Bhuvaneshwari Kavacham for Ultimate Protection | श्री भुवनेश्वरी कवचम् (PDF) यह तो आप सब जानते है की भुवनेश्वरी महाविद्या दस महाविद्याओं में चौथे स्थान की साधना मानी जाती हैं। Maa Bhuvaneshwari Kavacham पढ़ने से साधक को अपने जीवन में में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारों पुरुषार्थो की प्राप्ति निश्चित रूप से होती है। साधक Maa Bhuvaneshwari Kavacham पढ़ने से दरिद्रता को समृद्धि में बदला जा सकता हैं। साधक को कभी भी असाध्य रोग नही होता हैं। Maa Bhuvaneshwari Kavacham पढ़ने से साधक की कुंडलिनी जागरण होने लगती हैं।
Powerful Bhuvaneshwari Kavacham for Protection, Success & Abundance (with Meaning) | सर्व रक्षा के लिए चमत्कारी भुवनेश्वरी कवच | Bhuvaneshwari Raksha Kavach
हमारी वेबसाइट FreeUpay.in (फ्री उपाय.इन) में रोजाना आने वाले व्रत त्यौहार की जानकारी के अलावा मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र, साधना, व्रत कथा, ज्योतिष उपाय, लाल किताब उपाय, स्तोत्र आदि महत्वपूर्ण जानकारी उबलब्ध करवाई जाएगी सभी जानकारी का अपडेट पाने के लिए दिए गये हमारे WhatsApp Group Link (व्हात्सप्प ग्रुप लिंक) क्लिक करके Join (ज्वाइन) कर सकते हैं।
हर समस्या का फ्री उपाय (Free Upay) जानने के लिए हमारे WhatsApp Channel (व्हात्सप्प चैनल) से जुड़ें: यहां क्लिक करें (Click Here)
ह्रीं बीजं मे शिर: पातु भुवनेश्वरी ललाटकम् ।
ऐं पातु दक्षनेत्रं मे ह्रीं पातु वामलोचनम् ।।
श्रीं पातु दक्षकणर्ण मे त्रिवर्णात्मा महेश्वरी ।
वामकर्ण सदा पातु ऐं घ्राणं पातु मे सदा ।।
ह्रीं पातु वदनं देवी ऐं पातु रसनां मम ।
श्रीं स्कन्धौ पातु नियतं ह्रीं भुजौ पातु सर्वदा ।।
क्लीं करौ त्रिपुरेशानी त्रिपुरैश्वर्यदायिनी।।
ॐ पातु ह्रदयं ह्रीं मे मध्यदेशं सदाऽवतु ।
क्री पातु नाभिदेशं सा त्र्यक्षरी भुवनेश्वरी ।।
सर्वबीजप्रदा पृष्ठं पातु सर्ववशंकरी ।
ह्रीं पातु गुदे शं मे नमो भगवती कटिम् ।।
माहेश्वरी सदा पातु सक्थिनी जानुयुग्मकम् ।
अन्नपूर्णा सदा पातु स्वाहा पातु पदद्वयम् ।।
सप्तदशाक्षरी पायाद्न्नपूर्णात्मिका परा ।
तारं माया रमा काम: षोडशार्णा तत: परम् ।।
शिरस्स्था सर्वदा पातु विंशत्यर्नात्मिका परा ।
तारदुर्गे युगं रक्षिणी स्वाहेति दशाक्षरी ।।
जयदुर्गा धनश्यामा पातु मां पूर्वतो मुदा ।
मायावीजादिका चैषा दशार्णा च परा तथा ।।
उत्तप्तकांचनाभासा जयदुर्गाननेऽवतु ।
तारं ह्रीं दुं दुर्गायै नमोऽष्टार्णात्मिका परा ।।
शंखचक्रधनुर्बाणधरा मां दक्षिणेऽवतु ।
महिषामर्दिनी स्वाहा वसुवर्णात्मिका परा ।।
नैऋत्यां सर्वदा पातु महिषासुरनाशिनी ।
माया पद्धावती स्वाहा सप्तार्ना परिकीर्तिता ।।
पद्धावती पद्धसंस्था पश्चिमे मां सदावतु ।
पाशानकुशपुटा माये हि परमेश्वरि स्वाहा ।।
त्रयोदशार्णा भुवनेश्वरीधया अश्वारुढ़ाननेवतु ।
सरस्वती पञ्चशरे नित्यक्लिन्ने मदद्रवे ।।
स्वाहा रव्यक्षरी विद्या मामुत्तरे सदावतु ।
तारं माया तु कवचं खं रक्षेत् सदा वधू: ।।
हूँ क्षे फट् महाविद्या द्वाद्शार्णाखिलप्रदा ।
त्वरिताष्टाहिभि: पायाच्छिवकोणे सदा च माम् ।।
ऐं क्लीं सौ: सा ततो वाला मामूधर्वदेशतोऽवतु ।
बिन्द्वन्ता भैरवी बाला भूमौ च मां सदावतु ।।
👉 Bhuvaneswari Ashtakam Lyrics, Meaning & Benefits | श्री भुवनेश्वरी अष्टकम् (PDF)
👉 श्री भुवनेश्वरी स्तुति (PDF) | Bhuvaneshwari Stuti for Knowledge, Wealth & Success
👉 Bhuvaneshwari Hridaya Stotram Lyrics, Meaning & Benefits | श्री भुवनेश्वरी हृदय स्तोत्रम् (PDF)
👉 Bhuvaneshvari Panchakam Lyrics & Meaning | श्री भुवनेश्वरी पञ्चकम् (PDF)
👉 Bhuvaneshwari Pancharatna Stuti Lyrics & Meaning | श्री भुवनेश्वरी पञ्चरत्न स्तुति (PDF)
वैदिक उपाय और 30 साल फलादेश के साथ जन्म कुंडली बनवाए केवल 500/- रूपये में: पूरी जानकारी यहां पढ़े
10 वर्ष के उपाय के साथ अपनी लाल किताब की जन्मपत्री बनवाए केवल 500/- रूपये में: पूरी जानकारी यहां पढ़े