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Ganesh Chaturthi Puja Vidhi: Step-by-Step Guide, Samagri, Mantra & Muhurat: गणेश चतुर्थी 2025 पूजा विधि: संपूर्ण सामग्री लिस्ट, मंत्र और शुभ मुहूर्त

Ganesh Chaturthi Puja Vidhi: Step-by-Step Guide, Samagri, Mantra & Muhurat: गणेश चतुर्थी 2025 पूजा विधि: संपूर्ण सामग्री लिस्ट, मंत्र और शुभ मुहूर्त हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन को भगवान श्री गणेश जी का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन को श्री गणेश चतुर्थी उत्सव बनाया जाता हैं  श्री गणेश चतुर्थी को विनायक चतुर्थी, सिद्धिविनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। श्री गणेश जी की सबसे पहले पूजा की जाती है। जो विघ्नों का नाश करने वाले और ऋद्धि-सिद्धि के दाता हैं। इसलिए इन्हें सिद्धि विनायक भगवान भी कहा जाता है।

इस दिन जो भगवान श्री गणेश जी का शुध्द मन और तन से उपवास, पूजन और दान करता है, उस व्यक्ति श्री गणेश मनोवांछित फल देते हैं। Shri Ganesh Chaturthi Puja और उपासना करने से घर में संपन्‍नता, समृद्धि, सौभाग्य और धन का समावेश होता है। इस दिन आप श्री गणेश जी की पूजा करने से किसी कामनापूर्ति स्त्री, पुत्र, पौत्र, धन, समृद्धि के लिए या फिर अचानक ही किसी संकट मे पड़ जाना आदि से निवारण काम हो जाते हैं। श्री गणेश चतुर्थी पूजा विधि को करके आप भगवान श्री गणेश जी की पूजा अर्चना सही तरह से कर सकोंगे।

गणेश चतुर्थी पूजा की सरल विधि (2025): घर पर स्थापना कैसे करें?: Simple Ganesh Chaturthi Puja Vidhi for Home (Step-by-Step Instructions)

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Ganesh Chaturthi Puja Vidhi
Ganesh Chaturthi Puja Vidhi

Shri Ganesh Chaturthi Puja 2025 Date in India

श्री गणेश चतुर्थी 2025: तारीख, पूजा मुहूर्त और शुभ समय

इस साल 2025 में Shri Ganesh Chaturthi Puja 27 अगस्त, 2025 वार बुधवार के दिन मनाई जाएगी।

Ganesh Murti Sthapana Muhurat 2025: Auspicious Timings & Date

☞ गणेश स्थापना मुहूर्त 2025: जानें सही तारीख और सभी शुभ समय

Shri Ganesh Chaturthi Puja 27 अगस्त, 2025 वार बुधवार को है गणेश प्रतिमा स्थापना के लिए सुबह 11:11 से दोपहर 01:45 बजे तक जिसमें शुभ चौघडिया और वृश्चिक लग्न में श्रेष्ठ रहेगा।

बहुत से ज्योतिषाचार्य श्री गणेश जी को प्रथम पूज्य देव मानने के कारण श्री गणेश स्थापना में कोई मुहूर्त न देखने के लिए देखा गया है इसलिए इसे लोंगो के लिए चौघडिय़ा का समय निम्न प्रकार से है।

Ganesh Chaturthi Puja Muhurat 2025: Auspicious Timings & Date

सुबह 06:08 बजे से सुबह 09:18 बजे तक लाभ और अमृत चौघडिया में।

सुबह 10:53 से दोपहर 12:28 बजे शुभ चौघडिया में।

संध्या 03:38 बजे से संध्या 06:49 बजे चर-लाभ चौघडिया में।

सुबह, दोपहर में मुहूर्त अथवा शाम को चौघडिय़ा अनुसार में भी प्रतिमा की स्थापना कर सकते हैं।

श्री गणपति विसर्जन तिथियाँ या तारीखें: 

28 अगस्त, 2025 को गणेश विसर्जन डेढ़ दिन पर होगा.

29 अगस्त, 2025 को गणेश विसर्जन तीसरे दिन होगा.

31 अगस्त, 2025 को गणेश विसर्जन 5 वें दिन होगा.

02 सितम्बर, 2025 को गणेश विसर्जन 7 वें दिन होगा.

10 वें दिन गणेश विसर्जन 04 सितम्बर, 2025 को होगा.

11 वें दिन (अनंत चतुर्दशी तिथि) गणेश विसर्जन 05 सितम्बर, 2025 को होगा.

☞ कुछ लोग गणेश चतुर्थी के अगले दिन गणेश विसर्जन करते हैं, हालांकि कुछ लोग गणेश चतुर्थी के बाद 3, 5, 7, 10 वें और 11 वें दिन पर गणेश विसर्जन करते हैं.

