Parivartini Ekadashi Puja Vidhi 2025: Step-by-Step परिवर्तिनी एकादशी (जलझूलनी ग्यारस) 2025: जानें संपूर्ण पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और सामग्री लिस्ट हम आपको यंहा जलझूलनी एकादशी की सम्पूर्ण पूजा कैसे की जाती हैं उसके बारे में विस्तार से बताने जा रहे है इस पोस्ट की सहायता से आप भी जलझूलनी एकादशी के दिन पूजा विधि सही तरह से कर सकते है। FreeUpay.in द्वारा बताये जा रहे जलझूलनी एकादशी पूजा विधि (Jal Jhulani Ekadashi (Parivratniya Ekadashi) Puja Vidhi को पढ़कर आप भी बहुत आसन तरीके जलझूलनी एकादशी की पूजा कर सकोंगे।
जलझूलनी एकादशी पूजा विधि: Jal Jhulni Ekadashi 2025 (Parivartini) Puja Vidhi & Rules
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जलझूलनी एकादशी कब है 2025? जानें पूजा सामग्री, शुभ मुहूर्त और विधि
इस वर्ष 2025 में जलझूलनी एकादशी (परिवर्तिनी एकादशी) व्रत को सितम्बर महीने की 03 तारीख़, वार बुधवार के दिन मनाई जायेगी।
जलझूलनी एकादशी का महत्व: Jal Jhulani Ekadashi (Parivratniya Ekadashi) 2025 Ka Mahtav
👉 धर्म ग्रंथों के अनुसार, जो भी जातक परिवर्तिनी एकादशी व्रत करते हुए रात्रि जागरण करते हैं, उनके समस्त पाप नष्ट होकर मोक्ष प्राप्ति करके स्वर्गलोक को प्राप्त होते हैं।
👉 Jal Jhulani Ekadashi (Parivratniya Ekadashi) व्रत करने वाले जातक को वाजपेय यज्ञ समान फल मिलता है।
👉 पापियों के पाप नाश के लिए इससे बढ़कर कोई उपाय नहीं है। जो मनुष्य इस एकादशी को भगवान विष्णु के वामन रूप की पूजा करता है, उससे तीनों लोक पूज्य होते हैं।
👉 जलझूलनी एकादशी व्रत के बारे में भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं युधिष्ठिर से कहा है कि जो इस दिन कमलनयन भगवान का कमल से पूजन करते हैं, वे अवश्य भगवान के करीब जाते हैं।
👉 जिसने भाद्रपद शुक्ल एकादशी को व्रत और पूजन किया, उसने ब्रह्मा, विष्णु सहित तीनों लोकों का पूजन किया। अत: हरिवासर अर्थात Jal Jhulani Ekadashi (Parivratniya Ekadashi) का व्रत अवश्य करना चाहिए।
जलझूलनी एकादशी पूजा विधि | Jal Jhulani Ekadashi Puja Vidhi
👉 जलझूलनी एकादशी के दिन व्रती को सुबह जल्दी जागकर स्नान आदि करके साफ कपड़े धारण करके भगवान श्री वामन की प्रतिमा के सामने बैठकर व्रत करने का संकल्प लें। इस दिन यथासंभव उपवास करें उपवास में अन्न ग्रहण ना करें यदि संभव न हो तो एक समय फलाहारी कर सकते हैं।
👉 इसके बाद भगवान श्री वामन जी की षोडशोपचार पूजा करें।
👉 इसके बाद भगवान वामन को पंचामृत से स्नान कराएं। इसके बाद गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य आदि पूजन सामग्री अर्पित करें।
👉 इसके बाद भगवान को गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य आदि पूजन सामग्री अर्पित करें।
👉 विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करे एवं Jal Jhulani Ekadashi (Parivratniya Ekadashi) व्रत कथा पढ़े या सुनें और एकादशी आरती करे।
👉 भगवान वामन जी को भोग लगाए और स्वयं चरणामृत ग्रहण करें।
👉 रात को व्रती को भगवान वामन की मूर्ति या प्रतिमा के पास ही सोएं और दूसरे दिन यानी द्वादशी तिथि को किसी ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान देकर आशीर्वाद प्राप्त करें।
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परिवर्तिनी एकादशी (जलझूलनी एकादशी) के दिन क्या करें क्या ना करें
👉 शास्त्रों का कहना है कि जो मनुष्य इस Jal Jhulani Ekadashi / Parivratniya Ekadashi का व्रत रखते हैं उन्हें सदाचार का पालन करना चाहिए।
👉 जो यह व्रत नहीं भी करते है उन्हें भी इस दिन लहसुन, प्याज, बैंगन, मांस-मदिरा, पान-सुपारी और तंबाकू से परहेज रखना चाहिए।
👉 Jal Jhulani Ekadashi (Parivratniya Ekadashi) व्रत रखने वाले को दशमी तिथि के दिन से ही मन में भगवान श्री विष्णु जी का ध्यान शुरू कर देना चाहिए तथा मूली, मसूरदाल के सेवन से परहेज रखना चाहिए।
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