Mahalaxmi Vrat Puja Vidhi 2025: Step-by-Step महालक्ष्मी व्रत 2025: जानें संपूर्ण पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और सामग्री लिस्ट हम यंहा आपको श्री महालक्ष्मी व्रत के बारे में बताने जा रहे हैं। इस पोस्ट की सहायता से Shri Mahalaxmi Vrat Puja कैसे की जाती हैं और इस व्रत के रखने के क्या नियम हैं और इस व्रत का उद्यापन कैसे किया जाता हैं इसके बारे में जानकारी देंगे। हमारे द्वारा बताये जा रहे श्री महालक्ष्मी व्रत पुजा विधि को पढ़कर आप भी बहुत आसन तरीके से महालक्ष्मी की पूजा करके उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकोगें।
महालक्ष्मी व्रत कब है 2025? जानें पूजा सामग्री, शुभ मुहूर्त और विधि | Mahalaxmi Vrat for Wealth & Prosperity: A Step-by-Step Puja Guide
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Mahalaxmi Vrat Puja 2025 Date: महालक्ष्मी व्रत पूजा कब है? 2025
श्री महालक्ष्मी व्रत को हर वर्ष भद्रापद मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन किया जाता है। श्री महालक्ष्मी व्रत की शुरुवात से लगातार 16 दिनो तक इस व्रत को करने का विधान हैं। इस Shri Mahalaxmi Vrat Puja में माँ लक्ष्मी देवी जी का पूजन किया जाता है।
इस वर्ष 2025 में महालक्ष्मी (हाथी पूजा) व्रत भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 31 अगस्त, 2025 वार रविवार से आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 14 सितंबर, 2025 वार रविवार तक किया जायेगा।
महालक्ष्मी व्रत का महत्व
महालक्ष्मी व्रत को विशेष रूप से शादीशुदा महिलाएं अपने परिवार में सुख शांति और धन प्राप्ति आदि की मनोकामना पूर्ति के लिए करती है। Shri Mahalaxmi Vrat Puja को करने से उन महिलायें के परिवार में माता लक्ष्मी जी और भगवान श्री हरी जी की कृपा बनी रहती हैं।
Mahalaxmi Vrat Puja Samagri: महालक्ष्मी व्रत 2025 पूजा सामग्री
श्री महालक्ष्मी जी की प्रतिमा या मूर्ति, कलश, घी का दीपक, धूपबत्ती, चन्दन, ताल, पत्र, पुष्प माला, अक्षत, दूर्वा, लाल सूत, सुपारी, नारियल, मेवा, मिठाई, सफेद दूध की बर्फी।
16 दिन महालक्ष्मी व्रत की सरल पूजा विधि | Mahalaxmi Puja Vidhi at Home
सबसे पहले प्रात:काल स्नान से पहले हरी घास/दूब को अपने पूरे शरीर पर घिसें। स्नान आदि कार्यो से निवृत होकर, Shri Mahalaxmi Vrat Puja का संकल्प लिया जाता है। व्रत का संकल्प लेते समय निम्न मंत्र का उच्चारण किया जाता है।
Shri Mahalaxmi Vrat Puja Mantra: श्री महालक्ष्मी व्रत पूजा मंत्र
करिष्यsहं महालक्ष्मि व्रतमें त्वत्परायणा ।
तदविध्नेन में यातु समप्तिं स्वत्प्रसादत:।।
👉 अर्थात हे देवी, मैं आपकी सेवा में तत्पर होकर आपके इस महाव्रत का पालन करूंगा। आपकी कृ्पा से यह व्रत बिना विध्नों के पर्रिपूर्ण हों, एसी कृपा करे। यह कहकर अपने हाथ की कलाई में बना हुआ डोरा बांध लें, जिसमें 16 गांठे लगी हों, बाध लेना चाहिए।
श्री महालक्ष्मी व्रत पुजा विधि कैसे करे | Shri Mahalaxmi Vrat Puja Vidhi Kaise Kare
👉 – सबसे पहले Shri Mahalaxmi Vrat Puja में लकड़ी की चौकी पर श्वेत रेशमी आसन (कपड़ा ) बिछाएं।
👉 – यदि आप मूर्ति का प्रयोग कर रहे हो तो उसे आप लाल वस्त्र से सजाएँ | श्री लक्ष्मी को पंचामृ्त से स्नान कराया जाता है. और फिर उसका सोलह प्रकार से पूजन किया जाता है।
👉 – संभव हो तो एक कलश पर अखंड ज्योति स्थापित करें।
