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Krishna Stotram – कृष्ण स्तोत्र – प्रेम और भक्ति में लीन होने के लिए रोजाना पढ़े

Krishna Stotram – कृष्ण स्तोत्र – प्रेम और भक्ति में लीन होने के लिए रोजाना पढ़े श्री कृष्ण स्तोत्र भगवान श्री कृष्ण जी समर्पित हैं। श्री कृष्ण स्तोत्र का पाठ विशेष रूप से श्री कृष्ण जन्माष्टमी या भगवान श्री कृष्ण जी से संबंधित अन्य कई त्योहारों पर किया जाता हैं। श्री कृष्ण स्तोत्र का नियमित रूप से पाठ करने से भगवान श्री कृष्ण जी को आसानी से प्रसन्न किया जा सकता हैं। श्री कृष्ण स्तोत्र के रचियता भगवान श्री ब्रह्म देव जी ने की हैं। श्री कृष्ण स्तोत्र के बारे में बताने जा रहे हैं।

Krishna Stotram Sangrah (कृष्ण स्तोत्र संग्रह): Lyrics & PDF

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Krishna Stotram
Krishna Stotram

रक्ष रक्ष हरे मां च निमग्नं कामसागरे ।

दुष्कीर्तिजलपूर्णे च दुष्पारे बहुसङ्कटे ॥ १ ॥

भक्तिविस्मृतिबीजे च विपत्सोपानदुस्तरे ।

अतीव निर्मलज्ञानचक्षुःप्रच्छन्नकारणे ॥ २ ॥

जन्मोर्मिसङ्गसहिते योषिन्नक्रौघसङ्कुले ।

रतिस्रोतसमायुक्ते गंभीरे घोर एव च ॥ ३ ॥

प्रथमामृतरूपे च परिणामविषालये ।

यमालय प्रवेशाय मुक्तिद्वारादिविस्मृतौ ॥ ४ ॥

बुद्ध्या तरण्या विज्ञानैः उद्धरास्मानतः स्वयं ।

स्वयं च त्वं कर्णधार प्रसीद मधुसूदन ॥ ५ ॥

मद्विधा कतिचिन्नाथ नियोज्या भवकर्मणि ।

सन्ति विश्वेश विधयो हि विश्वेश्वर माधव ॥ ६ ॥

न कर्मक्षेत्रमेवेदं ब्रह्मलोकोऽयमीप्सितः ।

तथापि च स्पृहा कामे त्वद्भक्तिव्यवधायके ॥ ७ ॥

हे नाथ करुणासिन्धो दीनबन्धो कृपां कुरु ।

त्वं महेश महाज्ञाता दुःस्वप्नं मां न दर्शय ॥ ८ ॥

ब्रह्मणा निर्मितं स्तोत्रं भक्तियुक्तश्च यः पठेत् ।

स चैवाकर्मविषये न निमग्नो भवेत् ध्रुवम् ॥ ९ ॥

Krishna Thavarajah: कृष्ण स्तव राजः

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