श्री गणेश भुजंग स्तोत्र | Ganesha Bhujanga Stotram Lyrics, PDF & Meaning श्रीगणेशभुजङ्गम् स्तोत्र के रचियता श्री आदि शंकराचार्य जी हैं। श्रीगणेशभुजङ्गम् स्तोत्र से भगवान श्री गणेश जी का आवाहन किया जाता हैं। श्रीगणेशभुजङ्गम् स्तोत्र नियमित रूप से पाठ करने से व्यक्ति की ग़रीबी दूर हो जाती हैं। उसे समाज में सम्मान मिलने लगता हैं। श्रीगणेशभुजङ्गम् स्तोत्र से भगवान श्री गणेश जी को आसानी से खुश कर सकते हैं।
For Success and an Obstacle-Free Path, Chant the Ganesha Bhujanga Daily | आदि शंकराचार्य रचित गणेश भुजंग स्तोत्र
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रणत्क्षुद्रघण्टानिनादाभिरामं चलत्ताण्डवोद्दण्डवत्पद्मतालम् ।
लसत्तुन्दिलाङ्गोपरिव्यालहारं गणाधीशमीशानसूनुं तमीडे ॥ १॥
ध्वनिध्वंसवीणालयोल्लासिवक्त्रं स्फुरच्छुण्डदण्डोल्लसद्बीजपूरम् ।
गलद्दर्पसौगन्ध्यलोलालिमालं गणाधीशमीशानसूनुं तमीडे ॥ २॥
प्रकाशज्जपारक्तरन्तप्रसून- प्रवालप्रभातारुणज्योतिरेकम ।
प्रलम्बोदरं वक्रतुण्डैकदन्तं गणाधीशमीशानसूनुं तमीडे ॥ ३॥
विचित्रस्फुरद्रत्नमालाकिरीटं किरीटोल्लसच्चन्द्ररेखाविभूषम् ।
विभूषैकभूशं भवध्वंसहेतुं गणाधीशमीशानसूनुं तमीडे ॥ ४॥
उदञ्चद्भुजावल्लरीदृश्यमूलो-च्चलद्भ्रूलताविभ्रमभ्राजदक्षम् ।
मरुत्सुन्दरीचामरैः सेव्यमानं गणाधीशमीशानसूनुं तमीडे ॥ ५॥
स्फुरन्निष्ठुरालोलपिङ्गाक्षितारं कृपाकोमलोदारलीलावतारम् ।
कलाबिन्दुगं गीयते योगिवर्यै- र्गणाधीशमीशानसूनुं तमीडे ॥ ६॥
यमेकाक्षरं निर्मलं निर्विकल्पं गुणातीतमानन्दमाकारशून्यम् ।
परं परमोङ्कारमान्मायगर्भं । वदन्ति प्रगल्भं पुराणं तमीडे ॥ ७॥
चिदानन्दसान्द्राय शान्ताय तुभ्यं नमो विश्वकर्त्रे च हर्त्रे च तुभ्यम् ।
नमोऽनन्तलीलाय कैवल्यभासे नमो विश्वबीज प्रसीदेशसूनो ॥ ८॥
इमं सुस्तवं प्रातरुत्थाय भक्त्या पठेद्यस्तु मर्त्यो लभेत्सर्वकामान् ।
गणेशप्रसादेन सिध्यन्ति वाचो गणेशे विभौ दुर्लभं किं प्रसन्ने ॥ ९॥
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