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Kamala Kavacham (Lakshmi Kavach) Lyrics in Sanskrit & Hindi | श्री कमला कवचम्: संपूर्ण पाठ, अर्थ और इसके दिव्य लाभ

Kamala Kavacham (Lakshmi Kavach) Lyrics in Sanskrit & Hindi | श्री कमला कवचम्: संपूर्ण पाठ, अर्थ और इसके दिव्य लाभ यह तो आप सब जानते है की कमला महाविद्या दस महाविद्याओं में दसवें स्थान की साधना मानी जाती हैं। Maa Kamala Kavacham पढ़ने से साधक को लक्ष्मी कृपा से ही वीरता, उत्साह एवं आत्म विश्वास की प्राप्ति होती है। Maa Kamala Kavacham पढ़ने से साधक को ब्रह्मत्व प्राप्ति एवं ईश्वर दर्शन सम्भव हो सकते हैं। Maa Kamala Kavacham का पाठ करने से साधक के जीवन में दरिद्रता को जड़ नष्ट हो जाती हैं। साधक को जीवन में समस्त सुख, वैभव और सौभाग्य प्राप्त होता है। साथ ही आकस्मिक धन प्राप्ति के योग भी बनने लगते हैं।

धन, ऐश्वर्य और सौभाग्य देने वाला कमला कवच (दस महाविद्या) | Kamala Kavach in Sanskrit PDF & Benefits

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Kamala Kavacham
Kamala Kavacham

दरिद्रता और दुर्भाग्य का नाश करने वाला श्री कमला कवच | Kamala Kavacham Lyrics & PDF Download

ऐन्कारो मस्तके पातु वाग्भवी सर्वसिद्धिदा ।

ह्रीं पातु चक्षुषोर्मध्ये चक्षुयुग्मे च शांकरी ॥

जिह्वायां मुखव्रत्ते च कर्णयोर्दन्तयोर्नसि ।

ओष्ठाधरे दंतपन्क्तौ तालुमूले हनौ पुन: ॥

पातु मां विष्णुवनिता लक्ष्मी: श्रीविष्णुरूपिणी ।

कणयुग्मे भुजद्वन्द्वे स्तनद्वन्द्वे च पार्वती ॥

ह्रदये मणिबंधे च ग्रीवायां पाशर्वयो: पुन: ।

पृष्ठदेशे तथा गुहे वामे च दक्षिणे तथा ॥

उपस्थे च नितम्बे च नाभौ जंघाद्वये पुन: ।

जानुचक्रे पदद्वन्द्वे घुटिकेऽड़ूगुलिमूलके ॥

स्वधातु-प्राणशक्त्यात्मसीमन्ते मस्तके पुन: ।

विजया पातु भवने जया पातु सदा मम ॥

सर्वांगे पातु कामेशी महादेवी सरस्वती ।

तुष्टि: पातु महामाया उत्कृष्टि: सर्वदाऽवतु ॥

ऋद्धि: पातु महादेवी सर्वत्र शम्भुवल्लभा ।

वाग्भवी सर्वदा पातु पातु मां हरगेहिनी ॥

रमा पातु सदा देवी पातु माया स्वराट् स्वयम् ।

सर्वांगे पातु मां लक्ष्मीर्विष्णुमाया सुरेश्वरी ॥

शिवदूती सदा पातु सुन्दरी पातु सर्वदा ।

भैरवी पातु सर्वत्र भेरुंडा सर्व्वदाऽवतु ।

त्वरिता पातु मां नित्यमुग्रतारा सदाऽवतु ।

पातु मां कालिका नित्यं कालरात्रि: सदावतु ॥

नवदुर्गा सदा पातु कामाक्षी सर्वदाऽवतु ।

योगिन्य: सर्वदा पान्तु मुद्रा: पान्तु सदा मम ॥

मात्रा: पान्तु सदा देव्यश्चक्रस्था योगिनीगणा: ।

सर्वत्र सर्वकामेषु सर्वकर्मसु सर्वदा ।

पातु मां देवदेवी च लक्ष्मी: सर्वसम्रद्धिदा ॥

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