सूर्य षष्ठी व्रत कथा 2025: पढ़ें छठी मैया की यह पौराणिक कहानी Surya Shashti Vrat Katha in Hindi PDF हम यहां आपको सूर्य षष्ठी कब मनाई जाती हैं, और सूर्य षष्ठी मनाने के पीछे की व्रत कथा के बारे में यहां बताने जा रहे हैं नीचे बताई जा रही सूर्य षष्ठी व्रत कथा का पाठ आपको सूर्य षष्ठी के दिन करना चाहिए इससे सूर्यदेव का आशीर्वाद प्राप्त होता हैं।
Surya Shashti Puja Vrat Katha 2025: Read the Complete Story of Surya Chhath: सूर्य षष्ठी व्रत कथा (छठ पूजा) PDF डाउनलोड
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Surya Shashti Katha PDF in Hindi (Free Download 2025) | इस कथा के बिना अधूरा है छठ का 36 घंटे का कठिन व्रत, जानें पूरी कहानी
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सूर्य षष्ठी व्रत कथा: कहानी, विधि व तिथि 2025 | Surya Shashti Katha in Hindi: The Story of King Priyavrat & Chhathi Maiya
सूर्य षष्ठी व्रत 2025 कब है? जानें सही तारीख | Surya Shashti 2025: Date, Puja Vidhi & Time
👉 कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पूजा का पर्व मनाया जाता हैं। इस साल 2025 में सूर्य षष्ठी पूजा अक्टूबर महीने के 28 तारीख वार मंगलवार के दिन मनाया जायेगा।
➤ इस साल 2025 में सूर्य षष्ठी का पर्व 29 अगस्त, वार शुक्रवार के दिन मनाया जायेगा।
Surya Shashti Vrat Story in Hindi: सूर्य षष्ठी व्रत कहानी यहां पढ़ें
छठ व्रत भगवान सूर्यदेव को समर्पित एक विशेष पर्व है। भारत के कई हिस्सों में खासकर यूपी और बिहार में तो इसे महापर्व माना जाता है। शुद्धता, स्वच्छता और पवित्रता के साथ मनाया जाने वाला यह पर्व आदिकाल से मनाया जा रहा है। छठ व्रत में छठी माता की पूजा होती है और उनसे संतान की रक्षा का वर मांगा जाता है। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाए जाने वाले छठ व्रत का वर्णन भविष्य पुराण में सूर्य षष्ठी के रूप में है। Surya Shashti Vrat Katha
हालांकि लोक मान्यताओं के अनुसार सूर्य षष्ठी या छठ व्रत की शुरुआत रामायण काल से हुई थी। इस व्रत को सीता माता समेत द्वापर युग में द्रौपदी ने भी किया था। छठ व्रत कथा: Surya Shashti Vrat Katha
कथा के अनुसार प्रियव्रत नाम के एक राजा थे। उनकी पत्नी का नाम मालिनी था। परंतु दोनों की कोई संतान न थी। इस बात से राजा और उसकी पत्नी बहुत दुखी रहते थे। उन्होंने एक दिन संतान प्राप्ति की इच्छा से महर्षि कश्यप द्वारा पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया। इस यज्ञ के फल स्वरूप रानी गर्भवती हो गई। नौ महीने बाद संतान सुख को प्राप्त करने का समय आया तो रानी को मरा हुआ पुत्र प्राप्त हुआ। इस बात का पता चलने पर राजा को बहुत दुख हुआ। संतान शोक में वह आत्म हत्या का मन बना लिया। परंतु जैसे ही राजा ने आत्महत्या करने की कोशिश की उनके सामने एक सुंदर देवी प्रकट हुईं। Surya Shashti Vrat Katha
देवी ने राजा को कहा कि “मैं षष्टी देवी हूं”। मैं लोगों को पुत्र का सौभाग्य प्रदान करती हूं। इसके अलावा जो सच्चे भाव से मेरी पूजा करता है मैं उसके सभी प्रकार के मनोरथ को पूर्ण कर देती हूं। यदि तुम मेरी पूजा करोगे तो मैं तुम्हें पुत्र रत्न प्रदान करूंगी।” देवी की बातों से प्रभावित होकर राजा ने उनकी आज्ञा का पालन किया। राजा और उनकी पत्नी ने कार्तिक शुक्ल की षष्टी तिथि के दिन देवी षष्टी की पूरे विधि -विधान से पूजा की। इस पूजा के फलस्वरूप उन्हें एक सुंदर पुत्र की प्राप्ति हुई। Surya Shashti Vrat Katha
तभी से छठ का पावन पर्व मनाया जाने लगा। छठ व्रत के संदर्भ में एक अन्य कथा के अनुसार जब पांडव अपना सारा राजपाट जुए में हार गए, तब द्रौपदी ने छठ व्रत रखा। इस व्रत के प्रभाव से उसकी मनोकामनाएं पूरी हुईं तथा पांडवों को राजपाट वापस मिल गया। Surya Shashti Vrat Katha

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