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श्री गणेश पञ्चचामर स्तोत्रम् | Ganesh Panchachamara Stotram Lyrics, PDF & Meaning

श्री गणेश पञ्चचामर स्तोत्रम् | Ganesh Panchachamara Stotram Lyrics, PDF & Meaning श्री गणेश पञ्चचामर स्तोत्र श्रीकविपत्युपनामक-उमापति शर्मा द्वारा रचियत हैं।

श्री गणेश पञ्चचामर स्तोत्रम् (लिखित में) | Ganesha Panchachamara Stotram PDF in Sanskrit & Hindi

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Ganesh Panchachamara Stotram
Ganesh Panchachamara Stotram

॥ श्रीगणेशपञ्चचामरस्तोत्रम् ॥

श्रीगणेशाय नमः ।

ललाट-पट्टलुण्ठितामलेन्दु-रोचिरुद्भटे,

वृताति-वर्चरस्वरोत्सररत्किरीट-तेजसि ।

फटाफटत्फटत्स्फुरत्फणाभयेन भोगिनां,

शिवाङ्कतः शिवाङ्कमाश्रयच्छिशौ रतिर्मम ॥ १॥

अदभ्र-विभ्रम-भ्रमद्-भुजाभुजङ्गफूत्कृती-,

र्निजाङ्कमानिनीषतो निशम्य नन्दिनः पितुः ।

त्रसत्सुसङ्कुचन्तमम्बिका-कुचान्तरं यथा,

विशन्तमद्य बालचन्द्रभालबालकं भजे ॥ २॥

विनादिनन्दिने सविभ्रमं पराभ्रमन्मुख-,

स्वमातृवेणिमागतां स्तनं निरीक्ष्य सम्भ्रमात् ।

भुजङ्ग-शङ्कया परेत्यपित्र्यमङ्कमागतं,

ततोऽपि शेषफूत्कृतैः कृतातिचीत्कृतं नमः ॥ ३॥

विजृम्भमाणनन्दि-घोरघोण-घुर्घुरध्वनि-,

प्रहास-भासिताशमम्बिका-समृद्धि-वर्धिनम् ।

उदित्वर-प्रसृत्वर-क्षरत्तर-प्रभाभर-,

प्रभातभानु-भास्वरं भवस्वसम्भवं भजे ॥ ४॥

अलङ्गृहीत-चामरामरी जनातिवीजन-,

प्रवातलोलि-तालकं नवेन्दुभालबालकम् ।

विलोलदुल्ललल्ललाम-शुण्डदण्ड-मण्डितं,

सतुण्ड-मुण्डमालि-वक्रतुण्डमीड्यमाश्रये ॥ ५॥

प्रफुल्ल-मौलिमाल्य-मल्लिकामरन्द-लेलिहा,

मिलन् निलिन्द-मण्डलीच्छलेन यं स्तवीत्यमम् ।

त्रयीसमस्तवर्णमालिका शरीरिणीव तं,

सुतं महेशितुर्मतङ्गजाननं भजाम्यहम् ॥ ६॥

प्रचण्ड-विघ्न-खण्डनैः प्रबोधने सदोद्धुरः,

समर्द्धि-सिद्धिसाधनाविधा-विधानबन्धुरः ।

सबन्धुरस्तु मे विभूतये विभूतिपाण्डुरः,

पुरस्सरः सुरावलेर्मुखानुकारिसिन्धुरः ॥ ७॥

अराल-शैलबालिका-ऽलकान्तकान्त-चन्द्रमो-,

जकान्तिसौध-माधयन् मनोऽनुराधयन् गुरोः ।

सुसाध्य-साधवं धियां धनानि साधयन्नय-,

नशेषलेखनायको विनायको मुदेऽस्तु नः ॥ ८॥

रसाङ्गयुङ्ग-नवेन्दु-वत्सरे शुभे गणेशितु-,

स्तिथौ गणेशपञ्चचामरं व्यधादुमापतिः ।

पतिः कविव्रजस्य यः पठेत् प्रतिप्रभातकं,

स पूर्णकामनो भवेदिभानन-प्रसादभाक् ॥ ९॥

छात्रत्वे वसता काश्यां विहितेयं यतः स्तुतिः ।

ततश्छात्रैरधीतेयं वैदुष्यं वर्द्धयेद्धिया ॥ १०॥

॥ इति श्रीकविपत्युपनामक-उमापतिशर्मद्विवेदि-विरचितं गणेशपञ्चचामरस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

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