👉 – रोजाना सुबह श्री महालक्ष्मी व्रत कथा और आरती करें तथा संध्या के समय भी श्री महालक्ष्मी जी की आरती करें, मेवा, मिठाई, सफेद दूध की बर्फी का नित्य भोग लगायें।
👉 – पूजन सामग्री में चन्दन, ताल, पत्र, पुष्प माला, अक्षत, दूर्वा, लाल सूत, सुपारी, नारियल तथा नाना प्रकार के भोग रखे जाते है. नये सूत 16-16 की संख्या में 16 बार रखा जाता है।
👉 – लाल कलावे का टुकड़ा लीजिये तथा उसमे 16 गांठे लगा कर कलाई में बांध लीजिये इस प्रकार प्रथम दिन सुबह पूजा के समय प्रत्येक घर के सदस्य इसे बांधे एवं पूजा के पश्वात इसे उतार कर लक्ष्मी जी के चरणों में रख दें इसका प्रयोग पुनः अंतिम दिन संध्या पूजा के समय होगा।
इसके बाद श्री महालक्ष्मी व्रत करने वाले उपवासक को ब्रह्माणों को भोजन कराया जाता है। और दान- दक्षिणा दी जाती है. इसके बाद निम्न मंत्र का उच्चारण किया जाता है।
Mahalaxmi Vrat 2025 Puja Mantra: श्री महालक्ष्मी पूजा मंत्र
क्षीरोदार्णवसम्भूता लक्ष्मीश्चन्द्र सहोदरा ।
व्रतोनानेत सन्तुष्टा भवताद्विष्णुबल्लभा ।।
👉 अर्थात क्षीर सागर से प्रकट हुई लक्ष्मी जी, चन्दमा की सहोदर, श्री विष्णु वल्लभा, महालक्ष्मी इस व्रत से संतुष्ट हो। इसके बाद चार ब्राह्माण और 16 ब्राह्माणियों को भोजन करना चाहिए। इस प्रकार यह व्रत पूरा होता है। इस प्रकार जो इस व्रत को करता है, उसे अष्ट लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
Mahalaxmi Vrat Udyapan Vidhi: महालक्ष्मी व्रत का उद्यापन कैसे करें? जानें पूजा विधि और नियम
👉 – 1 . श्री महालक्ष्मी व्रत के अंतिम दिन उद्यापन के समय दो सूप लें, किसी कारण से आप को सूप ना मिले तो आप स्टील की नई थाली ले सकते हैं। इसमें 16 श्रृंगार के सामान 16 ही की संख्या में और दूसरी थाली अथवा सूप से ढकें, 16 दिए जलाएं, पूजा करें, थाली में रखे सुहाग के सामान को देवी जी को स्पर्श कराएँ एवं उसे दान करने का संकल्प लें।
👉 – 2. जब चन्द्रमा निकल आये तो लोटे में जल लेकर तारों को अर्घ दें तथा उत्तर दिशा की ओर मुंह कर के पति पत्नी एक – दूसरे का हाथ थाम कर के माता महालक्ष्मी को अपने घर आने का (हे माता महालक्ष्मी मेरे घर आ जाओ ) इस प्रकार तीन बार आग्रह करें।
👉 – 3. इसके पश्चात एक सुन्दर थाली में माता महालक्ष्मी के लिए, बिना लहसुन प्याज का भोजन सजाएँ तथा घर के उन सभी सदस्यों को भी थाली लगायें जो व्रत हैं | यदि संभव हो तो माता को चांदी की थाली में भोजन परोसें, ध्यान रखिये की थाली ऐसे रखी होनी चाहिये की माता की मुख उत्तर दिशा में हो और बाकि व्रती पूर्व या पश्चिम दिशा की ओर मुह कर के भोजन करें।
👉 – 4. भोजन में पूड़ी, सब्जी ,रायता और खीर होने चाहिये। अथार्त वैभवशाली भोजन बनाये।
👉 – 5. भोजन के पश्चात माता की थाली ढँक दें एवं सूप में रखा सामान भी रात भर ढंका रहने दें। सुबह उठ के इस भोजन को किसी गाय को खिला दें और दान सामग्री को किसी ब्राह्मण को दान करें जो की इस व्रत की अवधी में महालक्ष्मी का जाप करता हो या फिर स्वयं यह व्रत करता हो, यदि ऐसा संभव न हो तो किसी भी ब्राह्मण को ये दान दे सकते हैं। या किसी लक्ष्मी जी के मन्दिर में देना अति उत्तम होगा।
Shri Mahalaxmi Vrat Puja दान सामग्री की 16 वस्तुएं –
- सोलह चुनरी
- सोलह सिंदूर
- सोलह लिपिस्टिक
- सोलह रिबन
- सोलह कंघा
- सोलह शीशा
- सोलह बिछिया
- नाक की सोलह कील या नथ
- सोलह फल
- सोलह मिठाई
- सोलह मेवा
- सोलह लौंग
- सोलह इलायची
- सोलह मीटर सफेद कपड़ा या सोलह रुमाल
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