Krishnashtakam (Vasudeva Sutam Devam) with Lyrics & Meaning: श्री कृष्णाष्टकम् (वसुदेव सुतं देवं) – लिरिक्स, हिंदी अर्थ व PDF श्री कृष्णाष्टकम् स्तोत्र के रचियता श्री आदी शंकराचार्य जी ने की हैं। श्री कृष्णाष्टकम् का पाठ विशेष रूप से श्री कृष्ण जन्माष्टमी या भगवान श्री कृष्ण जी से संबंधित अन्य कई त्योहारों पर किया जाता हैं। श्री कृष्णाष्टकम् स्तोत्र का नियमित रूप से पाठ करने से भगवान श्री कृष्ण जी को आसानी से प्रसन्न किया जा सकता हैं। Sri Krishnashtakam के बारे में बताने जा रहे हैं।
Krishna Janmashtami Krishnashtakam Stotram (Vasudeva Sutam Devam Ashtakam): श्री कृष्णाष्टकम् (वसुदेव सुतं देवं) – आदि शंकराचार्य कृत (अर्थ व लाभ)
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वसुदॆव सुतं दॆवं कंस चाणूर मर्दनम् ।
दॆवकी परमानन्दं कृष्णं वन्दॆ जगद्गुरुम् ॥१॥
अतसी पुष्प सङ्काशं हार नूपुर शॊभितम् ।
रत्न कङ्कण कॆयूरं कृष्णं वन्दॆ जगद्गुरुम् ॥२॥
कुटिलालक संयुक्तं पूर्णचन्द्र निभाननम् ।
विलसत् कुण्डलधरं कृष्णं वन्दॆ जगद्गुरम् ॥३॥
मन्दार गन्ध संयुक्तं चारुहासं चतुर्भुजम् ।
बर्हि पिञ्छाव चूडाङ्गं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम् ॥ ४ ॥
उत्फुल्ल पद्मपत्राक्षं नील जीमूत सन्निभम् ।
यादवानां शिरॊरत्नं कृष्णं वन्दॆ जगद्गुरुम् ॥५॥
रुक्मिणी कॆलि संयुक्तं पीताम्बर सुशॊभितम् ।
अवाप्त तुलसी गन्धं कृष्णं वन्दॆ जगद्गुरुम् ॥६॥
गॊपिकानां कुचद्वन्द कुङ्कुमाङ्कित वक्षसम् ।
श्रीनिकॆतं महॆष्वासं कृष्णं वन्दॆ जगद्गुरुम् ॥७॥
श्रीवत्साङ्कं महॊरस्कं वनमाला विराजितम् ।
शङ्खचक्र धरं दॆवं कृष्णं वन्दॆ जगद्गुरुम् ॥८॥
|| इति श्री कृष्णाष्टकम् ||

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