दीपावली लक्ष्मी पूजन व्रत कथा 2025: पढ़ें लक्ष्मी पूजन की यह पौराणिक व्रत कथा Diwali Lakshmi Puja Katha in Hindi PDF 2025 दिवाली या दीपावली का त्योहार को रोशनी पर्व के रूप में मनाया जाता है। हिन्दू धर्म के अनुसार इसी दिन भगवान श्री राम 14 वर्ष का वनवास काट कर अयोध्या आये थे। इसी ख़ुशी के कारण अयोध्या वासियों ने घी के दीपक जलाकर भगवान श्री राम का स्वागत किया था।
सभी के घरों में दीपावली की रात्रि में माँ लक्ष्मी और भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना श्रद्धा पूर्वक की जाती हैं। हिन्दू धर्म में माँ लक्ष्मी माता को धन और वैभव की देवी के रूप में पूजा जाता हैं। ऐसी मान्यता है कि जो भी व्यक्ति दीपावली की रात्रि में शुभ मुहूर्त में माँ लक्ष्मी जी की श्रद्धा से पूजा करता हैं, तो उसे जीवन भर धन का अभाव नहीं होता हैं।
दीपावली लक्ष्मी पूजन व्रत कथा (PDF) | Sampurna Diwali Puja Katha: Story of Goddess Lakshmi (2025) | Diwali Vrat Katha In Hindi
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Diwali Vrat Katha PDF in Hindi (Free Download 2025) | इस दीपावली की व्रत कथा के बिना अधूरी है दिवाली की लक्ष्मी पूजा
दिवाली व्रत कथा: कहानी, पूजा विधि व मुहूर्त 2025 | Diwali Vrat Katha 2025: Story, Puja Vidhi & Muhurat
दिवाली 2025 कब है? जानें सही तारीख | Diwali 2025: Date, Puja Vidhi & Time
👉 कार्तिक मास अमावस्या को दिवाली के त्यौहार के रूप में मनाया जाता हैं। इस साल 2025 में दिवाली अक्टूबर महीने के 20 तारीख वार सोमवार के दिन बनाया जायेगा।
दिवाली व्रत कथा (PDF) | Diwali Vrat Katha Lyrics in Hindi | Deepawali Vrat Katha PDF in Hindi
एक बार की बात है एक जंगल में एक साहूकार रहता था। उसकी बेटी प्रतिदिन पीपल पर जल चढ़ाया करती थी। जिस पीपल के पेड़ पर वह जल चढ़ाया करती थी उस पर पर मां लक्ष्मी निवास करती थी। एक दिन मां लक्ष्मी ने साहूकार की बेटी से कहा मैं तुम्हारी मित्र बनना चाहती हूं। यह सुनकर साहूकार की बेटी ने कहा मैं अपने पिता से पूछकर आपको बताऊंगी। Diwali Lakshmi Puja Katha
बाद में साहूकार की बेटी अपने पिता के पास गई और अपने पिता से सारी बात कह डाली। दूसरे दिन साहूकार की बेटी है मां लक्ष्मी से दोस्ती करने के लिए हां कर दी। दोनों अच्छे मित्र भी बन गए। दोनों एक दूसरे के साथ खूब बातचीत करने लगे। एक दिन मां लक्ष्मी साहूकार की बेटी को अपने घर ले गई। मां लक्ष्मी ने साहूकार की बेटी का खूब स्वागत किया। उन्होंने उसे अनेकों तरह का भोजन खिलाया। Diwali Lakshmi Puja Katha
जब साहूकार की बेटी मां लक्ष्मी के घर से वापस लौटी तो, मां लक्ष्मी ने उससे एक प्रश्न पूछा कि अब तुम मुझे कब अपने घर ले जाओगी। यह सुनकर साहूकार की बेटी ने मां लक्ष्मी को अपने घर आने को तो कह दिया लेकिन अपने घर की आर्थिक स्थिति को देखकर वह उदास हो गई। उसे डर लगने लगा कि क्या वह अपने दोस्त का अच्छे से स्वागत कर पाएगी। यह सोचकर वह मन ही मन दुखी हो गई। Diwali Lakshmi Puja Katha
साहूकार अपनी बेटी के उदास चेहरे को देखकर समझ गया। तब उसने अपनी बेटी को समझाया कि तुम फौरन मिट्टी से चौका बनाकर साफ सफाई करो। चार बत्ती के मुख वाला दिया जलाकर मां लक्ष्मी का नाम लेकर वहां उनका स्मरण करों। Diwali Lakshmi Puja Katha
पिता की यह बात सुनकर उसने वैसा ही किया। उसी समय एक चील किसी रानी का नौलखा हार लेकर उड़ रहा था। अचानक वह हार सहूकार की बेटी के सामने गिर गया। तब साहूकार की बेटी ने जल्दी से वह हार बेचकर भोजन की तैयारी की। थोड़ी देर बाद भगवान श्री गणेश के साथ मां लक्ष्मी साहूकार की बेटी के घर आई। साहूकार की बेटी ने दोनों की खूब सेवा की। उसकी सेवा को देखकर मां लक्ष्मी बहुत प्रसन्न हुई और उन्होंने उसकी सारी पीड़ा को दूर कर दिया। इस तरह से साहूकार और उसकी बेटी अमीरों की तरह जीवन व्यतीत करने लगी। Diwali Lakshmi Puja Katha

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