Anant Chaturdashi Puja Vidhi 2025: Step-by-Step अनंत चतुर्दशी 2025: जानें संपूर्ण पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और सामग्री लिस्ट हम यंहा आपको अनंत चतुर्दशी व्रत पूजा पूजा के बारे में बताने जा रहे हैं। इस पोस्ट की सहायता से Anant Chaturdashi Puja कैसे की जाती हैं और इस व्रत के रखने के क्या नियम, सामग्री, मंत्र, मुहूर्त आदि के बारे में जानकारी देंगे। हमारे FreeUpay द्वारा बताये जा रहे अनंत चतुर्दशी पूजा विधि (Anant Chaturdashi Puja Vidhi) को पढ़कर आप भी बहुत आसन तरीके से अनंत चतुर्दशी व्रत पूजा करके उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकोगें।
अनंत चतुर्दशी पूजा विधि | Anant Chaturdashi (Ganesh Visarjan) 2025: A Step-by-Step Puja Vidhi & Vrat Guide
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Anant Chaturdashi 2025 Date: अनंत चतुर्दशी कब है 2025? जानें पूजा सामग्री, शुभ मुहूर्त और विधि
अनंत चतुर्दशी व्रत भाद्रपद मास (भादों) की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन की जाती हैं। इस साल 2025 यह 06 सितम्बर, वार शनिवार के दिन मनाई जाएगी। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार अनंत चतुर्दशी करने से जातक को भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती हैं।
Anant Chaturdashi Puja Shubh Muhurat 2025: अनंत चतुर्दशी पूजा शुभ मुहूर्त
सुबह 07:43 बजे से सुबह 09:17 बजे तक,
दोपहर 12:25 बजे से संध्या 05:07 बजे तक,
संध्या 06:41 बजे से रात्रि 08:07 बजे तक।
Anant Chaturdashi Puja Samagri: अनंत चतुर्दशी 2025 पूजा सामग्री लिस्ट
भगवान श्री विष्णु की मूर्ति या प्रतिमा, कच्चे डोरे का चौदह गांठों वाला, लाल वस्त्र, सफेद वस्त्र, कदली खम्भ, आम के पत्ते, पंच पल्लव, कलश, यज्ञोपवीत, सुपारी, रोली, मोली, गुलाल, गुड़, धूप, दीप, नैवेद्य, कमल के फूल, तुलसीदल, श्रीफल, मौसमी फल, फूलमाला, पंचामृत, भोग के लिये खीर, लौंग, इलायची, दूर्वा, कर्पूर, जल, चौकी, रूपये दक्षिणा के लिये।
अनंत चतुर्दशी की सरल पूजा विधि | Anant Chaturdashi Puja Vidhi at Home
👉 Anant Chaturdashi Puja वाले दिन साधक को सूर्योदय से पहले प्रात:काल जल्दी उठकर नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नान आदि करने साफ कपड़े धारण करने चाहिए।
👉 उसके बाद अपने घर के पूजा स्थल पर जाकर कदली खम्भ और वस्त्र से एक मण्ड़प का निर्माण करें।
👉 उसके बाद एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर भगवान श्री विष्णु की प्रतिमा या फोटो स्थापित करें। उसके साथ में कलश में जल भरकर स्थापित करें।
👉 भगवान श्री विष्णु की स्थापित की गई प्रतिमा या मूर्ति के सामने अनंत का धागा रखें।
👉 उसके बाद फिर धूप और शुद्ध घी का दीपक जलाकर Anant Chaturdashi Puja Mantra का जाप करते हुए भगवान विष्णु जी की पूजा करें।
Anant Chaturdashi Puja Mantra | अनंत चतुर्दशी 2025 पूजा मंत्र
अनन्तः सर्व नागानामधिपः सर्वकामदः।
सदा भयात प्रसन्नोमे भक्तानां भयंकरः ॥
👉 उसके बाद पंचामृत से भगवान श्री विष्णु की प्रतिमा का अभिषेक करके जल चढ़ाकर वस्त्र अर्पित करें।
👉 उसके बाद फिर केसर, रोली से भगवान श्री विष्णु जी को तिलक करें, और अखंडित अक्षत, मोली, यज्ञोपवीत, कमल के फूल, दूर्वा आदि चढ़ायें। साथ में फूलमाला और मौसमी फल भी अर्पित करें।
👉 तत्पश्चात् भगवान श्री विष्णु जी को खीर का भोग लगाकर पान, सुपारी, लौंग, इलायची आदि के दक्षिणा अर्पित करें।
👉 उसके बाद कच्चे दूध और जल से अनंत के धागे को शुद्ध करके, अनंत भगवान श्री विष्णु जी का ध्यान करते हुये पुरूष उसे अपने दाहिने हाथ पर और स्त्री उसे अपने बायें हाथ में बाँधे। अनंत बाँधने के बाद अनंत चतुर्दशी व्रत कथा कहें या सुनें।
👉 अनंत चतुर्दशी व्रत कथा सुनने के बाद श्री विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
👉 धूप-दीप और कर्पूर से भगवान श्री विष्णु जी की आरती करें।
👉 उसके बाद ब्राह्मण को भोजन करायें और उसे अपने सामर्थ अनुसार दक्षिणा दें।
👉 उसके बाद व्रती स्वयं दिन में एक समय भोजन करें। और रात्रि में भजन-कीर्तन और जागरण का आयोजन करें।
👉 यह व्रत हर वर्ष करते रहना चाहिये। यदि जब आपको लगे कि आप यह अनंत चतुर्दशी व्रत करने में सक्षम नही हैं, तो इसका उद्यापन करके ही इसे छोड़ना चाहिये।
👉 कुछ धर्मग्रंथों के अनुसार चौदह वर्षों तक हर वर्ष लगातार यह अनंत चतुर्दशी व्रत करके भी आप Anant Chaturdashi Puja उद्यापन कर सकते हो।
Benefits of Anant Chaturdashi Puja 2025
हमारे हिन्दू धर्म के धार्मिक ग्रंथों के अनुसार अनंत चतुर्दशी के दिन व्रत पूजा करने से जातक को समस्त भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। इसके साथ जातक के सभी रोग समाप्त हो जाते है और आरोग्य को प्राप्त होता हैं। Anant Chaturdashi Puja से जातक के घर-परिवार में सुख- समृद्धि के साथ अपार धन-धान्य की प्राप्ति होती हैं। समाज में मान-प्रतिष्ठा में वृद्धि होती हैं। जो भी पुरुष या स्त्री विधिपूर्वक Anant Chaturdashi Puja करती हैं उसके उपट श्री विष्णु की अपार कृपा होती हैं तथा अपने जीवन में सभी प्रकार के सुख भोग कर अंत में मोक्ष की प्राप्ति हैं।
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