Siddhidatri Vrat Katha in Hindi: नवरात्रि नौवां दिन (महानवमी): मां सिद्धिदात्री की व्रत कथा, पूजा विधि और मंत्र माँ सिद्धिदात्री जी के बारे में बताने जा रहे हैं, यहां हम आपको माता सिद्धिदात्री देवी का स्वरूप और मां सिद्धिदात्री कथा की विस्तार से जानकारी दे रहे हैं।
🕉️ नवरात्रि नौवां दिन: सभी 8 सिद्धियों का वरदान देती है यह कथा, पढ़ें मां सिद्धिदात्री की कहानी | Siddhidatri Vrat Katha Lyrics & Text
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Maa Siddhidatri Vrat Katha 2025: माता सिद्धिदात्री देवी का स्वरूप
सिद्धिदात्री के चार हाथ है जिनमें वह शंख, गदा, कमल का फूल तथा चक्र धारण करे रहती हैं। यह कमल पर विराजमान रहती हैं। इनके गले में सफेद फूलों की माला तथा माथे पर तेज रहता है। इनका वाहन सिंह है। देवीपुराण और ब्रह्मवैवर्त पुराण में देवी की शक्तियों और महिमाओं का बखान किया गया है।
आस्थावान भक्तों की मान्यता है कि इस दिन शास्त्रीय विधि-विधान और पूर्ण निष्ठा के साथ माता की उपासना करने से उपासक को सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती है। शिव जी का आधा शरीर नर और आधा शरीर नारी का इन्हीं की कृपा से प्राप्त हुआ था। इसलिए शिव जी विश्व में अर्द्धनारीश्वर के नाम से प्रसिद्ध हुए थे। माना जाता है कि माता सिद्धिदात्री पूजा करने से लौकिक व परलौकिक शक्तियों की प्राप्ति होती है।
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देवी पुराण में ऐसा उल्लेख मिलता है कि भगवान शंकर ने भी इन्हीं की कृपा से सिद्धियों को प्राप्त किया था। ये कमल पर आसीन हैं और केवल मानव ही नहीं बल्कि सिद्ध, गंधर्व, यक्ष, देवता और असुर सभी इनकी आराधना करते हैं। संसार में सभी वस्तुओं को सहज और सुलभता से प्राप्त करने के लिए नवरात्र के नवें दिन इनकी पूजा की जाती है।
भगवान शिव ने भी सिद्धिदात्री देवी की कृपा से तमाम सिद्धियां प्राप्त की थीं। इस देवी की कृपा से ही शिवजी का आधा शरीर देवी का हुआ था। इसी कारण शिव अर्द्धनारीश्वर नाम से प्रसिद्ध हुए। इस देवी का पूजन, ध्यान, स्मरण हमें इस संसार की असारता का बोध कराते हैं और अमृत पद की ओर ले जाते हैं।

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