Pitru Shradh Vidhi: A Complete Step-by-Step Guide (Tarpan & Pind Daan) घर पर श्राद्ध कैसे करें? जानें तर्पण और पिंड दान की संपूर्ण विधि आप सब जानते हो की पितृ श्राद्ध में पितृ के लिए आते है इसलिए हम यंहा आपको Pitru Shradh Vidhi के बारे में बताने जा रहे है। हमारे द्वारा बताई गई इन दिनों कैसे पूजा करें इसके बारे में जानकर आपको Pitru Shradh Vidhi को सही से करके अपने पितृ को ख़ुश कर सकते है। Free Upay.in द्वारा बताये जा रहे पितृ श्राद्ध विधि (Pitru Shradh Vidhi) को करके आप भी अपने जीवन में फायदा व लाभ उठा सकते है।
पितरों की शांति के लिए जानें श्राद्ध की शास्त्रोक्त विधि | Pitru Tarpan Vidhi
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पितृ दोष से मुक्ति और पितरों के आशीर्वाद के लिए श्राद्ध की संपूर्ण विधि | How to do Pitru Shradh Puja at Home? (Simple Vidhi & Samagri List)
वैसे श्राद्ध करने की मुख्य रूप से दो प्रक्रियाएं हैं: १. एक पिंडदान और २. दूसरी ब्राह्मण भोजन।
यदि एक अधिक से पुत्र हो तो और अलग-अलग रहते है तो उन सब को Pitru Shradh Vidhi करना चाहिए। ब्राह्मण भोजन के साथ पंचबलि कर्म भी होता है, जिसका विशेष महत्व है। पंचबलि का मतलब शास्त्रों में पांच तरह की बलि बताई गई हैं, जिसका श्राद्ध में विशेष महत्व है। गौ बलि, श्वान बलि, काक बलि, देवादि बलि, पिपीलिका बलि। यहां बलि से तात्पर्य किसी पशु या पक्षी की हत्या से नहीं है, बल्कि श्राद्ध के दिन इन सब को भोजन खिलाना चाहिए। इसे ही बलि कहा जाता है।
👉 प्रतिदिन या श्राद्ध वाले दिन खीर या चावल में शक्कर डालकर सामग्री बनाकर तैयार कर लें।
👉 उसके बाद गाय के गोबर के कंडे को जलाकर पूर्ण प्रज्वलित कर लें। उक्त प्रज्वलित कंडे को शुद्ध स्थान में किसी बर्तन में रखकर, खीर से तीन आहुति दें।
👉 इसके नजदीक (पास में ही) जल का भरा हुआ एक गिलास रख दें अथवा लोटा रख दें। इस जल से प्रज्वलित कंडे के चारों और 3 बार जल को घुमाकर छिड़े दें।
👉 अगले दिन इस जल को किसी वृक्ष की जड़ में डाल दें।
👉 भोजन में से सर्वप्रथम गाय, काले कुत्ते और कौए के लिए ग्रास अलग से निकालकर उन्हें खिला दें।
👉 इसके पश्चात ब्राह्मण को भोजन कराएं फिर स्वयं भोजन ग्रहण करें। पश्चात ब्राह्मणों को यथायोग्य दक्षिणा दें।
👉 पिंडदान या श्राद्ध करते समय सफेद या पीले वस्त्र ही धारण करें। जो इस प्रकार श्राद्धादि कर्म संपन्न करते हैं, वे समस्त मनोरथों को प्राप्त करते हैं और अनंत काल तक स्वर्ग का उपभोग करते हैं।
👉 Pitru Shradh Vidhi कर्म करते समय दिया हुआ मंत्र 3 बार पढ़ना चाहिए यह मंत्र ब्रह्मा जी द्वारा रचित आयु, आरोग्य, धन, लक्ष्मी प्रदान करने वाला अमृत मंत्र है: मंत्र:
Pitru Shradh Vidhi Puja Mantra पितृ श्राद्ध 2025 पूजा मंत्र
“देवताभ्यः पितृभ्यश्च महायोगिश्च एव च। नमः स्वधायै स्वाहायै नित्यमेव भवन्त्युत ।।”
👉 श्राद्ध सदैव दोपहर के समय ही करें। या सम्भंव नही है तो सूर्योदय से लेकर दिन के 12 बजकर 24 मिनट की अवधि के मध्य ही श्राद्ध करें। प्रातः एवं सायंकाल के समय श्राद्ध निषेध कहा गया है। हमारे धर्म-ग्रंथों में पितरों को देवताओं के समान संज्ञा दी गई है।
👉 ‘सिद्धांत शिरोमणि’ ग्रंथ के अनुसार चंद्रमा की ऊर्ध्व कक्षा में पितर लोक है जहां पितर रहते हैं।
👉 श्राद्ध की संपूर्ण प्रक्रिया दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके की जाये तो अच्छा – क्योंकि पितर-लोक को दक्षिण दिशा में बताया गया है।
👉 इस अवसर पर तुलसी दल का प्रयोग अवश्य करना चाहिए। गया, पुष्कर, प्रयाग, हरिद्वार आदि तीर्थों में Pitru Shradh Vidhi करने का विशेष महत्व है।
👉 पितरों को भोजन सामग्री देने के लिए मिट्टी के बर्तनों का प्रयोग किया जाये तो अच्छा है । केले के पत्ते या लकड़ी के बर्तन का भी प्रयोग किया जा सकता है।
👉 जिस दिन Pitru Shradh Vidhi करें उस दिन पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करें । श्राद्ध के दिन क्रोध, चिड़चिड़ापन और कलह से दूर रहें।
👉 सच्चे मन, विश्वास, श्रद्धा के साथ किए गए संकल्प की पूर्ति होने पर पितरों को आत्मिक शांति मिलती है। तभी वे हम पर आशीर्वाद रूपी अमृत की वर्षा करते हैं।
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