Mangla Gauri Vrat Puja Vidhi : Mangla Gauri Vrat Udyapan Vidhi : मंगला गौरी व्रत पूजा विधि हम यंहा आपको मंगला गौरी व्रत पूजा की सम्पूर्ण विधि को विस्तार के साथ बताने जा रहे हैं, इस पोस्ट के माध्यम से आप भी बहुत आसन तरीके साथ माँ मंगला गौरी व्रत पूजा विधि को सही तरह से कर सकते हैं। इस आर्टिकल में मंगला गौरी व्रत पूजा सामग्री, पूजा विधि, पूजा मंत्र एवं उद्यापन विधि के बारे में बताने जा रहे हैं।
मंगला गौरी व्रत पूजा सामग्री
इस मंगला गौरी व्रत पूजा के लिए फल, फूलों की मालाएं, लड्डू, पान, सुपारी, इलायची, लोंग, जीरा, धनिया (सभी वस्तुएं सोलह की संख्या में होनी चाहिए), साडी सहित सोलह श्रंगार की 16 वस्तुएं, 16 चूडियां इसके अतिरिक्त पांच प्रकार के सूखे मेवे 16 बार. सात प्रकार के धान्य (गेंहूं, उडद, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर) 16 बार।
मंगला गौरी व्रत पूजा कैसे करें
इस मंगला गौरी व्रत पूजा को करने वाली महिलाओं को श्रावण मास के प्रथम मंगलवार के दिन इन व्रतों का संकल्प सहित प्रारम्भ करना चाहिए. श्रावण मास के प्रथम मंगलवार की सुबह, स्नान आदि से निर्वत होने के बाद, मंगला गौरी की मूर्ति या फोटो को लाल रंग के कपडे से लिपेट कर, लकडी की चौकी पर रखा जाता है. इसके बाद गेंहूं के आटे से एक दीया बनाया जाता है, इस दीये में 16-16 तार कि चार बतियां कपडे की बनाकर रखी जाती है।
मंगला गौरी व्रत पूजा विधि || Mangla Gauri Vrat Puja Vidhi
मंगला गौरी व्रत पूजा करने वाले व्रती को सुबह स्नान आदि कर व्रत का प्रारम्भ किया जाता हैं।
एक चौकी पर सफेद लाल कपडा बिछाना चाहिये।
सफेद कपडे पर चावल से नौ ग्रह बनाते है, तथा लाल कपडे पर षोडश माताएं गेंहूं से बनाते है।
चौकी के एक तरफ चावल और फूल रखकर गणेश जी की स्थापना की जाती है।
दूसरी और गेंहूं रख कर कलश स्थापित करते हैं।
कलश में जल रखते है।
आटे से चौमुखी दीपक बनाकर कपडे से बनी 16-16 तार कि चार बतियां जलाई जाती है।
सबसे पहले श्री गणेश जी का पूजन किया जाता है।
पूजन में श्री गणेश पर जल, रोली, मौली, चन्दन, सिन्दूर, सुपारी, लोंग, पान,चावल, फूल, इलायची, बेलपत्र, फल, मेवा और दक्षिणा चढाते हैं।
इसके पश्चात कलश का पूजन भी श्री गणेश जी की पूजा के समान ही किया जाता है।
फिर नौ ग्रहों तथा सोलह माताओं की पूजा की जाती है। चढाई गई सभी सामग्री ब्राह्माण को दे दी जाती है।
मंगला गौरी की प्रतिमा को जल, दूध, दही से स्नान करा, वस्त्र आदि पहनाकर रोली, चन्दन, सिन्दुर, मेंहन्दी व काजल लगाते है। श्रंगार की सोलह वस्तुओं से माता को सजाया जाता हैं।
सोलह प्रकार के फूल- पत्ते माला चढाते है, फिर मेवे, सुपारी, लौग, मेंहदी, शीशा, कंघी व चूडियां चढाते है।
अंत में मंगला गौरी व्रत की कथा सुनी जाती हैं. मंगला गौरी की पूजा मंत्र को करके मंगला गौरी की आरती करे।
कथा सुनने के बाद विवाहित महिला अपनी सास तथा ननद को सोलह लड्डु देती हैं. इसके बाद वे यही प्रसाद ब्राह्मण को भी देती हैं. अंतिम व्रत के दूसरे दिन बुधवार को देवी मंगला गौरी की प्रतिमा को नदी या पोखर में विर्सिजित कर दिया जाता हैं।
Mangla Gauri Vrat Katha : Mangala Gauri Vrat Story : मंगला गौरी व्रत कथा
Mangla Gauri Mantra : Mangala Gauri Puja Mantra : मंगला गौरी मंत्र
Mangla Gauri Stotram : Mangala Gauri Stotra : मंगला गौरी स्तोत्र
Mangla Gauri Stuti : Mangala Gauri Stuti : मंगला गौरी स्तुति
Mangla Gauri Ki Aarti : Maa Mangala Gauri Aarti : मंगला गौरी की आरती
मंगला गौरी व्रत पूजा मंत्र
दिए गये मंगला गौरी व्रत पूजा मंत्र को कम से कम 11, 21, 51, 108 बार या अपनी श्रध्दा के अनुसार जाप करना चाहिए।
मंत्र : सर्वमंगल मांगल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके. शरणनेताम्बिके गौरी नारायणी नमोस्तुते..
पुरूष क्या करें:
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार मंगला गौरी व्रत पूजा से मंगलिक योग का कुप्रभाव भी काम होता है। पुरूषों को इस दिन मंगलवार का व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए। इससे उनकी कुण्डली में मौजूद मंगल का अशुभ प्रभाव कम होता है और दांपत्य जीवन में खुशहाली आती है।
मंगला गौरी पूजा व्रत उद्यापन विधि
मंगला गौरी पूजा व्रत का उद्यापन आखरी मंगलवार को किसी पंडित या पुरोहित या आचार्य जी को सोलह सुहागन स्त्रियों को भोजन करा कर मंगला गौरी पूजा व्रत उद्यापन करना चाहिए। मंगला गौरी व्रत पूजा उद्यापन वाले दिन हर मंगलवार की तरह ही पूजा करनी चाहिए। आखरी मंगलवार को समस्त परिवार के साथ हवन करना चाहिए। हवन पूर्णाहुति के बाद मंगला गौरी की आरती करे। इस प्रकार से मंगला गौरी व्रत का उद्धयापन किया जाता है।
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