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Vat Savitri Vrat Puja Vidhi : वट सावित्री व्रत के दिन इस प्रकार से करें पूजा विधि

Vat Savitri Vrat Puja Vidhi
Vat Savitri Vrat Puja Vidhi

Vat Savitri Vrat Puja Vidhi : वट सावित्री व्रत के दिन इस प्रकार से करें पूजा विधि वट सावित्री व्रत सौभाग्य को देने वाला और संतान की प्राप्ति में सहायता देने वाला व्रत माना गया है। भारतीय संस्कृति में यह व्रत आदर्श नारीत्व का प्रतीक बन चुका है। इस व्रत की तिथि को लेकर भिन्न मत हैं। स्कंद पुराण तथा भविष्योत्तर पुराण के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को यह व्रत करने का विधान है, वहीं निर्णयामृत आदि के अनुसार ज्येष्ठ मास की अमावस्या को व्रत करने की बात कही गई है। वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की त्रयोदशी तिथि से शुरू होकर लगातार तीन दिन तक बनाया जाता हैं। यानी की ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि के दिन समाप्त होता हैं।

वट सावित्री व्रत पूजा विधि Vat Savitri Vrat Puja Vidhi

वट सावित्री व्रत पूजा सामग्री

बड़ की डाली या पेड़ के पास जाकर कर सकते है पूजा, सिंदूर, रोली, फूल, अक्षत, चना, फल और मिठाई।

वट सावित्री व्रत पूजा विधि

सुहागन स्त्रियां वट सावित्री व्रत के दिन सोलह श्रृंगार करके सिंदूर, रोली, फूल, अक्षत, चना, फल और मिठाई से सावित्री, सत्यवान और यमराज की पूजा करें। 

वट सावित्री व्रत करने वाली स्त्रियों को चाहिए कि वह वट के समीप जाकर जल का आचमन लेकर कहे-ज्येष्ठ मात्र कृष्ण पक्ष त्रयोदशी अमुक वार में मेरे पुत्र और पति की आरोग्यता के लिए एव जन्म-जन्मान्तर में भी मैं विधवा न होऊं इसलिए सावित्री का व्रत करती हूं।

वट के मूल में ब्रह्म, मध्य में जर्नादन, अग्रभाग में शिव और समग्र में सावित्री है।

हे वट! अमृत के समान जल से मैं तुमको सींचती हूं। ऐसा कहकर भक्तिपूर्व एक सूत के डोर से वट को बांधे और गंध, पुष्प तथा अक्षत से पूजन करके वट एवं सावित्री को नमस्कार कर प्रदक्षिणा करे। 5,11, 21, 51 या 108 बार बरगद के पेड़ की परिक्रमा करें। अंत में सावित्री-सत्यवान की कथा किसी पंडित जी या आचार्य से सुनें या स्वयं पढ़ें। सुनने के बाद पंडित जी को इच्छानुसार दक्षिणा दें। फिर प्रसाद में चढ़े फल आदि ग्रहण करने के बाद शाम के वक्त मीठा भोजन ग्रहण करें।

वट सावित्री व्रत पूजा के लाभ और फायदे

वट सावित्री व्रत करने से पतिव्रत स्त्री की पति की लम्बी आयु होती हैं साथ ही साथ उसके पुत्र की प्राप्ति और पुत्र की लम्बी आयु होती हैं।

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2 thoughts on “Vat Savitri Vrat Puja Vidhi : वट सावित्री व्रत के दिन इस प्रकार से करें पूजा विधि”

  1. वट सावित्री व्रत की पूजा विधि बहुत ही विस्तृत और महत्वपूर्ण लगती है। यह व्रत न केवल सौभाग्य और संतान प्राप्ति के लिए है, बल्कि यह आदर्श नारीत्व का प्रतीक भी है। मुझे यह जानकर आश्चर्य हुआ कि इस व्रत की तिथि को लेकर अलग-अलग मत हैं। क्या यह भिन्नता विभिन्न क्षेत्रों की परंपराओं के कारण है? वट वृक्ष की पूजा करने का तरीका बहुत ही भक्तिपूर्ण और प्रेरणादायक लगता है। क्या इस व्रत को करने वाली स्त्रियों को किसी विशेष तैयारी की आवश्यकता होती है? मुझे लगता है कि यह व्रत न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक महत्व भी रखता है। क्या आप इस व्रत के बारे में और कुछ जानकारी साझा कर सकते हैं?

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  2. वट सावित्री व्रत की पूजा विधि और महत्व के बारे में पढ़कर बहुत अच्छा लगा। यह व्रत न केवल सौभाग्य और संतान प्राप्ति के लिए है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति में आदर्श नारीत्व का प्रतीक भी बन चुका है। मैंने सुना है कि इस व्रत को करने से पति की लंबी आयु और संतान की प्राप्ति होती है, लेकिन क्या यह सच में इतना प्रभावी है? मुझे लगता है कि यह व्रत न केवल धार्मिक बल्कि आध्यात्मिक अनुभव भी प्रदान करता है। क्या आपने कभी इस व्रत को किया है? अगर हां, तो क्या आप अपने अनुभव साझा कर सकते हैं? मैं यह जानना चाहूंगा कि इस व्रत को करने से आपके जीवन में क्या बदलाव आए। क्या आपको लगता है कि इस व्रत का महत्व आधुनिक समय में भी उतना ही है?

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