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Ahoi Ashtami Vrat Katha in Hindi PDF | अहोई अष्टमी 2025 व्रत कथा: पूजा में पढ़ें साहूकारनी और स्याऊ माता की पूरी कहानी

अहोई अष्टमी 2025 व्रत कथा: पूजा में पढ़ें साहूकारनी और स्याऊ माता की पूरी कहानी | Ahoi Ashtami Vrat Katha in Hindi PDF अहोई अष्टमी व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन किया जाता है। अहोई अष्टमी व्रत को सभी महिला संतान प्राप्ति, संतान की रक्षा एवं लंबी आयु कामना के लिए करती हैं।

संतान प्राप्ति के लिए अहोई अष्टमी पर जरूर पढ़ें यह व्रत कथा, पूरी होगी मनोकामना | Ahoi Ashtami Story for Santan Prapti: The Vrat Katha for Conceiving a Child

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Ahoi Ashtami Vrat Katha
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संतान की रक्षा और लंबी आयु के लिए पढ़ें अहोई अष्टमी की यह चमत्कारी कथा | Ahoi Aathe Ki Kahani PDF Download

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👉 इस वर्ष 2025 में अहोई अष्टमी व्रत का पर्व अक्टूबर महीने की 13 तारीख़, वार सोमवार के दिन बनाई जायेगी।

निःसंतान दंपत्ति के लिए अहोई अष्टमी व्रत कथा PDF डाउनलोड | Ahoi Ashtami Vrat Katha Lyrics In Hindi

एक साहुकार था जिसके सात बेटे थे, सात बहुएँ तथा एक बेटी थी दीवाली से पहले कार्तिक बदी अष्टमी का सांतो बहुएँ अपनी इकलौती ननद के साथ जंगल में मिट्टी खोद रही थी । वही स्याहू (सेई) की माँद थी। मिट्टी खोदते समय ननद के हाथ से सेई का बच्चा मर गया। स्याहु माता बोली कि मै तेरी कोख बाँधूँगी।

तब ननद अपनी सातो भाभियो से बोली कि तुमसे से मेरे बदले कोख बधवाने से इन्कार कर दिया परन्तु छोटी भाभी सोचने लगी कि यदि मैं कोख नही बँधवाऊँगी तो सासू नाराज होगी ऐसा विचार कर ननद के बदले में छोटी भाभी ने अपनी कोख बँधवा ली। इसके बाद जब उससे जो लडका होता तो सात दिन बार मर जाता । Ahoi Ashtami Vrat Katha

एक दिन उसने पंडत का बुलाकर पूछा मेरी संतान सातवे दिन क्यो मर जाती है? तब पंडित ने कहा कि तुम सुरही गाय की पुजा करो सुरही गाय स्याहु माता की भायली है वह तेरी कोख तब मेरा बच्चा जियेगा । इसके बाद से वह बहु प्रातः काल उठकर चुपचाप सुरही गाय के नीचे सफाई आदि कर जाती है। गौ माता बोली कि आजकल कौन मेरी सेवा कर रहा है। सो आज देखूँगी। गौ माता खूब तडके उठी, क्या देखती है कि एक साहूकार के बेटे की बहू उसके नीचे सफाई आदि कर रही है। गौ माता उससे बोली मैं तेरी सेवा से प्रसन्न हूँ। इच्छानुसार जो चाहे माँग लो। Ahoi Ashtami Vrat Katha

तब साहूकर की बहू बोली  कि स्याऊ माता तुम्हारी भायली है और उसने मेरी कोख बाँध रखी है सो मेरी कोख खुलवा दो। गौ माता ने कहा अच्छा, अब तो गौ माता समुंद्र पार अपनी भायली के पास उसको लेकर चली । रास्ते में कडी धूप थी सो वो दोनो एक पेड के नीचे गरूड पंखानी (पक्षी) का बच्चा था। साँप उसको डसने लगा तब साहुकार की बहू ने साँप मारकर ढाल के नीचे दबा दिया और बच्चो का बचा लिया थोडी देर मे गरूड पंखनी आई जो वहा खून पडा देखकर साहूकार की बहू को चोच मारने लगी। Ahoi Ashtami Vrat Katha

तब साहूकारनी बोली कि मैने तेरे बच्चो को नही मारा बल्कि साँप मेरे बच्चे को डसने को आया था मैने तो उससे तेरे बच्चे की रक्षा की है। यह सुनकर गरूड पंखनी बोली कि माँग तू क्या माँगती है? वह बोली सात समुद्र पर स्याऊ माता के पास पहुचा दे। गरूड पंखनी ने दोनो को अपनी पीठ पर बैठाकर स्याऊ माता के पास पहुचा दिया। स्याऊ माता उन्हे देखकर बोली कि बहन बहुत दिनो मे आई, फिर कहने लगी कि बहन मेरे सिर में जूँ पड गई। तब सुरही के कहने पर साहुकार की बहु ने सलाई  से उनकी जुएँ निकाल दी। Ahoi Ashtami Vrat Katha

इस पर स्याऊ माता प्रसन्न हो बोली कि तुने मेरे सिर मे बहुत सलाई डाली है इसलिये सात बेटे और बहु होगी। वह बोली मेरे तो एक भी बेटा नही है सात बेटा कहाँ से होगे। स्याऊ माता बोली- वचन दिया, वचन से फिरूँ तो धोबी कुण्ड पर कंकरी होऊँ। जब साहुकार की बहु बोली मेरी  कोख तो तुम्हारे पास बन्द पडी है यह सुनकर स्याऊ माता बोली कि तुने मुझे बहुत ठग लिया, मे तेरी कोख खोलती जो नही परन्तु अब खोलनी पडेगी। Ahoi Ashtami Vrat Katha

जा तेरे घर तुझे सात बेटे और सात बहुए मिलेगी तू जाकर उजमन करियो। सात अहोई बनाकर सात कढाई करियो। वह लौटकर घर आई तो देखा सात बेटे सात बहुए बैठी है वह खुश होगई। उसने सात अहोई बनाई, साज उजमन किए तथा सात कढाई की। रात्रि के समय जेठानियाँ आपस मे कहने लगी कि जल्दी जल्दी नहाकर पूजा कर लो, कही छोटी बच्चो को याद करके रोने लग। थोडी देर में उन्होने अपने बच्चो से कहा- अपनी चाची के घर जाकर देख आओ कि वह आज अभी तक रोई क्यो नही। बच्चो ने जाकर कहा कि चाची तो कुछ माडँ रही है खूब उजमन हो रहा है। Ahoi Ashtami Vrat Katha

यह सूनते ही जेठानियो दौडी-दौडी उसके घर आई और जाकर कहने लगी कि तूने कोख कैसे छुडाई? वह बोली तुमने तो कोख बधाई नही सो मैने कोख खोल दी है। स्याऊ माता ने कृपा करके मेरी कोख खोली उसी प्रकार हमारी भी खोलियो। कहने वाले तथा सुनने वाले की तथा सब परिवार की कोख खोलियो। Ahoi Ashtami Vrat Katha

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