Draupadi Krita Krishna Stuti (Mahabharata Vastraharan) – Lyrics & Meaning: द्रौपदी कृत श्री कृष्ण स्तुति (चीर हरण) – कथा, लिरिक्स व अर्थ (PDF) यह श्रीकृष्ण स्तुति श्री द्रौपदी देवी द्वारा लिखी हुई हैं। द्रौपदी कृत श्रीकृष्ण स्तुति का वर्णित आपको महाभारत में देखने को मिल जायेगा। द्रौपदी कृत श्रीकृष्ण स्तुति : को नियमित रूप से पाठ करने से भगवान श्री कृष्ण जी की कृपा और आशीर्वाद बना रहता हैं। Draupadi Krita Sri Krishna Stuti के बारे में बताने जा रहे हैं।
The Krishna Stuti that Saved Draupadi (Mahabharata) – Full Lyrics: जब द्रौपदी ने की कृष्ण की स्तुति: चीर हरण की कथा और संपूर्ण श्लोक
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शङ्खचक्रगदापाणॆ! द्वरकानिलयाच्युत!
गोविन्द! पुण्डरीकाक्ष!रक्ष मां शरणागताम्॥
हा कृष्ण! द्वारकावासिन्! क्वासि यादवनन्दन! ।
इमामवस्थां सम्प्राप्तां अनाथां किमुपेक्षसे ॥
गोविन्द! द्वारकावासिन् कृष्ण! गोपीजनप्रिय!।
कौरवैः परिभूतां मां किं न जानासि केशव! ॥
हे नाथ! हे रमानाथ! व्रजनाथार्तिनाशन!।
कौरवार्णवमग्नां मामुद्धरस्व जनार्दन! ॥
कृष्ण! कृष्ण! महायोगिन् विश्वात्मन्! विश्वभावन! ।
प्रपन्नां पाहि गोविन्द! कुरुमध्येऽवसीदतीम्॥
नीलोत्पलदलश्याम! पद्मगर्भारुणेक्षण!
पीतांबरपरीधान! लसत्कौस्तुभभूषण! ॥
त्वमादिरन्तो भूतानां त्वमेव च परा गतिः।
विश्वात्मन्! विश्वजनक! विश्वहर्तः प्रभोऽव्यय! ॥
प्रपन्नपाल! गोपाल! प्रजापाल! परात्पर!
आकूतीनां च चित्तीनां प्रवर्तक नतास्मि ते ॥

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