श्री राधाकृष्ण स्तोत्रम् (PDF) | Shri Radhakrishna Stotram Lyrics, Meaning & Benefits यह श्री राधा कृष्ण स्तोत्र नारदपाञ्चरात्र के अन्तर्गतम् से लिया गया हैं। श्री राधा कृष्ण स्तोत्र भगवान श्री कृष्ण जी और राधा रानी दोनों को समर्पित हैं। श्री राधा कृष्ण स्तोत्र का पाठ विशेष रूप से श्री कृष्ण जन्माष्टमी या भगवान श्री कृष्ण जी से संबंधित अन्य कई त्योहारों पर किया जाता हैं। श्री राधा कृष्ण स्तोत्र का नियमित रूप से पाठ करने से भगवान श्री कृष्ण जी और राधा रानी जी को आसानी से प्रसन्न किया जा सकता हैं। श्री राधा कृष्ण स्तोत्र के बारे में बताने जा रहे हैं।
प्रेम और आनंद के लिए पढ़ें यह दिव्य राधाकृष्ण स्तोत्र (अर्थ सहित) | Powerful Radhakrishna Stotram for Love, Devotion & a Blessed Life
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वन्दे नवघनश्यामं पीतकौशेयवाससम् ।
सानन्दं सुन्दरं शुद्धं श्रीकृष्णं प्रकृतेः परम् ॥ १ ॥
राधेशं राधिकाप्राणवल्लभं वल्लवीसुतम् ।
राधासेवितपादाब्जं राधावक्षस्थलस्थितम् ॥ २ ॥
राधानुगं राधिकेष्टं राधापहृतमानसम् ।
राधाधारं भवाधारं सर्वाधारं नमामि तम् ॥ ३ ॥
राधाहृत्पद्ममध्ये च वसन्तं सन्ततं शुभम् ।
राधासहचरं शश्वत् राधाज्ञापरिपालकम् ॥ ४ ॥
ध्यायन्ते योगिनो योगान् सिद्धाः सिद्धेश्वराश्च यम् ।
तं ध्यायेत् सततं शुद्धं भगवन्तं सनातनम् ॥ ५ ॥
निर्लिप्तं च निरीहं च परमात्मानमीश्वरम् ।
नित्यं सत्यं च परमं भगवन्तं सनातनम् ॥ ६ ॥
यः सृष्टेरादिभूतं च सर्वबीजं परात्परम् ।
योगिनस्तं प्रपद्यन्ते भगवन्तं सनातनम् ॥ ७ ॥
बीजं नानावताराणां सर्वकारणकारणम् ।
वेदवेद्यं वेदबीजं वेदकारणकारणम् ॥ ८ ॥
योगिनस्तं प्रपद्यन्ते भगवन्तं सनातनम् ।
गन्धर्वेण कृतं स्तोत्रं यः पठेत् प्रयतः शुचिः ।
इहैव जीवन्मुक्तश्च परं याति परां गतिम् ॥ ९ ॥
हरिभक्तिं हरेर्दास्यं गोलोकं च निरामयम् ।
पार्षदप्रवरत्वं च लभते नात्र संशयः ॥ १० ॥
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