WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

Radha Stavan Lyrics, PDF & Meaning | श्री राधा स्तवन

Radha Stavan Lyrics, PDF & Meaning | श्री राधा स्तवन श्री राधा स्तवन राधा रानी को समर्पित हैं। इस श्री राधा स्तवन की रचना श्री गणेश द्वारा की गई हैं। यह श्री राधा स्तवन ब्रह्मवैवर्त पुराण के अंतर्गत से लिया गया हैं। इस श्री राधा स्तवन का नित्य पाठ करने से साधक के ऊपर राधा रानी की कृपा हमेशा बनी रहती हैं। श्री राधा स्तवन के बारे में बताने जा रहे हैं।

श्री कृष्ण प्रेम पाने के लिए पढ़ें यह दिव्य श्री राधा स्तवन (अर्थ सहित) | Radha Stavan PDF Download in Hindi & Sanskrit

हमारी वेबसाइट FreeUpay.in (फ्री उपाय.इन) में रोजाना आने वाले व्रत त्यौहार की जानकारी के अलावा मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र, साधना, व्रत कथा, ज्योतिष उपाय, लाल किताब उपाय, स्तोत्र आदि महत्वपूर्ण जानकारी उबलब्ध करवाई जाएगी सभी जानकारी का अपडेट पाने के लिए दिए गये हमारे WhatsApp Group Link (व्हात्सप्प ग्रुप लिंक) क्लिक करके Join (ज्वाइन) कर सकते हैं।

हर समस्या का फ्री उपाय (Free Upay) जानने के लिए हमारे WhatsApp Channel (व्हात्सप्प चैनल) से जुड़ें: यहां क्लिक करें (Click Here)

Radha Stavan
Radha Stavan

श्रीगणेश उवाच ।

तव पूजा जगन्मातर्लोकशिक्षाकरी शुभे।

ब्रह्मस्वरूपा भवती कृष्णवक्षःस्थलस्थिता ॥ १॥

यत्पादपद्ममतुतलं ध्यायन्ते ते सुदुर्लभम् ।

सुरा ब्रह्मेशशेषाद्या मुनीन्द्राः सनकादयः ॥ २॥

जिवन्मुक्ताश्च भक्ताश्च सिद्धेन्द्राः कपिलादयः ।

तस्य प्राणाधिदेवि त्वं प्रिया प्राणाधिका परा ॥ ३॥

वामाङ्गनिर्मिता राधा दक्षिणाङ्गश्च माधवः ।

महालक्ष्मीर्जगन्माता तव वामाङ्गनिर्मिता ॥ ४॥

वसोः सर्वनिवासस्य प्रसूस्त्वं परमेश्वरी ।

वेदानां जगतामेव मूलप्रकृतिरीश्वरी ॥ ५॥

सर्वाः प्राकृतिका मातः सृष्ट्यां च त्वद्विभूतयः ।

विश्वानि कार्यरूपाणि त्वं च कारणरूपिणी ॥ ६॥

प्रलये ब्रह्मणः पाते तन्निमेषो हरेरपि ।

आदौ राधां समुच्चार्य पश्चात् कृष्णं परात्परम् ॥ ७॥

स एव पण्डितो योगी गोलोकं याति लीलया ।

व्यतिक्रमे महापी ब्रह्महत्यां लभेद् ध्रुवम् ॥ ८॥

जगतां भवती माता परमात्मा पिता हरिः ।

पितुरेव गुरुर्माता पूज्या वन्द्या परत्परा ॥ ९॥

भजते देवमन्यं वा कृष्णं वा सर्वकारणम् ।

पुण्यक्षेत्रे महामूढो यदि निन्दा राधीकाम् ॥ १०॥

वंशहानिर्भवेत्तस्य दुःखशोकमिहैव च ।

पच्यते निरते घोरे याव द्रदिवाकरौ ॥ ११॥

गुरुश्च ज्ञानोद्गिरणाज्ज्ञानं स्यान्मंत्रतंत्रयोः ।

स च मन्त्रश्च तत्तन्त्रं भक्तिः स्याद् युवयोर्यतः ॥ १२॥

निशेव्य मन्त्रं देवानां जीवा जन्मनि जन्मनि ।

भक्ता भवन्ति दुर्गायाः पादपद्मे सुदुर्लभे ॥ १३॥

निषेव्य मन्त्रं शम्भोश्च जगतां कारणस्य च ।

तदा प्राप्नोति युवयोः पादपद्मं सुदुर्लभम् ॥ १४॥

युवयोः पादपद्मं च दुर्लभं प्राप्य पुण्यवान् ।

क्षणार्धं षोडशांशं च न हि मुञ्चति दैवतः ॥ १५॥

भक्त्या च युवयोर्मन्त्रं गृहीत्वा वैष्णवादपि ।

स्तवं वा कवचं वापि कर्ममूलनिकृन्तनम् ॥ १६॥

यो जपेत् परया भक्त्या पुण्यक्षेत्रे च भारते ।

पुरुषाणां सहस्रं च स्वात्मना सार्धमुद्धरेत् ॥ १७॥

गुरुमभ्यर्च्य विधिवद् वस्त्रालंकारचन्दनैः ।

कवचं धारयेद् यो हि विष्णुतुल्यो भवेद् ध्रुवम् ॥ १८॥

॥ इति श्री ब्रह्मवैवर्ते गणेशकृतं श्रीराधास्तवनं सम्पूर्णम् ॥

👉 Radha Parihar Stotram | पाप, ताप और संताप मिटाने वाला श्री राधा परिहार स्तोत्र

👉 श्रीमद् राधा अष्टकम् (PDF) | Shrimad Radhashtakam Lyrics, Meaning & Benefits

👉 श्री राधाकृष्ण स्तोत्रम् (PDF) | Shri Radhakrishna Stotram Lyrics, Meaning & Benefits

👉 Radhakrishna Aarti Lyrics & PDF | श्री राधाकृष्ण जी की आरती

👉 श्री राधाकृष्ण अष्टकम् (PDF) | Radha Krishna Ashtakam Lyrics, Meaning & Benefits

वैदिक उपाय और 30 साल फलादेश के साथ जन्म कुंडली बनवाए केवल 500/- रूपये में: पूरी जानकारी यहां पढ़े

10 वर्ष के उपाय के साथ अपनी लाल किताब की जन्मपत्री बनवाए केवल 500/- रूपये में: पूरी जानकारी यहां पढ़े

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

Leave a Comment

Call Us Now
WhatsApp
We use cookies in order to give you the best possible experience on our website. By continuing to use this site, you agree to our use of cookies.
Accept