करवा चौथ 2025 व्रत कथा: पूजा के समय पढ़ें यह संपूर्ण कहानी (वीरावती की कथा) | Karwa Chauth Vrat Katha in Hindi PDF करवा चौथ व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन किया जाता है। करवा चौथ व्रत को सभी महिला अपने पति की लंबी आयु और सही स्वास्थ्य की कामना से करती हैं।
पति की लंबी आयु के लिए करवा चौथ पर जरूर सुनें यह चमत्कारी व्रत कथा | Story of Karwa Chauth for Husband’s Long Life & Well-being
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करवा चौथ व्रत कथा | Karwa Chauth Vrat Katha 2025 Date: Complete Story & Puja Method
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करवा चौथ 2025 कब है? जानें सही तारीख | Karwa Chauth 2025: Date, Puja Vidhi & Time
👉 इस वर्ष 2025 में करवा चौथ व्रत का पर्व अक्टूबर महीने की 10 तारीख़, वार शुक्रवार के दिन बनाई जायेगी।
करवा चौथ व्रत कथा और पूजा विधि | Karwa Chauth Ki Kahani: Full Story & Significance
सात भाई थे उनके एक बहन थी सभी भाई अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे और हमेशा उसके साथ ही खाना खाते थे जब बहन की शादी हो गई तो बहन ने करवां चौथ का व्रत किया सभी भाई शाम को खाना खाने बैठे तो अपनी बहन को खाने की लिए बुलाया तब बहन ने कहा कि “आज मेरे चौथ माता का व्रत है” तब भाइयो ने सोचा की चाँद पता नही कब तक उदय होगा। Karwa Chauth Vrat Katha
अपनी बहन तो भूखी है उन सबने उपाय सोचा और पहाड़ पर जाकर आग जलाई और उसके आगे चालनी लगाकर चाँद बना दिया और बोले कि “बहन चाँद उग आया” वह अपनी भाभियों से बोली कि “चाँद उग आया ” तो भाभियां बोली कि ” ये चाँद आप के लिए उगा है वह भोली थी नकली चाँद के अर्ग देकर भाइयो के साथ खाना खाने बैठ गई।
उसने जैसे ही पहला ग्रास तोडा तो उसमे बाल आ गया, दूसरा तोड़ा इतने में उसके ससुराल से बुलावा आ गया की लड़की को तुरंत ससुराल भेजो जब माँ ने बेटी को विदा करने के लिए कपड़ो का बक्सा खोला तो उसमे भी सबसे पहले काला कपड़ा ही निकला तब माँ बहुत डर गई। Karwa Chauth Vrat Katha
उसने अपनी बेटी को एक चाँदी का सिक्का देते हुए कहा कि “तुझे रास्ते में जो भी मिले उसके पैर छूती जाना और जो तुझे सुहागन होने का आशीर्वाद दे उसे ये सिक्का दे देना और अपने पल्लू पर गांठ बांध लेना” वो पुरे रास्ते ऐसा ही करती गई पर किसी ने उसे सुहागन होने का आशीर्वाद नही दिया।
जब वह अपने ससुराल पहुचीं तो बाहर उसकी जेठुती खेल रही थी उसने उसके पैर छुए तो उसने सदा सुहागन का आशीर्वाद दिया तो उसने सिक्का जेठुती को दिया और पल्लू पर गांठ बांध ली जब घर के अन्दर गई तो देखा की उसका पति मरा पड़ा है। Karwa Chauth Vrat Katha
जब उसके पति को जलाने के लिए ले जाने लगे तो उसने नही ले जाने दिया तब सबने कहा कि “गाँव में लाश नही रहने देगे” तो गाँव के बाहर एक झोपडी बना दी वह उसमे रहने लगी और अपने पति की सेवा करने लगी रोज घर से बच्चे उसे खाना दे जाते।
कुछ समय बाद माघ की चौथ आई तो उसने व्रत किया रात को चौथ माता गाजती गरजती आई तो उसने माता के पैर पकड़ लिए माता पैर छुड़ाने लगी बोली “सात भाइयो की बहन घनी भूखी मेरे पैर छोड़” जब उसने पैर नही छोड़े तो चौथ माता बोली कि “मैं कुछ नही कर सकती मेरे से बड़ी बैशाख की चौथ आएगी उसके पैर पकड़ना। Karwa Chauth Vrat Katha
कुछ समय बाद बैशाख की चौथ आई तो उसने कहा कि “मैं कुछ नही कर सकती मेरे से बड़ी भादवे की चौथ आएगी उसके पैर पकड़ना जब भादवे की चौथ आई तो उसने भी यही कहा कि “मैं कुछ नही कर सकती मेरे से बड़ी कार्तिक चौथ है वो ही तेरे पति को जीवन दे सकती है लेकिन वो तेरे से सुहाग का सामान मांगेगी तो तू वो सब तैयार रखना लेकिन मैंने तुझे ये सब बताया है ऐसा मत कहना”।
जब कार्तिक चौथ आई तो उसने अपने पति के लिए व्रत रखा रात को चौथ माता आई तो उसने पैर पकड़ लिए तो माता बोली “सात भाइयो की लाड़ली बहन घणी भूखी, घणी तिसाई ,पापिनी मेरे पैर छोड़”। Karwa Chauth Vrat Katha
तब वो बोली कि “माता मेरे से भूल हो गई मुझे माफ कर दो, और मेरे पति को जीवन दान दो” जब उसने माता के पैर नही छोड़े तो माता बोली कि “ठीक है जो सामान मैं मांगू वो मुझे लाकर दे”।
माता ने जो सामान माँगा वो उसने लाकर दे दिया तब चौथ माता बोली कि “तुझे ये सब किसने बताया” वो बोली कि “माता मैं इस जंगल में अकेली रहती हूँ मुझे ये सब बताने यहाँ कौन आएगा”। Karwa Chauth Vrat Katha
चौथ माता ने माँग में से सिंदूर लिया, आँख में से काजल व चिटली अंगुली से मेहँदी निकालकर उसके पति के छिटा तो उसका पति जीवित हो गया माता ने उसके पति को जीवित कर दिया और सदा सुहागन का आशीर्वाद दिया।
सुबह बच्चे जब खाना लेकर आये, तो अपने चाचा को जीवित पाया दौडकर घर गये और सबको बताया कि “चाचा जीवित हो गए” सब लोग वहा गए तो देखा की बच्चे सच कह रहे है। Karwa Chauth Vrat Katha
अपने बेटे को जीवित देखकर सास बहु के पैर पड़ने लगी तो बहु बोली “सासुजी आप ये क्या कर रही है मैंने कुछ नहीं किया ये तो चौथ माता ने किया है” हे चौथ माता जैसे उसको सुहाग दिया वैसे सभी को देना।

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