Nagapatni Krita Krishna Stotram (Vishnu Purana) – Lyrics & Meaning: विष्णुपुराण नागपत्नी कृत कृष्ण स्तोत्र (कालिय दमन) – कथा, अर्थ व PDF श्रीविष्णुपुराणे नागपत्नीकृत श्रीकृष्ण स्तोत्रम् भगवान श्री कृष्ण जी को समर्पित हैं। श्रीविष्णुपुराणे नागपत्नीकृत श्रीकृष्ण स्तोत्रम् श्री विष्णु पुराण के अंतर्गत से लिया गया हैं। यह श्रीविष्णुपुराणे नागपत्नीकृत श्रीकृष्ण स्तोत्रम् नाग पत्नी द्वारा रचियत हैं। श्रीविष्णुपुराणे नागपत्नीकृत श्रीकृष्ण स्तोत्रम् के बारे में बताने जा रहे हैं।
Kaliya Daman: The Nagapatni Prayer to Krishna (from Vishnu Purana): कालिय नाग का मर्दन (विष्णुपुराण): नागपत्नियों की कृष्ण स्तुति व कथा
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ज्ञातोऽसि देवदेवेश सर्वज्ञस्त्वमनुत्तमः।
परं ज्योतिरचिन्त्यं यत्तदंशः परमेश्वरः॥१॥
न समर्थाः सुरास्स्तोतुं यमनन्यभवं विभुम्।
स्वरूपवर्णनं तस्य कथं योषित्करिष्यति ॥२॥
यस्याखिलमहीव्योमजलाग्निपवनात्मकम्।
ब्रह्माण्डमल्पकाल्पांशः स्तोष्यामस्तं कथं वयम् ॥३॥
यतन्तो न विदुर्नित्यं यत्स्वरूपं हि योगिनः।
परमार्थमणोरल्पं स्थूलात्स्थूलं नताः स्म तम् ॥४॥
न यस्य जन्मने धाता यस्य चान्ताय नान्तकः।
स्थितिकर्ता न चाऽन्योस्ति यस्य तस्मै नमस्सदा ॥५॥
कोपः स्वल्पोऽपि ते नास्ति स्थितिपालनमेव ते।
कारणं कालियस्यास्य दमने श्रूयतां वचः ॥६॥
स्त्रियोऽनुकम्प्यास्साधूनां मूढा दीनाश्च जन्तवः।
यतस्ततोऽस्य दीनस्य क्षम्यतां क्षमतां वर ॥७॥
समस्तजगदाधारो भवानल्पबलः फणी।
त्वत्पादपीडितो जह्यान्मुहूर्त्तार्धेन जीवितम् ॥८॥
क्व पन्नगोऽल्पवीर्योऽयं क्व भवान्भुवनाश्रयः।
प्रीतिद्वेषौ समोत्कृष्टगोचरौ भवतोऽव्यय ॥९॥
ततः कुरु जगत्स्वामिन्प्रसादमवसीदतः।
प्राणांस्त्यजति नागोऽयं भर्तृभिक्षा प्रदीयताम्॥१०॥
भुवनेश जगन्नाथ महापुरुष पूर्वज।
प्राणांस्त्यजति नागोऽयं भर्तृभिक्षां प्रयच्छ नः॥११॥
वेदान्तवेद्य देवेश दुष्टदैत्यनिबर्हण।
प्राणांस्त्यजति नागोऽयं भर्तृभिक्षा प्रदीयताम्॥१२॥

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