Raksha Bandhan Shubh Muhurat Aur Puja Vidhi – राखी बांधने का शुभ समय और भद्रा काल यह तो आप सब पहले से जानते हो की रक्षाबंधन श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन बनाया जाता है। सब जानते है की रक्षा बंधन को भाई और बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक कहा जाता है। भाई बहन दोनों ही इस दिन का बहुत बेसब्री से इंतज़ार करते है। हम यंहा आपको रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं।
Raksha Bandhan Muhurat – राखी बांधने के लिए सबसे शुभ समय
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रक्षाबंधन 2025 कब हैं?
इस साल 2025 में रक्षा बंधन का पर्व 09 अगस्त, वार शनिवार के दिन बनाया जा रहा है।
रक्षाबंधन शुभ मुहूर्त 2025
सुबह 07:35 बजे से सुबह 09:15 बजे तक।
दोपहर 12:08 बजे से दोपहर 12:56 बजे तक।
दोपहर 12:32 बजे से सांय 05:26 बजे तक।
रक्षाबंधन पूजा विधि || Raksha Bandhan Puja Vidhi
यंहा हम रक्षाबंधन के दिन राखी बांधने में दी गई यह सात चीजे जरुरी होनी चाहिए जो की निम्न प्रकार से है:
कुमकुम:
तिलक मान-सम्मान का भी प्रतीक है. बहन कुमकुम का तिलक लगाकर भाई के प्रति सम्मान प्रकट करती है तथा भाई की लंबी उम्र की कामना भी करती है. इसलिए थाली में कुमकुम विशेष रूप से रखना चाहिए।
चावल:
चावल शुक्र ग्रह से भी संबंधित है. शुक्र ग्रह के प्रभाव से ही जीवन में भौतिक सुख-सुविधाओं की प्राप्ति होती है. तिलक लगाने बाद तिलक के ऊपर चावल भी लगाए जाते हैं. तिलक के ऊपर चावल लगाने का भाव यह है कि भाई के जीवन पर तिलक का शुभ असर हमेशा बना रहे. तथा भाई को समस्त भौतिक सुख-सुविधाएं प्राप्त हों।
नारियल:
बहन अपने भाई को तिलक लगाने के बाद हाथ में नारियल देती है. नारियल को श्रीफल भी कहा जाता है. श्री यानी देवी लक्ष्मी का फल. यह सुख – समृद्धि का प्रतीक है. बहन भाई को नारियल देकर यह कामना करती है कि भाई के जीवन में सुख और समृद्धि हमेशा बनी रहे और वह लगातार उन्नति करता रहे. यह नारियल भाई को वर्षपर्यंत अपने घर मे रखना चाहिए।
रक्षा सूत्र (राखी):
बहन राखी बांधकर अपने भाई से उम्र भर रक्षा करने का वचन लेती हैं. भाई को भी ये रक्षा सूत्र इस बात का अहसास करवाता रहता है कि उसे हमेशा बहन की रक्षा करनी है. रक्षा सूत्र का अर्थ है, वह सूत्र (धागा) जो हमारे शरीर की रक्षा करता है. रक्षा सूत्र बांधने से त्रिदोष शांत होते हैं. त्रिदोष यानी वात, पित्त और कफ. हमारे शरीर में कोई भी बीमारी इन दोषों से ही संबंधित होती है. रक्षा सूत्र कलाई पर बांधने से शरीर में इन तीनों का संतुलन बना रहता है. ये धागा बांधने से कलाई की नसों पर दबाव बनता है, जिससे ये तीनों दोष निंयत्रित रहते हैं।
मिठाई:
राखी बांधने के बाद बहन अपने भाई को मिठाई खिलाकर उसका मुंह मीठा करती है. मिठाई खिलाना इस बात का प्रतीक है कि बहन और भाई के रिश्ते में कभी कड़वाहट न आए, मिठाई की तरह यह मिठास हमेशा बनी रहे।
दीपक:
राखी बांधने के बाद बहन दीपक जलाकर भाई की आरती भी उतारती है. इस संबंध में मान्यता है कि आरती उतारने से सभी प्रकार की बुरी नजरों से भाई की रक्षा हो जाती है. आरती उतारकर बहन कामना करती है कि भाई हमेशा स्वस्थ और सुखी रहे।
गंगाजल से भरा कलश:
राखी की थाली में गंगाजल से भरा हुआ एक कलश भी रखा जाता है. इसी जल को कुमकुम में मिलाकर तिलक लगाया जाता है. हर शुभ काम की शुरुआत में जल से भरा कलश रखा जाता है. ऐसी मान्यता है कि इसी कलश में सभी पवित्र तीर्थों और देवी-देवताओं का वास होता है. इस कलश की प्रभाव से भाई और बहन के जीवन में सुख और स्नेह सदैव बना रहता है।
राखी बनाने की विधि || Rakhi Bandhne Ki Vidhi
वैदिक राखी बनाने के लिए दी हुई वस्तु होनी चाहिए : दूब (घास), अक्षत (चावल), केसर, चन्दन, पीली सरसों के दाने, इन पाँचों वस्तुओं को रेशम के कपडे में बाँध दें या सिलाई कर दें . फिर उसे कलावा में पिरो दें , इस प्रकार आपकी वैदिक राखी तैयार की जाती है।
वैदिक राखी में प्रयुक्त चीजो का महत्व:
दूब: राखी मे दूब की अवधारणा यह है कि जिस प्रकार दूब का अंकुर बो देने पर तेजी से फैलता है और हजारों की संख्या में उग जाता है. उसी प्रकार भाई का वंश और उसके सद्गगुणों का विकास हो. सदाचार मन की पवित्रता तेजी से बढती जाये।
अक्षत: राखी मे अक्षत की अवधारणा यह है कि हमारी भाई के प्रति श्रद्धा कभी क्षत-विक्षत न हो. सदैव बनी रहे।
केसर: राखी मे केसर की अवधारणा यह है कि जिस प्रकार केसर की प्रकृति तेज होती है उसी प्रकार हमारा भाई भी तेजस्वी हो. उसके जीवन में आध्यात्मिकता एवं भक्ति का तेज कभी भी कम न हो।
चंदन: राखी मे चंदन की अवधारणा यह है कि चंदन सुगंध और शीतलता देता है उसी प्रकार भाई के जीवन में कभी मानसिक तनाव न हो. उसका जीवन सुगंध और शीतलता से ओतप्रोत हो।
पीली सरसों के दाने: राखी मे पीली सरसों के दाने की अवधारणा यह है कि जिस प्रकार सरसों की प्रकृति तीक्ष्ण होती है उसी प्रकार उसका भाई समाज के दुर्गुणों एवं बुराइयों को समाप्त करने में तीक्ष्ण बने।
Rashi Wise Raksha Bandhan Gifts – राशि के हिसाब से बहन को खुश करने के लिए खास तोहफे
Rashi Anusar Rakhi Bandhe – भाई के नाम के हिसाब से राशि के अनुसार चुनें सही राखी
Raksha Bandhan Ke Upay – पारिवारिक सुख और समृद्धि के लिए राखी पर करें ये उपाय
राखी बांधने की विधि || Rakhi Bandhne Ki Vidhi
पांच वस्तुओं से बनी हुई एक राखी को सर्वप्रथम अपने ईष्ट के चित्र पर अर्पित करनी चाहिए. फिर बहनें अपने भाई को, माता अपने बच्चों को, दादी अपने पोते को शुभ संकल्प करके बांधे।
राखी बांधते समय यह श्लोक बोलें
”येन बद्धो बलिःराजा दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चलः ||

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