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श्री महागणेश पञ्चरत्नं स्तोत्र | Maha Ganesha Pancharatnam Stotram by Adi Shankaracharya Lyrics, PDF & Meaning

श्री महागणेश पञ्चरत्नं स्तोत्र | Maha Ganesha Pancharatnam Stotram by Adi Shankaracharya Lyrics, PDF & Meaning श्री महागणेश पंचरत्न स्तोत्र भगवान श्री गणेश जी को समर्पित हैं। श्री महागणेश पंचरत्न स्तोत्र के रचियता आदि गुरू शंकराचार्य जी हैं। श्री महागणेश पंचरत्न स्तोत्र का नियमित रूप से पाठ करने से जातक की हर मनोकामना पूर्ण होती है।

ज्ञान, बुद्धि और सफलता के लिए पढ़ें आदि शंकराचार्य रचित महागणेश पञ्चरत्नं | Maha Ganesha Pancharatnam Stotram PDF in Sanskrit, Hindi & English

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Maha Ganesha Pancharatnam Stotram
Maha Ganesha Pancharatnam Stotram

सरागलोकदुर्लभं विरागिलोकपूजितं,

सुरासुरैर्नमस्कृतं जरापमृत्युनाशकम् ।

गिरागुरुं श्रियाहरिं जयन्ति यत्पदार्चकाः,

नमामि तं गणाधिपं कृपापयःपयोनिधिम् ॥ १ ॥

गिरीन्द्रजामुखांबुज-प्रमोददान-भास्करं,

करीन्द्रवक्त्र-मानताघसंघ-वारणोद्यतम् ।

सरीसृपेश-बद्धकुक्षि-माश्रयामि संततं,

शरीरकान्ति-निर्जिताब्जबन्धु-बालसंततिम् ॥ २ ॥

शुकादिमौनिवन्दितं गकारवाच्यमक्षरं,

प्रकाममिष्टदायिनं सकामनम्रपंक्तये ।

चकासतं चतुर्भुजैः विकासपद्म पूजितं,

प्रकाशितात्मतत्वकं नमाम्यहं गणाधिपम् ॥ ३ ॥

नराधिपत्वदायकं स्वरादिलोकदायकं,

ज्वरादिरोगवारकं निराकृतासुरव्रजम् ।

करांबुजोल्लसत्सृणिं विकारशून्यमानसैः,

हृदा सदा विभावितं मुदा नमामि विघ्नपम् ॥ ४ ॥

श्रमापनोदनक्षमं समाहितान्तरात्मनां,

सुमादिभिस्सदार्चितं क्षमानिधिं गणाधिपम् ।

रमाधवादिपूजितं यमान्तकात्मसंभवं,

शमादिषड्गुणप्रदं नमामि तं विभूतये ॥ ५ ॥

गणाधिपस्य पंचकं नृणामभीष्टदायकं,

प्रणामपूर्वकं जनाः पठन्ति ये मुदायुताः ।

भवन्ति ते विदांपुरः प्रगीतवैभवा जवात्,

चिरायुषोऽधिकश्रियस्सुसूनवो न संशयः ॥ ६ ॥

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