गणपति विसर्जन मुहूर्त 2025 || Ganpati Visarjan Muhurat 2025

☞ तारिख: 06-09-2025 अनन्त चतुर्दशी है इस दिन गणपति विसर्जन का समय

शुभ: सुबह से 07:46 बजे से सुबह 09:18 बजे तक।

चर, लाभ एवं अमृत: दोपहर से 12:26 बजे से सांय 05:04 बजे तक।

श्री गणेश चतुर्थी पूजा विधि || How to do Ganesh Puja at Home (2025): Full Vidhi & Mantra

सुबह जल्दी उठकर पहले नित्यादि क्रियाओं से निवृत्त होकर शुद्ध आसन पर बैठकर अपना मुख पूर्व अथवा उत्तर दिशा की तरफ करके Shri Ganesh Chaturthi Puja करें, सबसे पहले एक ईशान कोण में स्वच्छ जगह पर पाटा अथवा चौकी रख कर उस पर लाल अथवा पीला कपड़ा बिछाते हैं. श्री गणेश जी को ईशाण कोण में स्थापित करें और उनका श्री मुख पश्चिम की ओर रहे। 

कपड़े पर केले के पत्ते को रख कर अपने सामर्थ्य के अनुसार सोने, चांदी, तांबे, पीतल या मिट्टी से बनी भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें। और सभी पूजन सामग्री को एकत्रित कर पुष्प, धूप, दीप, कपूर, रोली, मौली लाल, चंदन, मोदक आदि एकत्रित कर क्रमश: Shri Ganesh Chaturthi Puja करें।

भगवान श्री गणेश को तुलसी दल व तुलसी पत्र नहीं चढ़ाना चाहिए, पंचामृत से श्री गणेश को स्नान कराएं, उन्हें गणेश जी की मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाएं, उन्हें रक्तवर्ण के पुष्प विशेष प्रिय हैं। शुद्ध स्थान से चुनी हुई दूर्वा को धोकर मंत्र बोलते हुए 21 दूर्वा-दल चढ़ाएं, गणेशजी को 21 दूर्वा दल चढ़ाई जाती है। दूर्वा दल चढ़ाते समय नीचे लिखे मंत्रों का जप करें:

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श्री गणेश चतुर्थी पूजा मंत्र || Shri Ganesh Chaturthi Puja Mantra : 

ऊँ गणाधिपाय नम:

ऊँ उमापुत्राय नम:

ऊँ विघ्ननाशनाय नम:

ऊँ विनायकाय नम:

ऊँ ईशपुत्राय नम:

ऊँ सर्वसिद्धप्रदाय नम:

ऊँ एकदन्ताय नम:

ऊँ इभवक्त्राय नम:

ऊँ मूषकवाहनाय नम:

ऊँ कुमारगुरवे नम:

श्री गणेश भगवान को मोदक (लड्डू) अधिक प्रिय होते हैं इसलिए उन्हें देशी घी से बने 21 लड्डुओं का भोग लगाए चाहिए। इनमें से 5 लड्डू मूर्ति के पास चढ़ाएं और 5 ब्राह्मण को प्रदान कर दें। शेष लड्डू प्रसाद रूप में बांट दें। ( पूजन करने के बाद )

Shri Ganesh Chaturthi Puja करके गणेश चतुर्थी की कथा, गणेश पुराण, गणेश चालीसा, गणेश स्तुति, श्रीगणेश सहस्रनामावली, गणेश जी की आरती, संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करें. और श्री गणेश स्त्रोत का पाठ करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है । अंत में गणेश मंत्र “ऊं गणेशाय नम:” अथवा “ऊं गं गणपतये नम:” का अपनी श्रद्धा के अनुसार जाप करें।

Ganesh Chaturthi Puja सहित प्रभु शिव व गौरी, नन्दी, कार्तिकेय सहित सम्पूर्ण शिव परिवार की पूजा षोड़षोपचार विधि से करना चाहिए। व्रत व पूजा के समय किसी प्रकार का क्रोध व गुस्सा न करें । यह हानिप्रद सिद्ध हो सकता है। Shri Ganesh Chaturthi Puja करते समय श्री गणेश जी का ध्यान करते हुए शुद्ध व सात्विक चित्त से प्रसन्न रहना चाहिए।

शास्त्रानुसार श्री गणेश की पार्थिव प्रतिमा बनाकर उसे प्राणप्रति‍ष्ठित कर पूजन-अर्चन के बाद विसर्जित कर देने का आख्यान मिलता है। किन्तु भजन-कीर्तन आदि आयोजनों और सांस्कृतिक आयोजनों के कारण भक्त 1, 2, 3, 5, 7, 10 आदि दिनों तक पूजन अर्चन करते हुए प्रतिमा का विसर्जन करते हैं। 

किसी भी पूजा के उपरांत सभी आवाहित देवताओं की शास्त्रीय विधि से पूजा-अर्चना करने के बाद उनका विसर्जन किया जाता है, किन्तु श्री लक्ष्मी और श्रीगणेश का विसर्जन नहीं किया जाता है। इसलिए श्रीगणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन करें, किन्तु उन्हें अपने निवास स्थान में श्री लक्ष्मी जी सहित रहने के लिए निमंत्रित करें। Shri Ganesh Chaturthi Puja के उपरांत अपराध क्षमा प्रार्थना करें, सभी अतिथि व भक्तों का यथा व्यवहार स्वागत करें। पूजा कराने वाले ब्राह्मण को संतुष्ट कर भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा देने के बाद प्रणाम कर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर शाम के समय स्वयं भोजन ग्रहण करें।

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