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Sankatmochan Hanuman Ashtak Lyrics & PDF: संकटमोचन हनुमान अष्टक 2025

Sankatmochan Hanuman Ashtak Lyrics & PDF: संकटमोचन हनुमान अष्टक 2025 हम यहां आपको हनुमानाष्टक (बाल समय रवि भक्ष लियो तब, तीनहुं लोग भयो अंधियारो) के बारे में बताने जा रहे हैं इस संकटमोचन हनुमान अष्टक का पाठ श्री हनुमान जी पूजा अर्चना के समय करना शुभ एवं लाभदायक माना गया है। सभी व्यक्ति को हर रोज या फिर मंगलवार और शनिवार को संकटमोचन हनुमान अष्टक का पाठ करना चाहिए।

संकटमोचन हनुमान अष्टक की रचना तुलसीदासजी द्वारा की गई है। कहते हैं जो व्यक्ति रोजाना हनुमान जी की पूजा अर्चना करते समय संकटमोचन हनुमान अष्टक का पाठ करना हैं उसे हनुमानजी की भक्ति के साथ साथ सभी संकट दूर हो जाते है।

संकटमोचन हनुमान अष्टक (बाल समय रवि भक्ष लियो) – Sankatmochan Hanuman Ashtak PDF in Hindi for Daily Chanting

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Sankatmochan Hanuman Ashtak
Sankatmochan Hanuman Ashtak

बाल समय रवि भक्ष लियो तब, तीनहुं लोक भयो अंधियारों।

ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो।

देवन आनि करी बिनती तब, छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो।

को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।

बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि, जात महाप्रभु पंथ निहारो।

चौंकि महामुनि साप दियो तब, चाहिए कौन बिचार बिचारो।

कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु, सो तुम दास के सोक निवारो।

को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।

अंगद के संग लेन गए सिय, खोज कपीस यह बैन उचारो।

जीवत ना बचिहौ हम सो जु, बिना सुधि लाये इहां पगु धारो।

हेरी थके तट सिन्धु सबे तब, लाए सिया-सुधि प्राण उबारो।

को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।

रावण त्रास दई सिय को सब, राक्षसी सों कही सोक निवारो।

ताहि समय हनुमान महाप्रभु, जाए महा रजनीचर मरो।

चाहत सीय असोक सों आगि सु, दै प्रभु मुद्रिका सोक निवारो।

को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।

बान लाग्यो उर लछिमन के तब, प्राण तजे सूत रावन मारो।

लै गृह बैद्य सुषेन समेत, तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो।

आनि सजीवन हाथ दिए तब, लछिमन के तुम प्रान उबारो।

को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।

रावन जुध अजान कियो तब, नाग कि फांस सबै सिर डारो।

श्रीरघुनाथ समेत सबै दल, मोह भयो यह संकट भारो।

आनि खगेस तबै हनुमान जु, बंधन काटि सुत्रास निवारो।

को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।

बंधू समेत जबै अहिरावन, लै रघुनाथ पताल सिधारो।

देबिन्हीं पूजि भलि विधि सों बलि, देउ सबै मिलि मंत्र विचारो।

जाये सहाए भयो तब ही, अहिरावन सैन्य समेत संहारो।

को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।

काज किए बड़ देवन के तुम, बीर महाप्रभु देखि बिचारो।

कौन सो संकट मोर गरीब को, जो तुमसे नहिं जात है टारो।

बेगि हरो हनुमान महाप्रभु, जो कछु संकट होए हमारो।

को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।

।। दोहा ।।

लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर।

वज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि सूर।।

जय श्रीराम, जय हनुमान, जय हनुमान।

👉 संकटमोचन हनुमान अष्टक का पाठ करने के लाभ | Sankat Mochan Hanuman Ashtak Path Ke Labh & Benefits

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