Rishi Stuti (Saptarishi Stotram): Full Lyrics, PDF & Meaning: ऋषि स्तुति (ऋषि पंचमी स्तुति) 2025 हर साल भादो मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ऋषि पंचमी का पर्व मनाया जाता है. ऐसी मान्यताएं हैं कि इस दिन पूजा व्रत-उपासना करने से जाने-अनजाने में हुई गलतियों का प्रायश्चित किया जा सकता है। इस दिन महिलाओं द्वारा सप्त ऋषियों यानी सात ऋषियों को श्रद्धांजलि देने और रजस्वला दोष से शुद्ध होने के लिए रखा जाने वाला एक उपवास दिवस है। ऋषि पंचमी की पूजा में ऋषि स्तुति करने से सप्त ऋषियों का आशीर्वाद प्राप्त किया जाता हैं।
ऋषि पंचमी स्तुति – Rishi Panchami Stuti (Saptarishi Stotram): Full Lyrics, PDF & Meaning
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भृगुर्वशिष्ठः क्रतुरङ्गिराश्च मनुः पुलस्त्यः पुलहश्च गौतमः ।
रैभ्यो मरीचिश्च्यवनश्च दक्षः कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम् ॥ १॥
👉 अर्थ – हे प्रभु! भृगु, वशिष्ठ, क्रतु, अङ्गिरा, मनु, पुलस्त्य, पुलह और गौतम, रैभ्य, मरीचि, एवं श्यवन तथा दक्ष सभी ऋषि मेरे लिए सुप्रभात का आशीर्वाद दें। अर्थात् ये सभी ऋषि आज मेरे दिन की शुभ शुरुआत करें।
सनत्कुमारः सनकः सनन्दनः सनातनोऽप्यासुरि-पिङ्गलौ च ।
सप्त स्वराः सप्त रसातलानि कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम् ॥ २॥
👉 अर्थ – सनत्कुमार, सनक, सनंदन, सनातन और अप्यासुरी-पिंगल, सात स्वर और सात रसातल सभी मेरे लिए सुप्रभात का मंगल करें। अर्थात्, संगीत और रसों की दिव्यता भी मेरे दिन में शुभता लाए।
सप्तार्णवाः सप्त कुलाचलाश्च सप्तर्षयो द्वीपवनानि सप्त ।
भूरादि कृत्वा भुवनानि सप्त कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम् ॥ ३॥
👉 अर्थ – सात समुद्र, सात कुलाचल, सात ऋषि और सात द्वीप तथा वन, सातों लोकों को समृद्ध और शुभ बनाएँ। अर्थात्, सम्पूर्ण भुवन और जीव-जगत मेरे दिन के लिए मंगलमय हों।
इत्थं प्रभाते परमं पवित्रं पठेद् स्मरेद् वा शृणुयाच्च तद्वत् ।
दुःखप्रणाशस्त्विह सुप्रभाते भवेच्च नित्यं भगवत्प्रसादात् ॥ ४॥
👉 अर्थ – इस प्रकार प्रभातकाल में यह अत्यंत पवित्र स्तोत्र पढ़े, सुने या स्मरण करे। हे भक्त! इससे सभी दुःख और संकट दूर होते हैं, और भगवती-भगवान की कृपा से दिन की शुरुआत मंगलमय होती है।
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