अहोई अष्टमी 2025 पूजा विधि: जानें शुभ मुहूर्त, संपूर्ण सामग्री लिस्ट और नियम Ahoi Ashtami Puja Vidhi 2025: A Step-by-Step Guide with Samagri & Muhurat कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष तिथियों में हिन्दू धर्म के त्योहारों की भरमार देखने को मिलती है। इन मुख्य: त्योहारों में से करवा चौथ और अहोई अष्टमी महिलाओं के द्वारा किए जाने वाले विशेष दो त्योहारों पर्व हैं। यह व्रत कार्तिक माह लगते ही अष्टमी तिथि को किया जाता है।
जिस वार की दीपावली होती है अहोई आठें भी उसी वार की पड़ती है। इस व्रत को वे स्त्रियाँ ही करती हैं जिनके सन्तान होती हैं। Free Upay.in द्वारा बताये जा रहे अहोई अष्टमी पूजा विधि (Ahoi Ashtami Puja Vidhi) को करके आप भी बहुत ही आसानी तरीखें से पूजा करके फायदा व लाभ उठा सकते है।
संपूर्ण अहोई अष्टमी पूजन विधि: कलश स्थापना से लेकर तारों को अर्घ्य देने तक | Ahoi Ashtami Puja Vidhi 2025: Step-by-Step Method & Puja Samagri
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घर पर अहोई अष्टमी की पूजा करने की सबसे आसान विधि | Ahoi Ashtami Puja Vidhi for Childless Couples (Santan Prapti Ke Liye)
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अहोई अष्टमी व्रत पूजा 2025 कब की है?
➤ इस साल 2025 में अहोई अष्टमी व्रत पूजा अक्टूबर की 13 तारीख, वार सोमवार को की जायेगी।
अहोई अष्टमी पूजा सामग्री लिस्ट 2025 | Ahoi Ashtami Puja Samagri List in Hindi
👉 चोकी या पटरा, जल से भरा लोटा, स्याऊ (चांदी से बनी हुई अहोई माता जिसमे चाँदी के दो दाने होते हैं)।
अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त 2025 | Ahoi Ashtami 2025 Puja Muhurt
➤ संध्या के 18:00 मिनट से 19:15 तक रहेगा। इस दिन तारे उदय शाम 18:24 बजे के बाद होगें।
अहोई अष्टमी पूजा विधि और सामग्री | Ahoi Ashtami Easy Puja Method in Hindi
संध्या के समय सूर्यास्त होने के बाद जब तारे निकलने लगते हैं तो अहोई माता की पूजा प्रारंभ होती है। सायंकाल दीवार पर अष्ट कोष्ठक की अहोई की पुतली रंग भरकर बनाएँ। पूजन से पहले जमीन को स्वच्छ करके, पोछा चोका लगाकर एक लोटा जल भरकर एक पटरे पर कलश की भांति रखकर पूजा करें। भक्ति भाव से पूजा करें। बाल-बच्चों के कल्याण की कामना करें।
इसमें एक खास बात यह भी है कि पूजा के लिए माताएँ चाँदी की एक अहोई भी बनाती हैं जिसे बोलचाल की भाषा में स्याऊ भी कहते हैं उसमें चाँदी के दो दाने (मोती डलवा लें) जिस प्रकार गले के हार में पैंडिल लगा होता है उसी की तरह चाँदी की अहोई डलवा लें और डोरे में चाँदी के दाने डलवा लें।
फिर अहोई की रोली, चावल, दूध व भात से पूजा करें| जल से भरे लोटे पर सतिया बना लें। एक कटोरी में हलवा तथा रुपए बायना निकालकर रख लें और सात दाने गहूँ के लेकर कहानी सुने। कहानी सुनने के बाद अहोई स्याऊ की माला गले में पहन लें। जो बायना निकालकर रखा था, उसे सासू जी के पांव लगाकर आदर पूर्वक उन्हें दे दें।
इसके बाद चन्द्रमा को अर्ध्य देकर स्वयं भोजन करें। दीपावली के बाद किसी शुभ दिन अहोई को गले से उतारकर उसका गुड़ में भोग लगाये और जल के छीटे देकर मस्तक झुकाकर रख दें। जितने बेटे हैं उतनी बार तथा जितने बेटों का विवाह हो गया हो उतनी बार चाँदी के दो-दो दाने अहोई में डालते जायें। ऐसा करने से अहोई माता प्रसन्न हो बच्चों की दीर्घायु करके घर में नित नए मंगल करती रहतीं हैं। इस दिन पंडितों को पेठा दान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
अहोई अष्टमी व्रत पूजा का उजमन | Ahoi Ashtami Vrat Puja Ka Ujman
जिस स्त्री को बेटा हुआ हो अथवा बेटे का विवाह हो गया है या हुआ हो तो उसे अहोई माता का उजमन करना चाहिए। एक थाली में सात-सात पूडियाँ रखकर उनपर थोड़ा थोड़ा हलवा रखें। इसके साथ ही एक साड़ी ब्लाउज उस पर सामर्थ्यानुसार रूपये रखकर थाली के चारो ओर हाथ फेरकर श्रद्धापूर्वक सासू जी के पांव लगवाकर वह सभी समान सासू जी को दे दें। तीयल तथा रूपये सासू जी अपने पास रख लें तथा हलवा पूरी का बायना बाँट दें। बहन-बेटी के यहाँ भी बायना भेजना चाहिए।

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