री कृष्ण से कहा कि समाज उन्हें स्वीकार नहीं करेगा अतः आप ही कोई उपाय करें। समाज में इन कन्याओं को सम्मान दिलाने के लिए सत्यभामा के सहयोग से श्री कृष्ण ने इन सभी कन्याओं से विवाह कर लिया। Narak Chaturdashi Katha
नरकासुर का वध और 16 हजार कन्याओं के बंधन मुक्त होने के उपलक्ष्य में नरक चतुर्दशी के दिन दीपदान की परंपरा शुरू हुई। एक अन्य मान्यता के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन सुबह स्नान करके यमराज की पूजा और संध्या के समय दीप दान करने से नर्क के यतनाओं और अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। इस कारण भी नरक चतु्र्दशी के दिन दीनदान और पूजा का विधान है। Narak Chaturdashi Katha
नरक चतुर्दशी दूसरी कथा | Narak Chaturdashi Katha PDF Download | Narak Chaturdashi Vrat Katha Lyrics in Hindi (Story-2)
इस दिन दक्षिण भारत में वामन पूजा का भी प्रचलन है। कहते हैं कि इस दिन राजा बलि (महाबली) को भगवान विष्णु ने वामन अवतार में हर साल उनके यहां पहुंचने का आशीर्वाद दिया था। इसी कारण से वामन पूजा की जाती है। अनुसरराज बलि बोले, हे भगवन! आपने कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी से लेकर अमावस्या की अवधि में मेरी संपूर्ण पृथ्वी नाप ली है, इसलिए जो व्यक्ति मेरे राज्य में चतुर्दशी के दिन यमराज के निमित्त दीपदान करेगा, उसे यम यातना नहीं होनी चाहिए और जो व्यक्ति इन तीन दिनों में दीपावली का पर्व मनाए, उनके घर को लक्ष्मीजी कभी न छोड़ें। ऐसे वरदान दीजिए।
यह प्रार्थना सुनकर भगवान वामन बोले- राजन! ऐसा ही होगा, तथास्तु। भगवान वामन द्वारा राजा बलि को दिए इस वरदान के बाद से ही नरक चतुर्दशी के दिन यमराज के निमित्त व्रत, पूजन और दीपदान का प्रचलन आरंभ हुआ। Narak Chaturdashi Katha
नरक चतुर्दशी तीसरी कथा | Narak Chaturdashi Katha Lyrics in Hindi | Narak Chaturdashi Vrat Katha PDF Download (Story-3)
रंति देव नामक एक धर्मात्मा राजा थे। उन्होंने अनजाने में भी कोई पाप नहीं किया था फिर भी जब मृत्यु का समय आया तो यमदूत उन्हें नरक ले जाने के लिए आ धमके। राज ने कहा कि आप मुझ पर कृपा करें और बताएं कि मेरे किस अपराध के कारण मुझे नरक जाना पड़ रहा है। Narak Chaturdashi Katha
यह सुनकर यमदूत ने कहा कि- हे राजन् एक बार आपके द्वार से एक ब्राह्मण भूखा लौट गया था, यह उसी पाप कर्म का फल है। यह सुनकर राजा ने यमदूत से एक वर्ष का समय मांगा। तब यमदूतों ने राजा को एक वर्ष की मोहलत दे दी। राजा अपनी चिंता लेकर ऋषियों के पास पहुंचे और उन्हें अपनी सारी कहानी सुनाकर उनसे इस पाप से मुक्ति का उपाय पूछा। Narak Chaturdashi Katha
तब ऋषि ने उन्हें बताया कि कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का व्रत करें और ब्राह्मणों को भोजन करवा कर उनके प्रति हुए अपने अपराधों के लिए क्षमा याचना करें। राजा ने वैसा ही किया जैसा ऋषियों ने उन्हें बताया। इस प्रकार राजा पाप मुक्त हुए और उन्हें विष्णु लोक में स्थान प्राप्त हुआ। उस दिन से पाप और नर्क से मुक्ति हेतु भूलोक में कार्तिक चतुर्दशी के दिन का व्रत प्रचलित है। Narak Chaturdashi Katha

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