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Guruwar Vrat Katha : गुरुवार व्रत की कथा पढ़ने से मिलेगी भगवान विष्णु जी की कृपा गुरुवार का व्रत करने से भगवान श्री विष्णु जी को प्रसन्न करने के लिए रखा जाता हैं। इसके साथ गुरुवार व्रत जब भी किया जाता है जब आपकी कुंडली में गुरु ग्रह अच्छा परिणाम ना दे रहा हो या दशा और अंतर्दशा में अच्छा परिणाम नही दे रहा हो तो भी गुरुवार व्रत करना लाभदायक रहता हैं। गुरुवार व्रत करने जातक के जीवन में विवाह, संतान आदि में हो रही समस्या समाप्त होने लगती हैं।
गुरुवार व्रत कथा — Guruwar Vrat Katha
एक समय की बात है, एक गांव में एक ब्राह्मण अपनी धर्मपत्नी के साथ रहता था। उस दंपत्ति की एक भी संतान नहीं थी, ब्राह्मण और उसकी पत्नी इस बात से बहुत दुखी रहते थे। हर रोज उस ब्राह्मण की पत्नी स्नान के बाद भगवान की पूजा श्रद्धा भाव से करती थी। उसे देख कर ब्राह्मण भी अपने मन में भगवान का नाम लेता रहता था। लेकिन इससे उन दोनों को कोई लाभ नहीं हुआ, तभी एक दिन अचानक उन्हें खुशखबरी मिली। ब्राह्मण के घर लक्ष्मी के रूप में एक बेटी ने जन्म लिया था।
जब उसकी बेटी बड़ी हुई तो वह भी भगवान विष्णु की भक्ति में लीन रहने लगी। वह जब भी विद्यालय जाती थी तो मुट्ठी भर जौ अपने साथ ले जाती थी। विद्यालय जाते समय वह जौ के दाने को डालती जाती थी और जब वह जौ बड़े हो कर सोने में तब्दील हो जाते थे तो उन्हें काटकर अपने घर ले आती थी। एक दिन उस ब्राह्मण ने अपनी बेटी को ऐसा करते हुए देख लिया। ब्राह्मण ने अपनी बेटी को कहा कि यह जौ अब सोने के जौ नहीं बल्कि सोने के सूप में बदल जाने चाहिए।

अगले गुरुवार की सुबह वह ब्राह्मण की बेटी जल्दी उठकर बृहस्पति देव की पूजा करने लगी, उसने बृहस्पति देव से प्रार्थना किया कि अब से जो वह जौ उगाएगी वह सोने के सूप में बदल जाएं। बृहस्पति देव ब्राह्मण की बेटी से प्रसन्न हो गए और उन्होंने उसकी मनोकामना पूरी की। जब वह विद्यालय से वापस आई तो उसने देखा कि वह जौ अब सोने के सूप बन गए हैं। उस दिन से वह ब्राह्मण और उसका पूरा परिवार भगवान बृहस्पति देव की पूजा करने लगा।

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