Sharad Purnima 2025: Date, Puja Vidhi, Vrat Katha & Kheer Significance कोजागरी पूर्णिमा (शरद पूर्णिमा) 2025: जानें सही तारीख, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत कथा और खीर का महत्व हिन्दू पंचांग अनुसार हर मास में आने वाली प्रत्येक पूर्णिमा का अपना अपना महत्व होता है, परन्तु सभी पूर्णिमाओं में अत्यधिक महत्वपूर्ण एवं कल्याणकारी शरद पूर्णिमा मानी गई हैं।
हिन्दू शास्त्रों के मान्यता अनुसार, अश्विन मास में आने वाली पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस पूर्णिमा को अनेक नामों से जाना जाता हैं जैसे की कौमुदी अर्थात चन्द्र प्रकाश, कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा आदि। हमारे हिन्दू ग्रंथों के अनुसार, शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा धरती के सबसे निकट होता है। इस पूर्णिमा की रात्रि में चंद्रमा की दूधिया रोशनी धरती को प्रकाशमय करती है।
शरद पूर्णिमा कब है 2025 में? जानें सही तारीख, मुहूर्त और पूजा का समय | Sharad Purnima | Kojagari Purnima 2025: Date, Time, Significance & Kheer Ritual
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कोजागरी लक्ष्मी पूजा 2024: शरद पूर्णिमा पर धन-समृद्धि के लिए ऐसे करें पूजन | Kojagari Lakshmi Purnima 2025: Date, Muhurat & Traditions
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शरद पूर्णिमा कब आती हैं? | When does Sharad Purnima come?
➤ अश्विन मास में आने वाली पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है।
शरद पूर्णिमा कब हैं 2025 | When is Sharad Purnima 2025
➤ शरद पूर्णिमा व्रत को अक्टूबर महीने की 06 तारीख़, वार सोमवार के दिन बनाई जायेगी।
शरद पूर्णिमा 2025 तिथि: Sharad Purnima Tithi 2025
➤ पूर्णिमा तिथि आरम्भ: दोपहर 12:23 बजे से (06 अक्टूबर 2025)
➤ पूर्णिमा तिथि समाप्त: सुबह 09:16 बजे तक (07 अक्टूबर 2025)
शरद पूर्णिमा पूजा मुहूर्त 2025: Sharad Purnima Puja Muhurta 2025
सूर्योदय से सुबह 07:50 बजे तक।
सुबह 09:18 बजे से सुबह 10:46 बजे तक।
दोपहर 01:43 बजे से संध्या 07:40 बजे तक।
शरद पूर्णिमा का महत्व 2025 | Sharad Purnima Importance, Rituals & Moon Benefits
शरद पूर्णिमा व्रत पर ऐसी मान्यता है कि माता श्री लक्ष्मी का जन्म शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था। इसलिए देश के कई शहरों में शरद पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी पूजन किया जाता है ! द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था जब माता श्री लक्ष्मी जी ने राधा रूप में अवतरित हुई थी। भगवान श्री कृष्ण और राधा की अद्भुत रासलीला का आरंभ भी शरद पूर्णिमा के दिन माना जाता है।
शिव भक्तों के लिए शरद पूर्णिमा व्रत का विशेष महत्व है। मान्यता है कि भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र कुमार कार्तिकेय का जन्म भी शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था। इसी कारण से इसे कुमार पूर्णिमा भी कहा जाता है। पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में इस दिन कुमारी कन्याएं प्रातः स्नान करके सूर्य और चन्द्रमा की पूजा करती हैं। माना जाता है कि इससे योग्य पति प्राप्त होता है।
इस दिन मनुष्य विधिपूर्वक स्नान करके उपवास रखे और जितेन्द्रिय भाव से रहे। मां लक्ष्मी की प्रतिमा को स्थापित कर भिन्न-भिन्न उपचारों से उनकी पूजा करें, तदनंतर सायंकाल में चन्द्रोदय होने पर घी के 100 दीपक जलाए। इस रात्रि की मध्यरात्रि में देवी महालक्ष्मी अपने कर-कमलों में वर और अभय लिए संसार में विचरती हैं और मन ही मन संकल्प करती हैं कि इस समय भूतल पर कौन जाग रहा है? जागकर मेरी पूजा में लगे हुए उस मनुष्य को मैं आज धन दूंगी।
इस प्रकार यह शरद पूर्णिमा, कोजागर व्रत लक्ष्मीजी को संतुष्ट करने वाला है। इससे प्रसन्न हुईं मां लक्ष्मी इस लोक में तो समृद्धि देती ही हैं और शरीर का अंत होने पर परलोक में भी सद्गति प्रदान करती हैं। मंत्र : ‘ॐ इन्द्राय नमः’, ‘ॐ कुबेराय नमः’ “ॐ धनदाय नमस्तुभ्यं, निधि-पद्माधिपाय च। भवन्तु त्वत्-प्रसादान्ने, धन-धान्यादि-सम्पदः।।”
पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में इस दिन कुमारी कन्याएं प्रातः काल स्नान करके सूर्य और चन्द्रमा की पूजा करती हैं। माना जाता है कि इससे उन्हें योग्य पति की प्राप्त होती है। अनादिकाल से चली आ रही प्रथा का आज फिर निर्वाह किया जाएगा। स्वास्थ्य और अमृत्व की चाह में एक बार फिर खीर आदि को शरद-चंद्र की चांदनी में रखा जाएगा और प्रसाद स्वरूप इसका सेवन किया जाएगा ।

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