नवरात्रि 2025: संपूर्ण तांत्रोक्तं देवी सूक्तम् (PDF) Ya Devi Sarva Bhuteshu Mantra | Tantroktam Devi Suktam in Hindi Lyrics, Meaning & Benefits Tantroktam Devi Suktam श्री दुर्गा सप्तशती का एक भाग हैं। तन्त्रोक्तं देविसुक्तम् चंडी के रूप का पाठ जाना जाता हैं। तन्त्रोक्तं देविसुक्तम् का देवी महात्म्य के अंत में पढ़ाया जाता है। Tantroktam Devi Suktam का नियमित रूप से पाठ करने से व्यक्ति के किसी भी प्रकार से कोई बाधा नही आती हैं। Tantroktam Devi Suktam के बारे में बताने जा रहे हैं।
सर्व बाधा मुक्ति और मनोकामना पूर्ति के लिए चमत्कारी तांत्रोक्तं देवी सूक्तम् | Tantroktam Devi Suktam from Durga Saptashati PDF Download (Chapter 5) for Protection & Wish Fulfillment
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तंत्रोक्त देवी सूक्त: लिरिक्स, अर्थ व MP3 डाउनलोड | Ya Devi Sarva Bhuteshu Devi Suktam Lyrics & Benefits
तन्त्रोक्तं देविसुक्तम् | Sampurna Tantric Devi Suktam PDF in Sanskrit & Hindi (Free Download) (The Real Devi Suktam from Chandi Path)
अथ तन्त्रोक्तं देविसुक्तम
नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नमः।
नमः प्रकृत्यै भद्रायै नियताः प्रणताः स्मतां ॥१॥
रौद्राय नमो नित्यायै गौर्यै धात्र्यै नमो नमः
ज्योत्स्नायै चेन्दुरूपिण्यै सुखायै सततं नमः ॥२॥
कल्याण्यै प्रणता वृद्ध्यै सिद्ध्यै कुर्मो नमो नमः।
नैरृत्यै भूभृतां लक्ष्मै शर्वाण्यै ते नमो नमः ॥३॥
दुर्गायै दुर्गपारायै सारायै सर्वकारिण्यै
ख्यात्यै तथैव कृष्णायै धूम्रायै सततं नमः ॥४॥
अतिसौम्यतिरौद्रायै नतास्तस्यै नमो नमः
नमो जगत्प्रतिष्ठायै देव्यै कृत्यै नमो नमः ॥५॥
यादेवी सर्वभूतेषू विष्णुमायेति शब्धिता।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै,नमस्तस्यै नमोनमः ॥६॥
यादेवी सर्वभूतेषू चेतनेत्यभिधीयते।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै,नमस्तस्यै नमोनमः ॥७॥
यादेवी सर्वभूतेषू बुद्धिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै,नमस्तस्यै नमोनमः ॥८॥
यादेवी सर्वभूतेषू निद्रारूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै,नमस्तस्यै नमोनमः ॥९॥
यादेवी सर्वभूतेषू क्षुधारूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै,नमस्तस्यै नमोनमः ॥१०॥
यादेवी सर्वभूतेषू छायारूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै,नमस्तस्यै नमोनमः ॥११॥
यादेवी सर्वभूतेषू शक्तिरूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै,नमस्तस्यै नमोनमः ॥१२॥
यादेवी सर्वभूतेषू तृष्णारूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै,नमस्तस्यै नमोनमः ॥१३॥
यादेवी सर्वभूतेषू क्षान्तिरूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै,नमस्तस्यै नमोनमः ॥१४॥
यादेवी सर्वभूतेषू जातिरूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै,नमस्तस्यै नमोनमः ॥१५॥
यादेवी सर्वभूतेषू लज्जारूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै,नमस्तस्यै नमोनमः ॥१६॥
यादेवी सर्वभूतेषू शान्तिरूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै,नमस्तस्यै नमोनमः ॥१७॥
यादेवी सर्वभूतेषू श्रद्धारूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै,नमस्तस्यै नमोनमः ॥१८॥
यादेवी सर्वभूतेषू कान्तिरूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै,नमस्तस्यै नमोनमः ॥१९॥
यादेवी सर्वभूतेषू लक्ष्मीरूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै,नमस्तस्यै नमोनमः ॥२०॥
यादेवी सर्वभूतेषू वृत्तिरूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै,नमस्तस्यै नमोनमः ॥२१॥
यादेवी सर्वभूतेषू स्मृतिरूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै,नमस्तस्यै नमोनमः ॥२२॥
यादेवी सर्वभूतेषू दयारूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै,नमस्तस्यै नमोनमः ॥२३॥
यादेवी सर्वभूतेषू तुष्टिरूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै,नमस्तस्यै नमोनमः ॥२४॥
यादेवी सर्वभूतेषू मातृरूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै,नमस्तस्यै नमोनमः ॥२५॥
यादेवी सर्वभूतेषू भ्रान्तिरूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै,नमस्तस्यै नमोनमः ॥२६॥
इन्द्रियाणामधिष्ठात्री भूतानां चाखिलेषु या।
भूतेषु सततं तस्यै व्याप्ति देव्यै नमो नमः ॥२७॥
चितिरूपेण या कृत्स्नमेत द्व्याप्य स्थिता जगत्
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै,नमस्तस्यै नमोनमः ॥२८॥
स्तुतासुरैः पूर्वमभीष्ट संश्रयात्तथा सुरेन्द्रेण दिनेषुसेविता।
करोतुसा नः शुभहेतुरीश्वरीशुभानि भद्राण्य भिहन्तु चापदः ॥२९॥
या साम्प्रतं चोद्धतदैत्यतापितै रस्माभिरीशाचसुरैर्नमश्यते।
याच स्मता तत्क्षण मेव हन्ति नः सर्वा पदोभक्तिविनम्रमूर्तिभिः ॥३०॥

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