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Rama Ekadashi Vrat Katha in Hindi PDF | रमा एकादशी 2025: संपूर्ण व्रत कथा और महत्व

रमा एकादशी 2025: संपूर्ण व्रत कथा और महत्व | Rama Ekadashi Vrat Katha in Hindi PDF रमा एकादशी व्रत कार्तिक मास के कृ्ष्ण पक्ष की एकादशी को किया जाता है। इस दिन भगवान श्री केशव का संपूर्ण वस्तुओं से पूजन किया जाता है। इस एकादशी के दिन नैवेद्ध तथा आरती कर प्रसाद वितरित करके ब्राह्माणों को खिलाया जाता है। और दक्षिणा भी बांटी जाती है। इसका व्रत करने से समस्त पाप नष्ट होते है। 

रमा एकादशी: व्रत कथा (संपूर्ण) – सरल हिन्दी | Rama Ekadashi 2025 Vrat Katha | October 17 Friday | Complete Story & Significance

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Rama Ekadashi Vrat Katha
Rama Ekadashi Vrat Katha

Rama Ekadashi 2025 Vrat Katha in Hindi | रमा एकादशी व्रत कथा 2025: पढ़ें पूरी कहानी, महत्व और पारण समय

Rama Ekadashi Katha Lyrics & PDF Download: यह रमा एकादशी व्रत कथा ब्रह्महत्या जैसे पापों को भी नष्ट कर देती है

Rama Ekadashi 2025 Date: रमा एकादशी व्रत कब हैं? 2025

➤ इस वर्ष 2025 में रमा एकादशी व्रत को अक्टूबर महीने की 17 तारीख़, वार शुक्रवार के दिन मनाई जायेगी।

रमा एकादशी व्रत कथा PDF डाउनलोड | Rama Gyaras Ki Katha in Hindi PDF Download | Rama Ekadashi Vrat Katha

प्राचीन काल की बात है, एक बार मुचुकुन्द नाम का एक राजा राज्य करता था. उसके मित्रों में इन्द्र, वरूण, कुबेर और विभीषण आदि थे. वह प्रकृ्ति से सत्यवादी था.  तथा वह श्री विष्णु का परम भक्त था. उसका राज्य में कोई पाप नहीं होता है. उसके यहां एक कन्या ने जन्म लिया. बडे होने पर उसने उस कन्या का विवाह राजा चन्द्रसेन के पुत्र साभन के साथ किया. Rama Ekadashi Vrat Katha

एक समय जब चन्द्रभागा अपने ससुराल में थी, तो एक एकादशी पडी. एकादशी का व्रत करने की परम्परा उसने मायके से मिली थी. चन्द्रभागा का पति सोचने लगा कि मैं शारीरिक रुप से अत्यन्त कमजोर हूँ. मैं इस एकादशी के व्रत को नहीं कर पाऊंगा. व्रत न करने की बात जब चन्द्रभागा को पता चली तो वह बहुत परेशान हुई़.

चन्द्रभागा ने कहा कि मेरे यहां एकादशी के दिन कोई भी भोजन नहीं कर सकता. अगर आप भोजन करना ही चाहते है, तो किसी ओर स्थान पर चले जाईये़ यदि आप यहां पर रहेगें, तो आपको व्रत अवश्य ही करना पडेगा. अपनी पत्नी की यह बात सुनकर शोभन बोला कि तब तो मैं यही रहूंगा और व्रत अवश्य ही करूंगा. Rama Ekadashi Vrat Katha

यह सोच कर उसने एकादशी का व्रत किया, व्रत में वह भूख प्यास से पीडित होने लगा. सूर्य भगवान भी अस्त हो गए. और जागरण की रात्रि हुई़. वह रात्रि सोभन को दु:ख देने वाली थी. दूसरे दिन प्रात: से पूर्व ही सोभन इस संसार से चल बसा.  

राजा ने उसके मृ्तक शरीर को दहन करा दिया. चन्द्रभागा अपने पति की आज्ञानुसार अपने पिता के घर पर ही रही़. रमा एकादशी के प्रभाव से सोभन को एक उतम नगर प्राप्त हुआ, जो सिंहासन से युक्त था, परन्तु यह राज्य अध्रुव ( अदृश्य)  था. यह एक ऎसा राज्य था. जो अपने आप में अनोखा था. Rama Ekadashi Vrat Katha

एक बार उसकी पत्नी के राज्य का एक ब्राह्माण भ्रमण के लिए निकला, उसने मार्ग में सोभन का नगर देखा. और सोभन ने उसे बताया कि उसे रमा एकादशी के प्रभाव से यह नगर प्राप्त हुआ है. सोभन ने ब्राह्माण से कहा की मेरी पत्नी चन्द्र भागा से इस नगर के बारे में और मेरे बारे में कहना. वह सब ठिक कर देगी.

ब्राह्माण ने वहां आकर चन्द्रभागा को सारा वृ्तान्त सुनाया. चन्द्रभागा बचपन से ही एकादशी व्रत करती चली आ रही थी. उसने अपनी सभी एकादशियों के प्रभाव से अपने पति और उसके राज्य को यथार्थ का कर दिया. और अन्त में अपने पति के साथ दिव्यरुप धारण करके तथा दिव्य वस्त्र अंलकारों से युक्त होकर आनन्द पूर्वक अपने पति के साथ रहने लगी. जो जन रमा एकादशी का व्रत करते है. उनके ब्रह्माहत्या आदि के पाप नष्ट होते है. Rama Ekadashi Vrat Katha

संपूर्ण रमा एकादशी व्रत कथा और माहात्म्य | Rama Ekadashi Story and Significance 2025

कार्तिक मास के कृ्ष्णपक्ष की एकादशी का नाम रमा एकादशी है. इस एकादशी को रम्भा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. इसका व्रत करने से समस्त पाप नष्ट होते है.

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