मंगला गौरी व्रत कथा 2025: जानें पौराणिक कथा और महत्व Mangla Gauri Vrat Katha in Hindi PDF हम यहां आप सभी को मंगला गौरी व्रत कथा के बारे में विस्तार के साथ बताने जा रहे हैं साथ ही आपको इस पोस्ट के माध्यम से मंगला गौरी व्रत कब कब करना चाहिए एवं इस व्रत के करने पर आपके जीवन में क्या लाभ देखने को मिलते हैं इसके बारे में जानकारी दी जा रही हैं।
मंगला गौरी व्रत कथा 2025: पढ़ें संपूर्ण कथा, पूजा विधि और महत्व | Mangla Gauri Vrat Katha PDF Download 2025: Story, Puja Vidhi & Mahatva
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मंगला गौरी व्रत कब करे 2025 | When to observe Mangala Gauri fast
➤ मंगला गौरी व्रत को श्रावण मास के प्रथम मंगलवार से शुरू करना चाहिए।
मंगला गौरी व्रत के लाभ 2025 | Benefits of Mangala Gauri Vrat
👉 मंगला गौरी व्रत कथा एवं उपवास करने से महिलाओं की कुण्डली में वैवाहिक सुख में कमी या विवाह के बाद अलगाव, मांगलिक दोष, दांम्पत्य जीवन में परेशानी आदि परेशानी होने पर या इस प्रकार के अशुभ योग़ कुंडली में होने पर इस व्रत को करना चाहिए।
मंगल गौरी व्रत कथा: कथा, विधि व मंत्र | Mangla Gauri Vrat ki Katha PDF Download: Pura Vrat, Puja Vidhi aur Fayde 2025
कुण्डिन नगर में धर्मपाल नामक एक धनी सेठ रहता था। उसकी पत्नी सती, साध्वी एवं पतिव्रता थी। परंतु उनके कोई पुत्र नहीं था। सब प्रकार के सुखों से समृद्ध होते हुए भी वे दम्पति बड़े दुःखी रहा करते थे। उनके यहां एक जटा रुद्राक्ष मालाधारी भिक्षुक प्रतिदिन आया करते थे। सेठानी ने सोचा कि भिक्षुक को कुछ धन आदि दें, सम्भव है इसी पुण्य से मुझे पुत्र प्राप्त हो जाए। Mangla Gauri Vrat Katha
ऐसा विचारकर पति की सम्पति से सेठानी ने भिक्षुक की झोली में छिपाकर सोना डाल दिया। परंतु इसका परिणाम उलटा ही हुआ भिक्षुक अपरिग्रह व्रती थे, उन्होंने अपना व्रत भंग जानकर सेठ-सेठानी को संतान हीनता का शाप दे डाला। फिर बहुत अनुनय-विनय करने से उन्हें गौरी की कृपा से एक अल्पायु पुत्र प्राप्त हुआ। उसे गणेश ने सोलह वें वर्ष में सर्प दंश का शाप दे दिया था। Mangla Gauri Vrat Katha
परंतु उस बालक का विवाह ऐसी कन्या से हुआ, जिसकी माता ने मंगलागौरी-व्रत किया था। उस व्रत के प्रभाव से उत्पन्न कन्या विधवा नहीं हो सकती थी। अतः वह बालक शतायु हो गया। न तो उसे सांप ही डंस सका और ही यम दूत सोलहवें वर्ष में उसके प्राण ले जा सके। इसलिए यह व्रत प्रत्येक नवविवाहिता को करना चाहिए। Mangla Gauri Vrat Katha
मंगला गौरी व्रत श्रावण मास में पडने वाले सभी मंगलवार को रखा जाता है. श्रावण मास में आने वाले सभी व्रत-उपवास व्यक्ति के सुख- सौभाग्य में वृ्द्धि करते है. सौभाग्य से जुडे होने के कारण इस व्रत को विवाहित महिलाएं और नवविवाहित महिलाएं करती है. इस उपवास को करने का उद्धेश्य अपने पति व संतान के लम्बें व सुखी जीवन की कामना करना है। Mangla Gauri Vrat Katha
जिन महिलाओं की कुण्डली में वैवाहिक सुख में कमी या विवाह के बाद अलगाव जैसे अशुभ योग बन रहे हों, उन महिलाओं को भी यह व्रत विशेष रुप से करना चाहिए. इस व्रत के विषय में यह मान्यता है, कि यह उपवास नियम अनुसार किया जायें तो वैवाहिक सुख को बढाता है, तथा दांम्पत्य जीवन को सुखमय बनाये रखने में सहयोग करता है।

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