Bala Krishna Ashtakam – Lyrics & Meaning: श्री बालकृष्ण अष्टकम् (यत्कृपादृष्टिसद्वृष्टिसिक्ता भक्ता) – आदि शंकराचार्य कृत (अर्थ व PDF) श्री बालकृष्ण अष्टकम श्री जीवनेशजी द्वारा रचियत हैं। श्री बालकृष्ण अष्टकम के बारे में बताने जा रहे हैं।
Bala Krishna Ashtakam with Lyrics & Meaning: बालकृष्ण अष्टकम् (अर्थ सहित)
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यत्कृपादृष्टिसद्वृष्टिसिक्ता भक्ता निरन्तरम् ।
भवन्ति सुखिनः स्निग्धास्तं श्रीबालहरिं भजे ॥ १॥
प्रतिपक्षक्षयात्क्षोण्यामङ्क्षु जातं महद्यशः ।
यत्कृपालेशमात्रेण तं श्रीबालहरिं भजे ॥ २॥
स्वीयविश्लेषजक्लेशो नष्टः पुष्टः सुखोदितः ।
यत्कृपालेशमात्रेण तं श्रीबालहरिं भजे ॥ ३॥
सुस्थिरं सुदृढं पूर्णं प्रियं प्राप्येत सत्वरम् ।
यत्कृपालेशमात्रेण तं श्रीबालहरिं भजे ॥ ४॥
सुसम्पदा सत्कलया सद्विद्यावृद्धिगामिनी ।
यत्कृपालेशमात्रेण तं श्रीबालहरिं भजे ॥ ५॥
अनन्याऽहैतुकी पूर्णा स भक्तिः सुदृढा भवेत् ।
यत्कृपालेशमात्रेण तं श्रीबालहरिं भजे ॥ ६॥
इयत्तारहितो नित्य आनन्दः प्राप्यतेऽनिशम् ।
यत्कृपालेशमात्रेण तं श्रीबालहरि भजे ॥ ७॥
श्रीवल्लभेशपादाब्जे रतिः स्याद्विमला परा ।
यत्कृपालेशमात्रेण तं श्रीबालहरिं भजे ॥ ८॥
अष्टकं श्रीबालहरेरिदं मङ्गलकृत्प्रियम् ।
पठेद्वा शृणुयाद्भक्त्या फलं विन्देत्स वाञ्छितम् ॥ ९॥
इति श्रीमद्वल्लभाचार्यचरणैकतान- श्रीमद्गोकुलोत्सवात्मजश्रीजीवनेशजीविरचितं श्रीबालकृष्णाष्टकं समाप्तम् ।

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