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Uma Maheshwar Vrat Katha in Hindi: उमा महेश्वर व्रत 2025: संपूर्ण व्रत कथा, पूजा विधि और महत्व

Uma Maheshwar Vrat Katha in Hindi: उमा महेश्वर व्रत 2025: संपूर्ण व्रत कथा, पूजा विधि और महत्व हम यहां आपको उमा महेश्वर कब मनाई जाती हैं, और उमा महेश्वर मनाने के पीछे की व्रत कथा के बारे में यहां बताने जा रहे हैं नीचे बताई जा रही उमा महेश्वर व्रत कथा का पाठ आपको भाद्रपद मास (भादों) की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन करना चाहिए इससे शिव पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता हैं।

उमा महेश्वर व्रत 2025: संपूर्ण व्रत कथा, पूजा विधि और महत्व | Uma Maheshwar Katha in Hindi

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Uma Maheshwar Vrat Katha
Uma Maheshwar Vrat Katha

Uma Maheshwar Vrat 2025 Date: उमा महेश्वर व्रत कब हैं? 2025

उमा महेश्वर व्रत भाद्रपद मास (भादों) की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन की जाती हैं। इस साल 2025 यह 07 सितम्बर, वार रविवार के दिन मनाई जाएगी। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार उमा महेश्वर व्रत करने से जातक को भगवान शिव और पार्वती माता की कृपा प्राप्त होती हैं।

अखंड सौभाग्य के लिए उमा महेश्वर व्रत की प्रामाणिक कथा | Uma Maheshwar Vrat Katha in Hindi

मत्स्य पुराण में उमा महेश्वर व्रत का उल्लेख किया गया हैं। मत्स्य पुराण में उल्लिखित कथा के अनुसार एक बार कैलाश पर्वत से भगवान शंकर के दर्शन करके लौटते समय मार्ग में महर्षि दुर्वासा की भेंट भगवान विष्णु से हुई। महर्षि दुर्वासा को भगवान शंकर ने आशीर्वाद स्वरूप एक बिल्वपत्र की माला प्रदान की थी। जब महर्षि दुर्वासा की भेंट भगवान विष्णु से हुई तो उन्होने वो माला विष्णु जी को दे दी।

भगवान विष्णु ने महर्षि दुर्वासा से मिली उस माला को स्वयं अपने गले में धारण ना करके गरूण जी के गले में पहना दिया। यह देखकर महर्षि दुर्वासा को क्रोध आ गया। और उन्होने क्रोध में आकर भगवान विष्णु से कहा कि तुमने मेरे आराध्य भगवान शंकर का अपमान किया हैं। Uma Maheshwar Vrat Katha

उनके द्वारा दी गई माला मैंने तुम्हे उपहार स्वरूप दी और तुमने वो माला स्वयं धारण ना करके अपने गरूण को पहना दी। यह मेरा और मेरे भगवान शंकर का घोर अपमान हैं। इसलिये मैं तुम्हे श्राप देता हूँ की तुम्हारा सारा वैभव नष्ट हो जायेगा। तुम श्रीहीन हो जाओगे, लक्ष्मी तुम्हारे पास से चली जायेगी, क्षीरसागर भी तुमसे छीन जायेगा और तुम्हारा शेषनाग भी तुम्हारी मदद नही का पायेगा। महर्षि दुर्वासा से ऐसा श्राप सुनकर भगवान विष्णु ने उस श्राप को स्वीकर किया और फिर बड़े शांत स्वर में उन्होने महर्षि दुर्वासा से उस श्राप के निवारण का उपाय पूछा। तब महर्षि दुर्वासा ने भगवान विष्णु को उमा महेश्वर व्रत करने का परामर्श दिया। Uma Maheshwar Vrat Katha

महर्षि दुर्वासा ने कहा कि उमा महेश्वर व्रत के करने से मेरे श्राप के कारण तुम जो कुछ भी खोओगें वो सब तुम्हे पुन: प्राप्त हो जायेगा। तब भगवान विष्णुजी ने भाद्रपद माह की पूर्णिमा पर उमा महेश्वर व्रत का अनुष्ठान किया। इस व्रत के प्रभाव से महर्षि दुर्वासा के दिये श्राप का निवारण हुआ और लक्ष्मी के साथ-साथ उन्होने जो भी वस्तुये खोई थी उन्हे वो सब पुन: प्राप्त हो गई। Uma Maheshwar Vrat Katha

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